Advertisment

Chhath Puja 2023 : छठ पूजा आज नहाय खाय के साथ शुरू हुआ , चार दिनों के अनुष्ठान, अर्घ्य का समय और इस व्रत का महत्व,यहां जानिए

author-image
By Richa Mishra
New Update
 Chhath Puja 2023 started today with Nahay Khay, know the rituals of four days

Chhath Puja 2023 :  17 नवंबर को नहाय खाय के साथ छठ पूजा शुरू होती है, जो चार दिवसीय त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है. पहला अनुष्ठान नहाय खाय के बाद आने वाली चुनौतीपूर्ण 36 घंटे की उपवास अवधि के लिए रूपरेखा तैयार करता है. छठ पूजा, चार दिवसीय त्योहार, 17 से 20 नवंबर तक मनाया जाने वाला है. डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य क्रमशः 19 नवंबर और 20 नवंबर को दिया जाएगा. बिहार में ये त्यौहार बड़ी धूम धाम से और श्रधा भाव के साथ मनाया जाता है.


छठ पूजा 2023 के चार दिन

नहाय खाय 

17 नवंबर को, जैसे ही सूर्य सुबह 6:45 बजे अपनी पहली किरण के साथ क्षितिज को सुशोभित करेगा, एक नए दिन की शुरुआत का प्रतीक होगा, नहाय खाय अनुष्ठान की तैयारी करने वाले भक्त सफाई के पवित्र कार्य में डूब जाएंगे. भक्तिभाव से मनाए जाने वाले इस अनुष्ठान में पवित्र जल यानि नदी तलाब आदि में डुबकी लगाना शामिल है. बिहार में ये त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है.


खरना

18 नवंबर को, खरना के दौरान, जो व्रत करती महिलाए होती है वो शाम को मिट्टी के चूल्हे पर और नए बर्तन में रसिया या गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करती है. उसके बाद वो प्रसाद का भोग लगती है. यह दिन छठ पूजा उत्सव में विशेष महत्व रखता है, जो अनुशासन, भक्ति और आध्यात्मिक सहनशक्ति का प्रतीक है.  


संध्या अर्घ्य

सूर्यास्त का समय: शाम 4:57 बजे

19 नवंबर को, संध्या अर्घ्य अनुष्ठान के दौरान, बिना भोजन और पानी के उपवास जारी रहता है, और शाम की पूजा की तैयारी भी साथ-साथ होती है. सूप ठेकुआ, नारियल, मौसमी फल और बहुत कुछ जैसे प्रसाद से भरे होते हैं.
श्रद्धालु नदी या पानी में कमर तक खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. चल रहे उपवास के बावजूद, रात के घंटों को समर्पण द्वारा चिह्नित किया जाता है, जिसमें उपवास अगली सुबह तक जारी रहता है. 


उषा अर्घ्य

सूर्योदय का समय: प्रातः 6:10 बजे

20 नवंबर को, छठ पूजा व्रत के अंतिम दिन, उषा अर्घ्य के साथ समापन होता है, जहां भक्त पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

 


छठ पूजा का इतिहास

भारतीय पौराणिक कथाओं में निहित छठ पूजा, सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैय्या को समर्पित है. इस त्यौहार में पूरी तरह से तैयारी शामिल है, जिसमें घरों की सफाई, पूजा की आवश्यकताएं, जैसे सूप प्राप्त करना और प्रसाद सामग्री इकट्ठा करना शामिल है. 

महाभारत काल में सूर्यपुत्र कर्ण पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए प्रसिद्ध हैं. एक अन्य कहानी में पांडव शामिल हैं, जिन्होंने अपने वन निर्वासन के दौरान भोजन की कमी का सामना करते हुए धौम्य मुनि की सलाह पर ध्यान दिया.

धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान सूर्य की पूजा की और एक दिव्य तांबे का बर्तन प्राप्त किया जो उनके लिए चार प्रकार के भोजन तैयार कर सकता था.

Advertisment
Latest Stories