बर्थडे स्पेशल: जब गमछा बिछाकर लोगों से पैसे मांग कर की थी पृथ्वी थिएटर की स्थापना

author-image
By Pankaj Namdev
New Update
बर्थडे स्पेशल: जब गमछा बिछाकर लोगों से पैसे मांग कर की थी पृथ्वी थिएटर की स्थापना

हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में से एक पृथ्वीराज कपूर का आज जन्मृदिन है. वर्ष 1960 में आई फिल्म‍ 'मुगल-ए-आजम' में बादशाह अकबर का किरदार निभाने वाले पृथ्वीराज कपूर आज भी दर्शकों के जेहन में बसे हुए हैं. पृथ्वींराज कपूर को जन्मद 3 नवंबर 1906 को पंजाब के लायलपुर में एक जमींदार के यहां हुआ था. उन्हेंम बचपन से ही अभिनय का बेहद शौक था. उन्होंने ऐसा नहीं सोचा होगा कि वो एक दिन थिएटर के 'बादशाह' के नाम से मशहूर हो जायेंगे.

publive-image

18 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और वे तीन-तीन बच्चों के पिता भी बन गये. लेकिन एक्टिंग के प्रति उनका शौक बढ़ता ही जा रहा था और सबको छोड़कर वो मुंबई आ गये. जानें उनसे जुड़ी ये दिलचस्प बातें...

publive-image

1960 में बनी मुगल-ए-आजम में बादशाह अकबर के किरदार को कालजयी बनाने वाले पृथ्वीराज कपूर आज भी हिन्दी फिल्मों के दीवानों के दिलों पर राज करने वाले शहंशाह हैं। उनके जैसा कलाकार सदियों में एक बार पैदा होता है और अपने पीछे अमूल्य विरासत छोड़ जाता है।

publive-image

3 नवंबर 1906 को पंजाब के लायलपुर में एक जमींदार परिवार में जन्मे पृथ्वीराज कपूर को रंगमंच का शौक पेशावर के एडवर्ड कॉलेज में पढ़ते समय ही लग गया था। अब लायलपुर पाकिस्तान के पंजाब में है।

publive-image

18 वर्ष की उम्र में पृथ्वीराज का विवाह कर दिया गया। अभिनय का शौक बढ़ता गया और 1928 की सर्दियों में वे अपने तीन बच्चों को पत्नी के पास छोड़कर पेशावर से बंबई आ गए। बंबई आकर पृथ्वीराज इम्पीरियल फिल्म कंपनी से जुड़ गए। 1931 में भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनी जिसमें पृथ्वीराज ने एक किरदार निभाया।

publive-image

शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के किरदार को अमर कर दिया

विद्यापति (1937), सिकंदर (1941), दहेज (1950), आवारा (1951), जिंदगी (1964), आसमान महल (1965), तीन बहूरानियाँ (1968) आदि फिल्में आज भी पृथ्वीराज के अभिनय की वजह से यादगार मानी जाती हैं। ‘मुगल-ए-आजम’ में इस कलाकार ने बेटे के मोह में उलझे शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के किरदार को अमर कर दिया।

publive-image

पृथ्वीराज का अभिनय दिन पर दिन निखरता गया और हिन्दी सिनेमा शैशवकाल से युवावस्था की ओर अग्रसर होता गया। ‘आवारा’ फिल्म पृथ्वीराज के पुत्र और हिन्दी सिने जगत के सबसे बड़े शो-मैन राजकपूर ने बनाई थी जिसे उनकी बेहतरीन फिल्म माना जाता है।

publive-image

रूस में यह फिल्म आज भी बॉलीवुड की पहचान बनी हुई है

पिता-पुत्र के रिश्तों का तनाव दर्शाने वाली यह फिल्म पूरे एशिया में सराही गई और पश्चिम एशिया के बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड भी इसने तोड़े। रूस में यह फिल्म आज भी बॉलीवुड की पहचान बनी हुई है और लोग आज भी हिन्दी गीत के नाम पर ‘आवारा हूँ’ गुनगुनाते हैं। रंगमंच पृथ्वीराज का पहला प्यार बना रहा और वे 1931 में अँग्रेजी में शेक्सपीयर के नाटक पेश करने वाली ग्रांट एंडरसन थिएटर कंपनी से जुड़ गए। पृथ्वीराज ने 1944 में अपनी सारी जमा पूँजी लगाकर पृथ्वी थिएटर की स्थापना की।

publive-image

हर सिंगल शो में पृथ्वीराज की मुख्य भूमिका रहती थी

रंगमंच के इस दीवाने ने पहली बार हिन्दी में आधुनिक और पेशेवर शहरी रंगमंच की अवधारणा को मजबूती दी। अब से पहले तक केवल लोक कला और पारसी थिएटर कंपनियाँ थीं। पृथ्वी थिएटर का घाटा पृथ्वीराज अपनी फिल्मों से मिलने वाली राशि से पूरा करते थे। 16 वर्षों तक पृथ्वीराज के सान्निध्य में पृथ्वी थिएटर ने 2662 शो किए। हर सिंगल शो में पृथ्वीराज की मुख्य भूमिका रहती थी। दीवार पठान (1947), गदर (1948), दहेज (1950), पैसा (1954) उनके प्रमुख नाटक थे।

publive-image

उनकी आवाज पहले जैसी दमदार नहीं रही थी

‘पैसा’ नामक नाटक पर उन्होंने 1957 में फिल्म भी बनाई जिसके निर्देशन के दौरान उनका वोकल कार्ड खराब हो गया और उनकी आवाज पहले जैसी दमदार नहीं रही। इसके बाद पृथ्वी थिएटर उन्होंने बंद कर दिया। पृथ्वीराज के नाती और राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने 1971 में ‘कल आज और कल’ बनाई जिसमें उनके पिता और दादा ने भी अभिनय किया। दादा और पोते के बीच जनरेशन गैप और उसमें उलझे पिता के असमंजस को दिखाने वाली यह फिल्म लोगों को बहुत पसंद आई।

publive-image

अभिनय के कई पहलुओं को रुपहले पर्दे पर दिखाने वाला यह लाजवाब फनकार कैंसर के कारण 29 मई 1972 को इस संसार से विदा हो गया और पीछे छोड़ गया अपने अभिनय की अमूल्य विरासत। उनके तीनों बेटों राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर ने इस विरासत को आगे बढ़ाया।

publive-image

राज कपूर के बेटों रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर ने अपने परिवार की परंपरा बनाए रखी और अब बॉलीवुड के इस प्रथम परिवार की अगली पीढ़ी के तौर पर रणधीर कपूर की पुत्रियाँ करिश्मा तथा करीना और ऋषि कपूर के पुत्र रणवीर पृथ्वीराज की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

publive-image

पृथ्वीराज के पिता दीवान बशेश्वरनाथ कपूर पेशावर में सब-इंस्पेक्टर थे। उन्होंने राजकपूर की फिल्म ‘आवारा’ में एक छोटी-सी भूमिका भी निभाई थी। पृथ्वीराज को हिन्दी सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए मरणोपरांत दादा साहेब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

publive-image

Latest Stories