बर्थडे स्पेशल: जब गमछा बिछाकर लोगों से पैसे मांग कर की थी पृथ्वी थिएटर की स्थापना By Pankaj Namdev 02 Nov 2018 | एडिट 02 Nov 2018 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में से एक पृथ्वीराज कपूर का आज जन्मृदिन है. वर्ष 1960 में आई फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में बादशाह अकबर का किरदार निभाने वाले पृथ्वीराज कपूर आज भी दर्शकों के जेहन में बसे हुए हैं. पृथ्वींराज कपूर को जन्मद 3 नवंबर 1906 को पंजाब के लायलपुर में एक जमींदार के यहां हुआ था. उन्हेंम बचपन से ही अभिनय का बेहद शौक था. उन्होंने ऐसा नहीं सोचा होगा कि वो एक दिन थिएटर के 'बादशाह' के नाम से मशहूर हो जायेंगे. 18 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और वे तीन-तीन बच्चों के पिता भी बन गये. लेकिन एक्टिंग के प्रति उनका शौक बढ़ता ही जा रहा था और सबको छोड़कर वो मुंबई आ गये. जानें उनसे जुड़ी ये दिलचस्प बातें... 1960 में बनी मुगल-ए-आजम में बादशाह अकबर के किरदार को कालजयी बनाने वाले पृथ्वीराज कपूर आज भी हिन्दी फिल्मों के दीवानों के दिलों पर राज करने वाले शहंशाह हैं। उनके जैसा कलाकार सदियों में एक बार पैदा होता है और अपने पीछे अमूल्य विरासत छोड़ जाता है। 3 नवंबर 1906 को पंजाब के लायलपुर में एक जमींदार परिवार में जन्मे पृथ्वीराज कपूर को रंगमंच का शौक पेशावर के एडवर्ड कॉलेज में पढ़ते समय ही लग गया था। अब लायलपुर पाकिस्तान के पंजाब में है। 18 वर्ष की उम्र में पृथ्वीराज का विवाह कर दिया गया। अभिनय का शौक बढ़ता गया और 1928 की सर्दियों में वे अपने तीन बच्चों को पत्नी के पास छोड़कर पेशावर से बंबई आ गए। बंबई आकर पृथ्वीराज इम्पीरियल फिल्म कंपनी से जुड़ गए। 1931 में भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनी जिसमें पृथ्वीराज ने एक किरदार निभाया। शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के किरदार को अमर कर दिया विद्यापति (1937), सिकंदर (1941), दहेज (1950), आवारा (1951), जिंदगी (1964), आसमान महल (1965), तीन बहूरानियाँ (1968) आदि फिल्में आज भी पृथ्वीराज के अभिनय की वजह से यादगार मानी जाती हैं। ‘मुगल-ए-आजम’ में इस कलाकार ने बेटे के मोह में उलझे शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के किरदार को अमर कर दिया। पृथ्वीराज का अभिनय दिन पर दिन निखरता गया और हिन्दी सिनेमा शैशवकाल से युवावस्था की ओर अग्रसर होता गया। ‘आवारा’ फिल्म पृथ्वीराज के पुत्र और हिन्दी सिने जगत के सबसे बड़े शो-मैन राजकपूर ने बनाई थी जिसे उनकी बेहतरीन फिल्म माना जाता है। रूस में यह फिल्म आज भी बॉलीवुड की पहचान बनी हुई है पिता-पुत्र के रिश्तों का तनाव दर्शाने वाली यह फिल्म पूरे एशिया में सराही गई और पश्चिम एशिया के बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड भी इसने तोड़े। रूस में यह फिल्म आज भी बॉलीवुड की पहचान बनी हुई है और लोग आज भी हिन्दी गीत के नाम पर ‘आवारा हूँ’ गुनगुनाते हैं। रंगमंच पृथ्वीराज का पहला प्यार बना रहा और वे 1931 में अँग्रेजी में शेक्सपीयर के नाटक पेश करने वाली ग्रांट एंडरसन थिएटर कंपनी से जुड़ गए। पृथ्वीराज ने 1944 में अपनी सारी जमा पूँजी लगाकर पृथ्वी थिएटर की स्थापना की। हर सिंगल शो में पृथ्वीराज की मुख्य भूमिका रहती थी रंगमंच के इस दीवाने ने पहली बार हिन्दी में आधुनिक और पेशेवर शहरी रंगमंच की अवधारणा को मजबूती दी। अब से पहले तक केवल लोक कला और पारसी थिएटर कंपनियाँ थीं। पृथ्वी थिएटर का घाटा पृथ्वीराज अपनी फिल्मों से मिलने वाली राशि से पूरा करते थे। 16 वर्षों तक पृथ्वीराज के सान्निध्य में पृथ्वी थिएटर ने 2662 शो किए। हर सिंगल शो में पृथ्वीराज की मुख्य भूमिका रहती थी। दीवार पठान (1947), गदर (1948), दहेज (1950), पैसा (1954) उनके प्रमुख नाटक थे। उनकी आवाज पहले जैसी दमदार नहीं रही थी ‘पैसा’ नामक नाटक पर उन्होंने 1957 में फिल्म भी बनाई जिसके निर्देशन के दौरान उनका वोकल कार्ड खराब हो गया और उनकी आवाज पहले जैसी दमदार नहीं रही। इसके बाद पृथ्वी थिएटर उन्होंने बंद कर दिया। पृथ्वीराज के नाती और राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने 1971 में ‘कल आज और कल’ बनाई जिसमें उनके पिता और दादा ने भी अभिनय किया। दादा और पोते के बीच जनरेशन गैप और उसमें उलझे पिता के असमंजस को दिखाने वाली यह फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई। अभिनय के कई पहलुओं को रुपहले पर्दे पर दिखाने वाला यह लाजवाब फनकार कैंसर के कारण 29 मई 1972 को इस संसार से विदा हो गया और पीछे छोड़ गया अपने अभिनय की अमूल्य विरासत। उनके तीनों बेटों राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर ने इस विरासत को आगे बढ़ाया। राज कपूर के बेटों रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर ने अपने परिवार की परंपरा बनाए रखी और अब बॉलीवुड के इस प्रथम परिवार की अगली पीढ़ी के तौर पर रणधीर कपूर की पुत्रियाँ करिश्मा तथा करीना और ऋषि कपूर के पुत्र रणवीर पृथ्वीराज की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। पृथ्वीराज के पिता दीवान बशेश्वरनाथ कपूर पेशावर में सब-इंस्पेक्टर थे। उन्होंने राजकपूर की फिल्म ‘आवारा’ में एक छोटी-सी भूमिका भी निभाई थी। पृथ्वीराज को हिन्दी सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए मरणोपरांत दादा साहेब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया। #Raj kapoor #Birthday Special #Shammi kapoor #shashi kapoor #Prithvi Raj Kapoor हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article