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कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

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By Mayapuri Desk
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कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

कोरोना महामारी से निपटने के उपाय के तहत लगाए गए लाॅक डाउन की वजह से 17 मार्च से फिल्म,वेब सीरीज और टीवी सीरियलों की शूटिंग बंद है। इससे भारतीय सिनेमा को ढाई हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। फिल्म इंडस्ट्री के वर्करों के साथ साथ कलाकारों और निर्माताओ की भी हालत खस्ता हो चुकी है। वीएफएक्स स्टूडियो वगैरह भी बंद हैं। लाॅक डाउन की शुरूआत में बाॅलीवुड से जुड़े तमाम लोग अपने घर काम करते हुए,पंखा साफ करते हुए, घर के अंदर वर्क आउट करने,म्यूजिक इंस्टू्मेंट आदि बजाने सहित कई तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर खुश हो रहे थे। पर धीरे धीरे सब चुप हो गए हैं। अब तो यह लोग लाॅक डाउन के चलते हो रही परेशानियों का बखान करने में लगे हैं। किसी को इस बात से तकलीफ है कि उनके पड़ोस की इमारत में कोरोना संक्रमित मिलने के बाद से वह अपनी मां से या बहन से नही मिलने जा पा रहे हैं।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

किसी की तकलीफ है कि वह अपने कुत्ते को इमारत से बाहर घुमाने नहीं ले जा पा रहे हैं। वहीं कुछ लोग आर्थिक तंगी का रोना रो रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि ढाई माह से बिना काम काज के घर के अंदर कैद सभी लोग निराशा के गर्त में जा रहे हैं। और हर किसी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।यही वजह है कि अब बाॅलीवुड से जुड़ी हर एसोसिएशन हर हाल में जल्द से जल्द फिल्म व टीवी सीरियल की शूटिंग शुरू करने के लिए प्रयासरत है। कई फिल्म व टीवी सीरियलों के निर्माताओं ने तो एक माह पहले से ही बयानबाजी शुरू कर दी थी कि वह जून के पहले सप्ताह से सुरक्षा उपायों को अमल में लाते हुए शूटिंग शुरू कर देंगे, पर अब तक ऐसा नही हो पाया है। वास्तव में जिस तरह से मुंबई शहर और उसके आस पास कोरोना संक्रमण भयावह रूप लेता जा रहा है,उसे देखते हुए फिल्म,वेब सीरीज या टीवी सीरियलों की शूटिंग कब होगी,फिल्म इंडस्ट्री में कब काम शुरू होगा, इसका सटीक जवाब किसी के पास नही है।

    पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से काम शुरू करने को लेकर फिल्म इंडस्ट्री के अंदर माथापच्ची की जा रही है, काश कोरोना कहर की शुरूआत में इसे हलके में लेकर डाॅक डाउन के चलते छुट्टी मिलने की खुशी मनाने की बजाय गंभीरता से सोचना शुरू किया होता, तो फिल्म इंडस्ट्री के हालात कुछ अलग होते।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

        एक बहुत पुरानी कहावत है कि‘‘अंधेरे में बैठकर अंधेरे को कोसने की बजाय दिया जलाकर रोशनी फैलाने का प्रयास करने वालों को ही सफलता मिलती है।’’इसी कहावत पर अमल करते हुए यदि फिल्म कलाकारों के साथ साथ फिल्म निर्माताओं ने भी विचार करना शुरू किया होता तो वह दर्शकों को नया मनोरंजन परोसने के साथ साथ खुद भी धन कमाते और दूसरों को भी काम देकर उन्हे भी धन दे सकते थे। यह एक कटु सत्य है।

    कोरोना का कहर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है,उसके मद्देनजर यह कब खत्म होगा,इस पर कुछ ठोस राय नही दी जा सकती।  ऐसे में अब सभी को कोरोना के साथ जीना होगा। कोरोना से डर कर नहीं, बल्कि उसका मुकाबला करते हुए अपने अपने काम को नए अंदाज व सुरक्षा उपायों के साथ काम करते हुए अपना जीवनयापन करना होगा। परिणामतः काम काज के तरीके व रंग ढंग सब कुछ बदलना होगा और इस बदलाव के लिए फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हर वर्कर के साथ साथ हर कलाकार को भी तैयार रहना होगा।समय की माॅंग है कि ‘‘वर्क फ्रोम होम’’को बढ़ावा दिया जाए। बाॅलीवुड का एक बड़ा तबका इस बात से सहमत नहीं हो सकता। उसकी नजर में फिल्म इंडस्ट्री को अर्थिक संकट से उबारने का एकमात्र रास्ता फिल्मों की शूटिंग शुरू करना ही नजर आ रहा है।पर ‘‘वर्क फ्रोम होम’’ कल्चर को अपनाकर ‘‘मोटू पटलू’’ और ‘‘शेख चिल्ली’’जैसे टीवी सीरीज,लघु फिल्में,वेब सीरीज और लंबी फिल्मों  का निर्माण संभव है।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

