जबसे दीपिका पदुकोण ने फिल्म 'पठान' में कमर हुचकाऊँ डांस पेश किया है, उनके बेशरम रंग गाने की उन्मादक तस्वीरों से सोशल मीडिया भरी पड़ी है. दीपिका की देखादेखी सभी बॉलीवुड से जुड़ी लड़कियां सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्मों पर अपनी उन्मुक्त तस्वीरें डालने में कोई संकोच नही करती, बल्कि जैसे गर्व महसूस करती दिख रही हैं. 'रील' तो रील है, इंस्टा, फेसबुक, और ट्विटर पर बॉलीवुड की अपकमिंग कुड़ियों को देखकर हैरानी होती है कि क्या वे अपनी मंजिल इन्ही तस्वीरों के सहारे पाने के सपने संजो रही हैं?
कुछ साल पहले बाला साहब ठाकरे की मृत्यु के बाद जब पूरे महाराष्ट्र में बंद पड़ा था तब सोशल मीडिया पर बंद का विरोध करने वाली दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना को लेकर ''बात करने की आजादी के अधिकार का हनन'' के मुद्दे पर आईटी कानून (सोशल मीडिया) की धारा 66 A को रद्द कर दिया गया था. अगर यह कानून बना रहता तो शायद सबसे ज्यादा प्रभावित होता बॉलीवुड और यहां आने वाले लोग क्योंकि यह शो बिजनेस है. यहां के लोग मानते हैं दिखोगे तो बिकोगे.
इस अधिकार को पा जाने के बाद सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर जो अभिव्यक्ति का प्रदर्शन शुरू हुआ उनमें उन्मादक वीडियो और तस्वीरों का प्रदर्शन भी शामिल है. टिकटॉक गया तो रील आ गया. अभिव्यक्ति की आजादी की क्राइटेरिया को पार करके आलोचना,अभद्रता और फूहड़ता से भरपूर तस्वीरों से सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म भर उठे हैं. बॉलीवुड की न्यू कमर लड़कियां और सी ग्रेड निर्माताओं ने तो सोशल मीडिया (खासकर फेसबुक) को प्रचार का पटल बना दिया है. आजकल वे लड़कियां बड़ी उन्मादित तस्वीरें शेयर करती हैं जो बॉलीवुड में हैं, या नवागंतुक हैं, जो प्रचार के लिए कुछ भी लिखती लिखवाती हैं. बदमाशी भरे पोज और अधनंगे तस्वीरों पर कमेंट आते हैं और उनकी फोटो और वीडियो पर उसी उन्माद भरे चाव से प्रतिक्रियाएं लिखी आती हैं.
यही नहीं, कमेंट लिखना और निर्णायक की तरह फैसले देने वाले भी बहुत बढ़ गए हैं. याद दिला दें कि एक समय था जब ऋषि कपूर सोशल मीडिया पर कुछ लिखते थे तो प्रतिक्रिया देने वालों की लाइन लग जाती थी. अनुपम खेर ने तो कश्मीरी पंडितों पर बोलकर जैसे खुला जंग फेस किया था. वर्ल्ड कप सेमि फाइनल में पराजय के बाद विराट कोहली को लेकर अनुष्का शर्मा पर जो छींटे आये थे उसपर एक लंबी लड़ाई लड़ी जा सकती थी और उसपर अदालतें फैसला देते तक जाती. धारा 66A (साइबर) के निरस्ती कारण को फिर से लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है क्योंकि नग्नता अब अभिव्यक्ति का जामा पहनकर अति करने की ओर बढ़ रही है. बेशक उसके लिए अभी भी धारा 67, 506 (ii), 509 हैं जो नग्नता, मानसिक उत्पीड़न और स्त्री की अमर्यादित- प्रस्तुति ईलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में है जो उनपर नियंत्रण करने के लिए है.
जरूरत है बॉलीवुड के लोग खुद को अंकुश में रखना सिख लें. इसके पहले कि सरकारी नियंत्रण की कोई तलवार उनपर लटकने आजाए.