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Birthday Special के.सी.बोकाडिया: इस तरह मेरे निर्देशन के कैरियर की शुरूआत सुपर स्टार को लेकर हुई

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By Mayapuri Desk
Birthday Special के.सी.बोकाडिया: इस तरह मेरे निर्देशन के कैरियर की शुरूआत सुपर स्टार को लेकर हुई
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के.सी. बोकाडिया से मेरी मुलाकात एक फिल्म के मुहूर्त पर हुई. यहां पेश है उनसे किए गए सवाल जवाब

फिल्म 'प्यार झुकता नहीं निर्माता के रूप में कामयाब रही और निर्देशक के रूप में 1 सिर्फ आज का अर्जुन' हिट! रही. इसके बाद आपकी कई फिल्में निर्माता और निर्देशक 1 के रूप में आई लेकिन उन फिल्मों को कामयाबी नहीं मिली. इस बारे में आपका क्या कहना है?

'ये कहना आपका गलत है कि फिल्म "आज का अर्जुन के बाद मेरी निर्देशक के रूप में कोई भी फिल्म कामयाव नहीं हुई. फिल्म 'त्यागी, 'पुलिस मुजरिम और 'कुन्दन' बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रही. इसका सबूत ये है कि मेरी फिल्म का मुहूर्त होने के बाद ही वितरक मेरी फिल्म को आसानी से खरीद लेते हैं तभी तो मैं एक के बाद एक फिल्म निर्माता व निर्देशक के रूप में बनाता चला जा रहा हूँ.

'पर आपने कोई ऐसी यादगार फिल्म नहीं बनाई जिसकी तारीफ आपके निर्देशन के रूप में हो सके. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?'

देखिए, मुझसे पहले भी फिल्म इंडस्ट्री में निर्देशक आए और चले गये. उनमें से कुछ गिने चुने लोगों को छोड़कर क्या किसी ने यादगार फिल्म बनाई. जी नहीं, राज साहब गुरुदत्त, व्ही शांताराम जैसे निर्देशक अब कहां है. उस वक्त कलाकार निर्देशक संगीतकार और लेखक अपने काम को कई पूजा समझा करते थे. लेकिन आज हर आदमी मशीन बन चुका है. ऐसी मशीन दौड़ के अन्दर बाए लक कोई फिल्म यादगार बन जाए, तो बात अलग है. वैसे मेरी एक तमन्ना है कि मैं अपने जीवन में एक यादगार फिल्म अवाम् को जरूर दू.

पर आपके बैनर से निकली फिल्म में ये कभी भी महसूस नहीं होता कि आपने अपनी फिल्म में गहराई से मेहनत की हो. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

'मेरी कई फिल्में बॉक्स आफिस पर हिट रही, जो इस बात का सबूत है कि मैंने अपनी फिल्म में गहराई से मेहनत की है. मैंने हमेशा स्क्रिप्ट को अपना बेटा समझा है. और बेटे के साथ बाप कभी भी बेइमानी नहीं करता. मेरा इस सवाल पर बस इतना ही कहना है.

आपने निर्देशन की शुरूआत सुपर स्टार 'अमिताभ 'बच्चन' को लेकर फिल्म 'आज का अर्जुन' से की. अमिताभ जी ने आप जैसे नये निर्देशक के साथ काम करना कैसे स्वीकार कर लिया. इस बारे में आपके अपने क्या विचार हैं?

'बात काफी समय पहले की है, एक पार्टी के दौरान मेरी मुलाकात अमिताम जी से हुई. मुलाकात के दौरान मैंने उन्हें अपनी फिल्म में काम करने को कहा, तो उन्होंने कहा कि आप स्क्रिप्ट भिजवा देना, उसके बाद ही मैं बता सकूंगा कि मैं आपके साथ काम कर रहा हूं या नहीं. ये सुनने के हम बाद मैंने उनसे कहा कि जब आप मेरे साथ काम करना स्वीकार करेंगे, तभी मैं स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू करूंगा. मैं नहीं चाहता कि आपकी ना मेरी सारी मेहनत खराब कर दे. आप हां कीजिए फिर में स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू करूंगा. अमिताभ जी ने (कुछ पल सोचने के बाद हां कर दी. और इस तरह मेरे निर्देशन के कैरियर की शुरूआत सुपर स्टार को लेकर हुई. फिल्म ‘आज का अर्जुन’ उस वकत इतनी बड़ी हिट हुई थी. जबकि उन दिनों अमिताभी कि कई फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो रही थी. और इस तरह मेरे निर्देशन की शुरुआत हुई.

आप निर्माता भी है, निर्देशक और लेखक भी इन तीनों कामों में आपको कौन सा काम अच्छा लगता है?

मुझे तो निर्देशन करना ही अच्छा लगता है. निर्देशन करने में इतना आनंद आता है कि मेरे पास उस लम्हा के अलफाज नहीं.'

आप निर्माता, निर्देशक, लेखक और वितरक है. ऐसे में आप सामाजिक व्यवस्था बदलने पर जोर क्यों नहीं देते इस बारे में आपके अपने विचार क्या हैं?

देखिए, हमें फिल्म वक्त के अनुसार ही बनानी पड़ती है जब भी निर्माता या निर्देशक ने कुछ हटकर करना चाहा तो उसे बॉक्स आफिस पर असफलता ही मिली. फिल्म 1942 ए लव स्टोरी. 'लम्हें' और भी ऐसी कई फिल्में हैं, जिनकी तारीफ हुई लेकिन उन फिल्मों को बिजनेस नहीं मिला. यही वजह है कि हम वक्त के अनुसार ही फिल्में बनाना पसंद करते हैं! आज फिल्मों में सिर्फ लूटमार, रेप, आपसी दुश्मनी को ही केन्द्र बिन्दु बनाकर एवं नायक को खलनायक बनाकर उससे अच्छाई पर बुराई की विजय को तारीफ काबिल बतलाया जा रहा है. वहीं आज की बुराई पर अच्छाई की विजय दिखा रहे हैं. क्योंकि यही दर्शकों की मांग है, यही वजह है कि हम उनको मध्य नजर रखते हुए ऐसी फिल्म बनाते हैं.

#K. C. Bokadia #Birthday Special K. C. Bokadia
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