फिल्मों या सितारों की कामयाबी के पीछे किये जाने वाले 'टोटकों' की उम्र बड़ी लम्बी होती है

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By Sharad Rai
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Black magic is the secret behind the success of films or stars

अमिताभ बच्चन ने अपने हाथ की सभी अंगुलियों में अंगूठी पहन रखा है और सालों से वे उनको पहन रखे हैं, जानते हैं क्यों? क्या कमी है उनको, और ऐसा भी नही है कि वे अनपढ़ या जाहिल किस्म के व्यक्ति हैं. मगर पहने रहते हैं और सालों से पहने हुए हैं. बॉलीवुड में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जिनको देखकर और जानकर आप हैरान हो सकते हैं, लेकिन ये ऐसे जेहनी टोटके हैं उनको बदला नही जा पाता. आइये, कुछ पर नज़र दौड़ाते हैं- 

संजय दत्त की पहली फिल्म 'रॉकी' का प्रीमियर था. सुनील दत्त ने अपने बेटे संजय दत्त को पेश करने की तीव्र इच्छा के साथ इस फिल्म का निर्माण किया था. फिल्म रिलीज होने से पहले नरगिस दत्त का निधन हो गया था.उनका मन टूट गया था. प्रीमियर के समय सिनेमा हॉल में सुनील दत्त के बगल में एक खाली कुर्सी रखी गई थी. पूरी फिल्म चलने के दौरान उस खाली कुर्सी पर कोई नही बैठने पाया था, जानते है क्यों? सुनील दत्त को यकीन था कि स्वर्गीय नरगिस जी की आत्मा उस खाली कुर्सी से फिल्म देखेगी और संजू की पहली लांचिंग फिल्म की सफलता की कामना करेगी. यह लोगों के लिए एक मजाक का टॉपिक हो सकता था , लेकिन दत्त के लिए यह भावना का विषय था. बादके वर्षों में भी दत्त खुद की बनाई गई फिल्म के पहले प्रिव्यू पर ऐसा ही करते थे. थियेटर में उनके बगल की कुर्सी खाली ही रखी जाती थी. बॉलीवुड में अंध विश्वास के ऐसे अनेक उदाहरण हैं. दिलचस्प बात यह है कि यहां के लोग  इन तरकीबों को उनकी सफलता का कारण मानते हैं.

भले ही कुछ लोगों के लिए, यह अंधविश्वास की बात हो सकती है, लेकिन हिट निर्माता-निर्देशक जे.ओमप्रकाश अपनी पुरानी फिल्मों का नाम "अ" अक्षर से रखा करते थे, जैसे "आपकी कसम" और "आशिक हूं बहारों का" आदि. 'क' नामवाली उनकी अधिकांश फिल्में कामयाब रहती थी. सब कुछ ठीक चला. आगे चलकर इसी चलन का अनुसरण किया "टीवी धारावाहिकों की रानी" के रूप में जानी जाने वाली एकता कपूर ने. एकता ने शुरुवात में "पड़ोसन," "इतिहास," और "कैप्टन हाउस" सहित विभिन्न नामों से कई कार्यक्रमों का निर्माण किया.  जिनमें से सभी नाकामयाब रहे. लेकिन, उनको सफलता "के" अक्षर का उपयोग करने से आई. "क्योंकि सास भी कभी बहू थी," "कसौटी ज़िंदगी की," "कुसुम," "कुंडली," "कस्ती", "कितने कूल हैं हम" आदि सबके सब हिट शोज होते गए.. राकेश रोशन द्वारा निर्देशित फिल्में भी उनके ससुर जे. ओम प्रकाश की तर्ज पर "के" के रूप में ही कामयाबी दुहरायी हैं. "कहो न... प्यार है" के साथ 'K" का फार्मूला ऋतिक रोशन को स्टार बनने की सीढ़ी पर चढ़ने के लिए प्रेरित किया है.

सुभाष घई की सफलता इस तथ्य से जुड़ी हुई है कि वह अपनी हीरोइनों का नाम "M" (माधुरी, मनीषा, महिमा और उनकी पत्नी का नाम मुक्ता) से रखते रहे.वह एक और टोटका आजमाते आये हैं  अपनी फिल्म के एक दृश्य में दिखाई देने वाला.. वह प्रत्येक फिल्म में एक दृश्य में दिखाई देते हैं जिसे वे निर्देशित करते हैं.

ऐसे उदाहरणों से बॉलीवुड भरा है जिसे हम आम जीवन मे टोटका कहते हैं. लेकिन ये टोटके सितारों के नाम, फिल्मों के नाम, बैनर के नाम और रिश्तों की कड़ी से इतने जुड़े हैं की इन टोटकों की उम्र बड़ी लम्बी है जिसे बताने के लिए हमें पूरी एक सीरीज चलानी पड़ेगी.

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