चारूल मलिक: आप जो कुछ भी रोज देखते हैं, आप उसे आत्मसात कर लेते हैं और वह हमारे दिमाग पर असर करता है

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By Mayapuri Desk
चारूल मलिक: आप जो कुछ भी रोज देखते हैं, आप उसे आत्मसात कर लेते हैं और वह हमारे दिमाग पर असर करता है
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टीवी पर महिला पात्र काफी विकसित हुए हैं. कहानियां यथार्थवादी बन गई हैं. मीडिया से एक्ट्रेस बनी चारुल मलिक इस बदलाव के बारे में बात करती हैं.

उन्होंने कहा, "अनुपमा में अनुपमा और भाभी जी घर पर हैं में अनीता भाभी बहुत प्रगतिशील हैं. कुछ अन्य शो हैं जो प्रगतिशील प्रकाश में दिखाए गए हैं. अनुपमा नागिन के विपरीत वास्तविकता के बहुत करीब है, जो काल्पनिक है. इसलिए अनुपमा मेरे दिल के बहुत करीब हैं. यह महिलाओं की यात्रा और महिला सशक्तिकरण के बारे में है. इसने लोगों का ध्यान खींचा है. एक अच्छी कहानी जरूरी है, साथ ही इसमें अद्भुत अभिनेता भी हैं."

अनुपमा, भाभी जी.. जैसे अनंत शो ने इतिहास रचा है और शांति, स्वाभिमान, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कहानी घर घर की, कुसुम हीना जैसे रोल मॉडल सेट किए हैं.

उन्होंने आगे कहा, "इस तरह के सीरियल महिला प्रधान होते हैं और इतिहास रचते हैं और सबसे लंबे समय तक चलने वाले शो होते हैं. भाभी जी को आठ साल पूरे हो गए हैं. इन शोज को देखकर आपको ऐसा नहीं लगता कि ये पुराने हो गए हैं क्योंकि इनमें हमेशा कुछ न कुछ नया होता है. लोग इन शोज को याद रखेंगे, उन्हें ये शोज पसंद हैं और हमेशा याद रहेंगे. मुझे भाभी जी का हिस्सा बनने पर गर्व है."

चारुल बताती हैं कि लोग इस तरह की कहानियों से प्रभावित हो जाते हैं क्योंकि ग्रामीण पात्रों के दर्शक टीवी पात्रों को वास्तविक मान लेते हैं. "आप जो कुछ भी देखते हैं, आप उसे अवशोषित करते हैं और यह हमारे दिमाग को प्रभावित करता है. इसमें कोई दोराय नहीं है."

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