Birthday Special: ​भारतीय फिल्मों के पितामह- बी.आर.चोपड़ा 

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By Mayapuri Desk
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Birthday Special: ​भारतीय फिल्मों के पितामह- बी.आर.चोपड़ा 

बी. आर.चोपड़ा को हर घर के बड़े-बुजुर्ग जरूर जानते हैं. इसकी दो वजह है, एक तो उनकी फिल्में और दूसरी दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाली धारावाहिक 'महाभारत'. बी.आर. चोपड़ा महाभारत के निर्माता थे. महाभारत की वजह से बी.आर.चोपड़ा को लोग घर-घर में जानने लग गए. बी.आर.चोपड़ा की आज पुण्यतिथि है. आइए एक नजर डालते हैं निर्माता और निर्देशक  बी.आर.चोपड़ा द्वारा किए गए अमूल्य कामों पर.

बी.आर.चोपड़ा उन कुछ फिल्मकारों में से एक थे जो अपनी फिल्मों से समाज में कोई संदेश देना चाहते थे. बी.आर.चोपड़ा की प्रत्येक फिल्म  एक उद्देश्य पूर्ण विषय पर होती थी. उनकी फिल्म एक ही रास्ता जो 1955 में आई थी उसके विषय पर ध्यान दें तो वो फिल्म विधवा पुनर्विवाह के मुद्दे पर बनी थी. इन गंभीर मुद्दों पर फिल्म बनाने की हिम्मत भी बहुत कम फिल्मकारों में होती है और वो भी इतने साल पहले, तो वाकई यह एक बहुत ही बहादुरी का काम था.  1957 में आई उनकी फिल्म 'नया दौर' में फिर से उन्होंने एक सामाजिक मुद्दे पर कटाक्ष किया. इस फिल्म में शारीरिक श्रम करने वाले मजदूर और मशीनी युग के बीच के  द्वंद को दिखाया गया था. ये फिल्म गोल्डन जुबली फिल्मों में से एक रही है. फिर 1959 में  आई फिल्म 'धूल का फूल'. इसमें बी.आर.चोपड़ा ने एक  एक ऐसी औरत की समस्याओं और यातनाओं को दिखाया जो बिना शादी के मां बन जाती है. एक अनब्याही मां के ऊपर फिल्म का शायद आज भी जनता विरोध करेगी. पर बी. आर. चोपड़ा इन सब चीजों से डरे बिना सत्य को दिखाना ज्यादा पसंद करते थे. इस फिल्म में राजेंद्र कुमार और माला सिन्हा ने भी बहुत ही बढ़िया अभिनय किया और इस विषय को पर्दे पर एक प्रभावपूर्ण तरीके से प्रदर्शित किया.

बी.आर.चोपड़ा ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर भी  फिल्म बनाई जिसका नाम था 'धर्मपुत्र' . बीआर चोपड़ा की फिल्म का गीत 'तू हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा' आज  के परिदृश्य में भी उतना ही प्रासंगिक है.  साधना  फिल्म का गाना, 'औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाजार दिया' , ये गीत समाज में औरतों की स्थिति को कितने बढ़िया से बयां करता है.  बी.आर.चोपड़ा ने मुख्यतः समाज में होने वाले औरतों के साथ अन्याय पर बिना डरे  फिल्में बनायी हैं. अब चाहे  फिल्म 'निकाह' हो जिसमें मुस्लिम औरतों के साथ होने वाली दुर्व्यवहार की बात हो या फिर 'इंसाफ का तराज़ू' जहां नारी शोषण की बात हो, हर फिल्म में उन्होंने नारी सशक्तिकरण की नींव रखी है. आज  देश में तीन तलाक बिल पास हुआ है पर बीआर चोपड़ा ने बहुत साल पहले ही 'निकाह' फिल्म में इस मुद्दे को उठाया था. समाज को और खासकर नारियों को बी.आर.चोपड़ा के प्रति आभारी होना चाहिए कि उन्होंने समाज के खिलाफ  औरतों की लड़ाई को अपनी फिल्मों के माध्यम से थोड़ा आसान कर दिया.

बी.आर.चोपड़ा की फिल्मों के गीत भी उनकी फिल्मों की तरह ही सदाबहार है. अब 'हमराज' फिल्म का वो गीत 'तुम अगर साथ देने का वादा करो' हो या 'वक्त' फिल्म का गीत 'ऐ मेरी जोहरा जबी तुझे मालूम नहीं' और ' कौन आया कि निगाहों में चमक जाग उठी' कौन नहीं जानता इन गीतों को. बी.आर.चोपड़ा की और भी कई यादगार फिल्में है जैसे, इत्तेफाक, धुंध, गुमराह, आवाम आदि.  बी.आर . चोपड़ा हर  जॉनर की  फिल्म बनाते थे. कॉमेडी फिल्म की बात करें तो बीआर चोपड़ा निर्मित 'पति पत्नी और वो' जिसमें रंजीता, विद्या सिन्हा और संजीव कुमार थे, यह फिल्म एक शुद्ध कॉमेडी फिल्म थी,जिसमें एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को भी बड़े ही हास्य पूर्ण तरीके से दिखाया गया था. और हाल ही में इसी फिल्म की रीमेक का ट्रेलर आया है जिसमें बी.आर.चोपड़ा का नाम देखने को मिल रहा है.इस रीमेक को रेेणु रवि चोपड़ा ने प्रोड्यूस किया है.

अब यदि बी.आर.चोपड़ा द्वारा निर्मित महाभारत की बात करें तो यह 'महाभारत' जैसे कालजई रचना की कालजई धारावाहिक है. महाभारत के ऊपर ऐसी धारावाहिक दोबारा नहीं बन सकती.  अब टीवी पर ऐसी महाभारत कहां देखने को मिलती है,जब घर में लोग शांति से बिना सांस लिए एक टक टीवी पर अपनी नजरें गड़ाए बैठे रहते हो और सड़क पर एक जीव ना दिख  रहा हो. बी.आर.चोपड़ा के महाभारत में हर एक पात्र इस कदर लोगों के जेहन में  थे कि लोग यह भूल जाते थे कि यह किरदार अभिनय कर रहे हैं, वो उन्हें सच में भगवान समझ बैठते थे. इस महाभारत में किसी एक पात्र को हीरो या विलेन नहीं बल्कि समय को ही असल नायक बताया गया था. सबसे महत्वपूर्ण  बात बी.आर.चोपड़ा ने हिंदुओं के महाकाव्य महाभारत' की स्क्रिप्ट राइटिंग एक मुसलमान राइटर राही मासूम रजा से कराई थी.  और इस बात से  यह साबित होता है कि बी.आर.चोपड़ा फिल्मों के साथ-साथ असल जीवन में भी हिंदू मुस्लिम एकता में विश्वास रखते थे. और यहां लेखक राही मासूम रजा  की तारीफ ना  की जाए तो गलत होगा. उन्होंने ऐसी महाभारत लिख दी  जो फिर किसी लेखक ने नहीं लिखी.

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