- शरद राय
Bob Biswas review
रेटिंग- 4/5
Zee 5 के OTT प्लेटफॉर्म पर 3 दिसम्बर से स्ट्रीम हो रही फिल्म 'बॉब बिस्वास' का टाइटल देखकर मेरे एक मित्र ने कहा- जिस फिल्म- मेकर को फिल्म का नाम रखने नहीं आया वो फिल्म क्या बनाया होगा-खाक! ऊपर से हीरो ले लिया है अभषेक बच्चन को!! फिर जब मैंने उसको बताया की फिल्म बनाया है शाहरुख खान की कम्पनी रेड चिल्ली एंटरटेनमेंट और विद्याबालन की 'कहानी' बनाने वाले सुजॉय घोष ने तो वो हैरान हुआ। निर्देशक भी मशहूर फिल्मकार सुजॉय घोष की बेटी (दीयाअन्नपूर्णा घोष) हैं तो वह फिल्म देखने के लिए तैयार हुआ।
'बॉब विश्वास' जैसा कि फिल्म का नाम है, यह नाम सुजॉय की 2012 में आई फिल्म 'कहानी' में एक 9 मिनट तक चलने वाले किरदार का था। फिल्म की कहानी पटकथा सुजॉय की है और कहानी कहने का तरीका भी वही है इसलिए उस करेक्टर के नाम पर फिल्म का नाम रखा गया। फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो 8 साल तक कोमा में रहने के बाद अस्पताल से घर आता है और अपनी सारी याददास्त खो चुका है। वक व्यक्ति है बॉब बिस्वास (अभिषेक बच्चन) जो कभी कोलकाता में एलआयीसी एजेंट हुआ करता था। बॉब की पत्नी मैरी(चित्रांगदा सिंह), बेटा बेनी (रोनित अरोरा), बेटी मिनी (समारा तिजोरी) उस अस्मरण खो चुके बॉब के साथ जीवन शुरू करते हैं। दो अनजान आदमी बॉब को ले जाकर बताते हैं कि वह एक शूटर है और उसने बहुत से लोगों की हत्याएं किया है।वे पोलिस का भय देकर उससे काम करवाने लगते हैं। बॉब को रिवाल्वर और कारतूस काली दा ( प्राण बंदों पाध्यय)से मिलता है। बॉब से हत्याएं कराने वाले लोग एक ड्रग सप्लायर गैंग से हैं जो बच्चों को नशे का आदि बनाता है।बॉब को धीरे धीरे जब सारी बातें समझ में आती हैं और वह वो काम छोड़कर अच्छा आदमी बनने की राह पर आता है, देर हो चुकी होती है।
पूरी फिल्म कोलकत्ता में बनी है। स्क्रिप्ट एकदम टाइट है।निर्देशक दीया घोष ने कहानी के साथ न्याय किया है। सबसे जबरदस्त अभिनय किया है अभिषेक बच्चन ने।एकदम कम्प्लीट बदला हुआ अंदाज़, अभिनय और पर्सनालिटी।पहली बार लगा है वह पिता अमिताभ की छाया से बाहर निकल कर काम किए हैं। चित्रांगदा सिंह बेहद आकर्षक लगी हैं। फिल्म का निर्माण किया है गौरी खान, सुजॉय घोष और गौरव वर्मा ने।फिल्म दर्शकों को थ्रिल और सस्पेंस के साथ एक नए सिनेमा से परिचय कराती है।