देशभर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए बॉलीवुड फिल्में एक बड़ा माध्यम हैं। वो इस वजह से क्योंकि जिन राज्यों में हिंदी नहीं बोली जाती है, वहां भी हिंदी फिल्मों के जरिए लोग जानने-समझे लगे हैं। इस तरह बॉलीवुड हमेशा से ही हिंदी के प्रचार-प्रसार में मुख्य भूमिका निभाता रहा है। बॉलीवुज फिल्मों की इश भूमिका को देखते हुए राज्यसभ के चेयरमैन एम वैंकैया नायडू ने संसद में हिंदी फिल्में दिखाने का फैसला लिया है।
बता दें कि शुक्रवार को बजट पेश किए जाने के बाद जीएमसी बालायोगी ऑडिटोरियम में मदर इंडिया फिल्म दिखाई जाएगी। सुनील दत्त, नर्गिस और राजकुमार अभिनीत यह फिल्म 1957 में रिलीज़ हुई थी और इसका ऐतिहासिक महत्व है। हिंदी सिनेमा के इतिहास में यह फिल्म मील का पत्थर मानी जाती है। वैसे, संसद में सभी सदस्यों को किसी भी भारतीय भाषा के साथ अंग्रेजी में बोलने का अधिकार है। हिंदी का मुद्दा हमेशा से बहुत संवेदनशील रहा है।
कई बार गैर हिंदी भाषी क्षेत्र यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि उन पर हिंदी लादने की कोशिश की जाती है। पिछले साल गोवा में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में हिंदी के मुद्दे को लेकरविवाद सामने आया था। बहरहाल, राज्यसभा सचिवालय की तरफ से कहा गया है कि हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए सांसदों को हिंदी फिल्में दिखाने का यह निर्णय कोई नया नहीं है। सबसे पहले ऐसा विचार राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन रह चुके पी.जे.कुरियन ने सामने रखा था।