बर्थडे स्पेशल: अनुपम खेर को इस डायरेक्टर ने दिया था पहला मौका, आज भी देते हैं गुरु दक्षिणा

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By Sangya Singh
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बर्थडे स्पेशल: अनुपम खेर को इस डायरेक्टर ने दिया था पहला मौका, आज भी देते हैं गुरु दक्षिणा

हिंदी सिनेमा के मंझे हुए और बेहतरीन कलाकार अनुपम खेर आज अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं। अनुपम खेर का जन्म साल 1955 को शिमला में हुआ था। अनुपम ने अपने अभिनय की शुरुआत 1984 में आई फिल्म सारांश से की थी। इस फिल्म के दौरान वह 28 साल के थे । इतनी कम उम्र का होते हुए भी उन्होंने फिल्म में एक 65 साल के व्यक्ति का किरदार निभाया था। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था। अनुपम को अभिनय की दुनिया में पहला मौका देने वाले महेश ही थे, जिसके लिए आज भी अनुपम खेर, महेश भट्ट को गुरु दक्षिणा देते हैं।

अनुपम ने बताया कि कुछ समय पहले उन्होंने एक ब्रिटिश शो साइन किया था, जिसके बाद हर बार की तरह वह कुछ पैसे लेकर महेश भट्ट के पास गए। इस बात का खुलासा अनुपम ने अपने शो 'कुछ भी हो सकता है' (2014-15) में किया था। अनुपम ने ऐसा करने की वजह में बताया कि महेश ही ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने उन्हें अभिनय की दुनिया में कदम रखने में मदद की। अनुपम को फिल्म इंडस्ट्री में 35 साल हो गए हैं।

अनुपम अपने 35 साल के फिल्मी करियर में अब तक 500 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। लेकिन अनुपम ने एक ऐसी फिल्म का भी जिक्र किया था जिसके कारण वो दिवालिया हो गये थे। दरअसल, साल 2005 में अनुपम ने फिल्म 'मैंने गांधी को नहीं मारा' का निर्देशन अपने प्रोड्क्शन हाउस से किया था। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छा रिस्पांस ना मिलने की वजह से अनुपम कंगाल हो गए।

अनुपम बता चुके हैं कि वह एक 'अनुपम खेर स्टूडियो' बनाना चाहते थे, लेकिन इस फिल्म ने उन्हें सड़क पर ला दिया। इस दौरान अनुपम पाई-पाई को मोहताज हो गए थे। इसके बाद अनुपम ने जैसे-तैसे शो 'कुछ भी हो सकता है' की शुरुआत की जिससे उनकी गाड़ी पटरी पर आने लगी।

साल 2015 में मलेशिया में आइफा अवॉर्ड का आयोजन हुआ था। इस फंक्शन में अनुपम खेर ने भी दस्तक दी थी। इस दौरान उन्होंने इस बात का खुलासा किया था कि दिवालिया होने की वजह से उन्हें एक्टिंग स्कूल खोलने की जरूरत पड़ी। अनुपम ने एक्टिंग स्कूल 'द एक्टर प्रीपेयर्स' साल 2005 में खोला था। दरअसल, पहले उन्होंने फिल्ममेकर बनने का सोचा था लेकिन निर्देशन को अच्छे से समझ नहीं पाए और एक्टिंग स्कूल ही उनके पास आखिरी रास्ता बचा था।

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