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Chandrayaan-3 : "ये चंदा रूस का ना ये जापान का, ना यह अमेरिकन प्यारे, ये तो हिंदुस्तान का ...!"

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By Sharad Rai
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Chandrayaan-3 : लगभग 64 साल पहले एक फिल्म आई थी 'इंसान जाग उठा', शक्ति सामंत की इस फिल्म में शैलेन्द्र का बनाया एक गीत था - 'ये चंदा रूस का, ना ये जापान का, ना यह अमेरिकन प्यारे, ये तो हिंदुस्तान का....' सन 1959 में आई इस फ़िल्म की परिकल्पना को 2023 में सकार हुआ देख पूरा हिंदुस्तान झूम उठा है. शायद इसीलिए 'ब्रिक्स' सम्मेलन में शामिल होने साउथ अफ्रीका गए भारत के प्रधान मंत्री भावातिरेक में फिल्म का गीत कोट करना नहीं भूलते- 'अबतक सुनते आए थे  चंदा मामा दूर के...अब हम कह सकते हैं चंद मामा टूर (पिकनिक) के !' सचमुच बॉलीवुड ने हमेशा पर्दे पर चांद की खूबसूरत कल्पनाएं पेश किया है.

सौजन्य  ultra

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एक ऐसी ही कल्पना फिल्म न्यू डेल्ही (new Delhi) के फिल्मकार ने चांद पर रॉकेट उतारकर 1956 मे किया था. इस फिल्म में गीतकार शैलेन्द्र की कल्पनाओं की उड़ान देखिए-  'कल चांद और तारों में पहुँचेगा एटॉमी घोड़ा...'. वर्षों बाद इस कल्पना को भारत के वैज्ञानिकों ने भी सही साबित कर दिया है. 

'चंद्रयान 3' की कामयाबी के बाद जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इसरो (ISRO) प्रमुख एस. सोमनाथ और पूरी भारतीय वैज्ञानिकों की टीम को बधाई देते फिल्म का गीत कोट किये थे, उस गीत को उस पल हर कोई गुनगुना उठा था- "चंद मामा दूर के...". कभी यह गीत रेडियो पर विनाका गीतमाला के उच्च पॉयदान पर हुआ करता था. 1954 में आई फिल्म 'वचन' के इस गीत को संगीतकार रवि ने आशा भोसले से गवाया था. भारतीय मां एं हमेशा इस गीत को अपने बच्चों को लोरी रूप में सुनाती आई  हैं...  "चंदा मामा दूर के, पुए पकाएं चूर के, आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में...". आशा भोसले ने कहा है -"मैं गर्व महसूस कर रही हूं !'' चंदा मामा के इस आइकोनिक गीत से ही पता चलता है कि फिल्मवाले चांद को लेकर कितना भावनात्मक रिश्ता रखते हैं.एक नहीं सैकड़ों उदाहरण हैं जब बॉलीवुड फिल्मों में चांद को 'चंदा मामा' कहा गया है और सुंदरता को परिभाषित करने के लिए चांद शब्द का इस्तेमाल किया है. कई फिल्मों के टाइटल में चांद का नाम आया है. हीरो ने हीरोइन से इश्क करते अपने सपनों को चांद से जोड़कर देखा है.  

चांद टाइटल के साथ बनी बॉलीवुड की फिल्में हैं- 'चांद के पार चलो (2006), 'चांद से रोशन चेहरा'(2005) , चांद बुझ गया' (2005), 'चांद और सूरज' (1965), 'चांद का टुकड़ा'(1994), 'चांदनी'(1989), 'चंद्रमुखी' (2005), 'चांदनी चौक टू  चाइना' (2009), 'चांद के पार चलो' (2006) आदि आदि.इसी तरह कई लेखकों की किताबों के शीर्षक चांद शब्द से जुड़े हैं.  

अमिताभ बच्चन ने 'चंद्रयान 3' की कामयाबी पर भारत माता की जय और वन्दे मातरम कहते लिखा है- "हमे तीसरी दुनिया का आदमी कहा जाता था...मुझे(यह सुनना) पसंद नहीं था....आज मैं गर्व से कहता हूं भारत दुनिया का प्रथम है." सारे सितारों और फिल्मकारों ने 'चंद्रयान3' की कामयाबी पर प्रसन्नता जाहिर किया है.

'चंद्रयान-3' ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर बॉलीवुड के उस मिथक की भी याद दिला दिया है जिसके लिए कहा जाता था कि 'चांद के माथे पर काला तिल !' बहरहाल चांद को लेकर सारी उपमाएं भले ही फिल्मी लेखकों और गीतकारों की कलम से अब निकलने में संकोच करें, बदल जाएं किन्तु एकबात अब फिल्मकार खुलकर दिखाएंगे और कहेंगे- " चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो...हम हैं तैयार चलो !"

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