ना हॉरर, ना सस्पेंस ना थ्रिलर, संदेश भी जो सबको पता है, लेकिन फिल्म दर्शकों को रोके रखती है दो घंटे By Mayapuri 27 Nov 2021 in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर शरद राय 2.5 /5 रेटिंग 'छोरी'' अमेज़ॉन प्राइम वीडियो पर नई स्ट्रीम (26 नवम्बर को) हो रही फिल्म है- 'छोरी' जिसको देखते हुए कई आश्चर्य होते रहे। पहले लगा फिल्म सोशल वर्क की है जब गर्भवती हीरोइन अपनी NGO की क्लास में बच्चों के साथ होती है। फिर लगा फिल्म भाईगिरी की है जब हीरो-हीरोइन को पानी पूड़ी खाते देख गुंडे इशारा करते है फिर घर मे आकर हीरो को पीटते हैं।फिर लगा सस्पेंस है जब हीरोइन गन्ने के खेत मे रास्ता भूल जाती हैं और आखिर में हॉरर... और, फिल्म खत्म हो जाती है- भ्रूण बालिकाओं की हत्या न करने का संदेश देकर। हम बात कर रहे हैं विशाल फुरिया की OTT फिल्म ''छोरी'' की, जिसके निर्माता हैं-अबून्दन्तिया एंटरटेनमेंट, टी-सीरीज और क्रिप्ट टीवी। संगीत (बैक ग्राउंड) केतन सोढा का है।फिल्म 2017 में आयी मराठी फिल्म 'लपाछपी' की रीमेक है जिसे विशाल फुरिया ने ही बनाया था।कलाकार हैं- नुशरत भरुचा(साक्षी), मीता वशिष्ठ (भंनो देवी), सौरभ गोयल (हेमंत/राजवीर), राजेश जैस (कजला)आदि। व्यापार के लिए कर्ज लेनेवाला युवक हेमंत अपनी 8 माह की गर्भवती पत्नी साक्षी के साथ अपने ड्राइवर कजला के गांव भागता है ताकि पिटाई से बच सके।कजला का गांव गन्ना के खेतों से घिरा है।यहां कजला की पत्नी भंनो देवी उनको अपना संरक्षण देती है लेकिन वहां का माहौल एकदम तनहा और डरावना है। साक्षी वहां से पति के साथ निकलकर जाना चाहती है जब कजला हेमंत के सिर पर वार करके उनको वहां से जाने नही देता। साक्षी को वहां 3 छोटे बच्चे दिखते रहते हैं जो अदृश्य हो जाया करते हैं। ज्ञात होता है वहां कजला के छोटे भाई की पत्नी सुनयनीं की आत्मा रहती है जो एक डायन है और उसने उनके 3 बच्चों को मारकर खुद मर गई थी। भंनो ने बताया कि उसके बड़े बेटे की तीन बीबियों को भी इसी ने मारा था जब वे 8 महीने के गर्भ से थी।साक्षी जो आठवें महीने से है, उसकी जान को खतरा है। भंनो बताती है कि उसका परिवार श्राप मुक्त हो सकता है अगर 8 महीने की गर्भवती साक्षी वहां तीन दिन तक जीवित रुक पाए।वो तीन दिन कैसे बितते हैं? और साक्षी कैसे समझ पाती है कि इस पुरानी सोच के पीछे बेटियों का मारा जा है क्योंकि वे मानते हैं कि वंश सिर्फ बेटों से चलता है। संक्षेप में कहें तो फिल्म केलिए 2 घंटे 9 मिनट तक दर्शकों को बैठाने की बजाय आधे घंटे की डॉक्यूमेंटरी में बात कही जा सकती थी। #Chhorii #Chhori हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article