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Bawaal Review: इतिहास के पन्नों के बीच वरुण- जान्हवी ने मचाया बवाल

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By Asna Zaidi
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Bawaal Review: इतिहास के पन्नों के बीच वरुण- जान्हवी ने मचाया बवाल

फिल्म- बवाल
कलाकार- वरुण धवन , जान्हवी कपूर , मनोज पाहवा , अंजुमन सक्सेना , प्रतीक पचौरी , व्यास हेमंग , शशि वर्मा और मुकेश तिवारी
लेखक- नितेश तिवारी , अश्विनी अय्यर तिवारी , निखिल मल्होत्रा और श्रेयस जैन
निर्देशक- नितेश तिवारी
निर्माता- साजिद नाडियाडवाला और अश्विनी अय्यर तिवारी
रिलीज- 21 जुलाई 2023
ओटीटी- प्राइम वीडियो
रेटिंग- 3/5

कहानी

फिल्म की कहानी शुरू होती है नवाबों के शहर लखनऊ से, जहां रहने वाले अजय दीक्षित उर्फ अज्जू भैया (वरुण धवन) की नजर पूरे शहर पर है. अज्जू भैया की लाइफ में उनकी दिखावटी इमेज ही सबसे ज्यादा मायने रखती है. वहीं अज्जू अपनी इमेज के लिए कुछ भी कर सकता हैं, लेकिन अज्जू जितना लोगों के सामने दिखावा करता है असल जिंदगी में वह अपनी जिंदगी से उतना ही नाखुश है. परिवार में माता-पिता हैं जिनका नाम वे जरूरत पड़ने पर ही लेते हैं. इसके अलावा पत्नी निशा (जान्हवी कपूर) हैं जिनसे उन्होंने शादी तो की लेकिन शादी के बाद उन्हें प्यार नहीं हो सका. नतीजा ये हुआ कि दोनों के बीच करीब आने की बजाय दूरियों की लंबी दीवार खड़ी हो गई है. दरअसल निशा को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं और इसी वजह हैं अज्जू और निशा का रिश्ता सिर्फ नाम के लिए ही रह जाता  हैं. वहीं फिल्म की कहानी में ट्विस्ट तब आता हैं जब अज्जू को स्कूल के एक स्टूडेंट को थप्पड़ मार देता हैं. जिसके बाद उसे स्कूल से निष्कासित कर दिया जाता हैं. नौकरी खोने से इमेज खराब हो जाएगी, इसलिए अजय ने यूरोप जाने और वहां स्कूल के बच्चों को विश्व युद्ध 2 के बारे में सिखाने के लिए वीडियो बनाने का फैसला किया. जान्हवी भी साथ जाती है लेकिन फिर क्या होता है? क्या बच जायेगी अजय की नौकरी? क्या उनका रिश्ता टिक पाएगा?

एक्टिंग 

वरुण धवन ने अच्छी एक्टिंग की है. उन्होंने लोकल भाषा और लहज़े को भी बखूबी पकड़ा है. जान्हवी कपूर की भी एक्टिंग ठीक-ठाक रही हैं. वरुण के पिता की भूमिका में हैं मनोज पाहवा उन्होंने भी अपना किरदार बखूबी निभाया हैं . वरुण की मां के रूप में अंजुमन सक्सेना का काम भी अच्छा है.

डायरेकेशन में रही कमी

नितेश तिवारी ने कुछ अलग करने की कोशिश जरूर की लेकिन उनसे डायरेक्शन में थोड़ी कमी रह गई हैं.  फिल्म में कुछ चीजें बेहद बचकानी लगती हैं. फिल्म में दर्शकों को दूसरे विश्व युद्ध के बारे में संवेदनशील तरीके से सिखाने की कोशिश की गई है. लेकिन ये एक ऐसा विषय है जिसके बारे में हम सालों से पढ़ते और जानते आ रहे हैं. ऐसे में ये फिल्म थोड़ा बोर जरूर करती है. वहीं फिल्म की स्क्रिप्ट पर थोड़ाऔर काम किया गया होता तो शायद थोड़ी बात बन सकती थी.   

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