हर फिल्मकार को अमन बजाज और केतन मेहता से कुछ सीखना चाहिए। माना कि एक एनीमेशन फिल्म या एनीमेशन सीरीज के निर्माण के लिए भी कई लोग और कई कम्प्यूटर की जरुरत पड़ती है। पर हर इंसान अपने घर पर बैठकर काम कर सकता है और आपस में फोन या ईमेल से सलाह मशविरा कर किसी भी एनीमेशन फिल्म या सीरीज को अंतिम अंजाम तक पहुॅचा सकते हैं।इतना ही नहीं अब तो ऐसी तकनीक आ गयी है कि एक दो नहीं पचास या उससे अधिक कम्प्यूटर भी एक दूसरे से ‘रिमोट कंट्रोल’ द्वारा जुड़ सकते हैं। कहने का अर्थ यह है कि जब तक हालात सामान्य नही होेते,जब तक फिल्म व सीरियल की शूटिंग शुरू करना सहज न हो,तब तक हर किसी को एनीमेशन के क्षेत्र में काम करना चाहिए। इससे तमाम शिक्षित बेरोजगारों को भी काम करने का अवसर मिलेगा।इससे भारत में एनीमेशन इंडस्ट्री का भी विकास होगा। इसे सरकार की ‘स्टार्ट अप’’योजना के तहत भी शुरू किया जा सकता है।

ए पी बजाज ने तीस वर्ष पहले देखा था सपना

    आज एनीमेशन सीरीज‘‘मोटू पटलू’’से कोई अनजान नही है। निकोलडन चैनल पर 2012 में एनीमेशन सीरीज‘‘मोटू पटलू’’की शुरूआत करवाने का श्रेय ‘मायापुरी’ और‘लोटपोट’पत्रिका के अमन बजाज ,फिल्मकार केतन मेहता और नीता जयपुरिया को जाता है।अब तक इसके आठ सौ एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं। हर दिन नए एपिसोड प्रसारित हो रहे है।इसके कई एपिसोड तो विदेशी धरती पर भी फिल्माए जा चुके हैं। हर वर्ष इसे पुरस्कार मिलता है।‘मोटू पटलू’की लोकप्रियता का आलम यह है कि यह अब तो दिल्ली के ‘‘मैडम तुशाद’’ म्यूजियम तक पहुॅच गए हैं। ‘मोटू पटलू’’ को मिली लोकप्रियता के पीछे लोग अमन बजाज की सोच व दृष्टि को ही श्रेय देते हैं,मगर बहुत कम लोगों का पता होगा कि एनीमेशन के क्षेत्र में एक नई आशा का जो बिगुल बजा हुआ हैं,

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

उसका पहला सपना आज से तीस वर्ष पहले 1990 में अमन बजाज के दादाजी और ‘‘मायापुरी’’ पत्रिका के प्रकाशक व संपादक स्व.ए पी बजाज ने देखा था। स्व. ए पी बजाज का मानना था कि सफलता उसी के कदम चूमती है जो लकीर का फकीर बनकर काम करने की बजाय नई सोच व नई कल्पना के साथ किसी काम की शुरूआत पहली बार करता है।अपनी इसी सोच के चलते ए पी बजाज ने अपने प्रिय पोते अमन बजाज को एनीमेशन फिल्म मेकिंग की शिक्षा दिलवाने के साथ ही तीस वर्ष पहले ‘एप्पल’ के तीस कम्प्यूटर विदेश से मंगवा कर दिए थे।जिन पर अमन बजाज ने खुद छोटी छोटी एनीमेशन फिल्में बनाने के साथ ही हाईस्कूल फेल बच्चों को बैठाकर एनीमेशन की शिक्षा देना शुरू किया था।अमन बजाज ने सबसे पहले अपनी ‘‘लोट पोट’’ पाक्षिक पत्रिका के अति लोकप्रिय किरदारों मोटू पटलू को लेकर कुछ एनीमेशन लघु फिल्में बनानी शुरू कीं. उस वक्त अमन बजाज के निर्देशन में नाॅन मैट्रिक शिक्षित बच्चे एनीमेशन में ‘मोटूू पटलू’के वीडियो बनाया करते थे।उस वक्त वीएफएक्स का उपयोेग नही हो रहा था।और ‘‘मोटू पटलू’’के एनीमेशन वाले वीडियो खूब बिका करते थे।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

    2010 में अमन बजाज के दिमाग में ‘मोटू पटलू’को मुख्य किरदार में लेकर सिनेमाघरों के लिए एक लंबी एनीमेशन फिल्म बनाने का ख्याल आया और इस दिशा में उन्होने काम करना शुरू किया।इसी दौरान वह मुंबई आए,तो ‘माया एनीमेशन इंस्टीट्यूट’चला रहे फिल्मकार केतन मेहता से अमन बजाज की मुलाकात हुई। केतन मेहता और अमन बजाज की मुलाकात रंग लायी। तथा अमन बजाज से मोटू पटलू के किरदारों को लेकर केतन मेहता ने काम करना शुरू किया और फिर निकोलडन चैनल की नीता जयपुरिया भी इससे जुड़ गयीं। तथा 2012 से ‘मोटू पटलू’ एनीमेशन सीरीज का प्रसारण शुरू हुआ। ज्ञातव्य है कि केतन मेहता ने उस वक्त महज दस लोगों के साथ कंपनी शुरू की थी,आज उनकी एनीमेशन कंपनी ‘‘काॅसमाॅस माया’’में ढाई हजार से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं।

    2012 से पहले एनीमेशन में अंग्रेजी कार्यक्रम ही प्रसारित हुआ करते थे।उस वक्त फिल्मकारों की सोच थी कि दर्शकों को एनीमेशन में भारतीय किरदार पसंद नहीं आएंगे,पर ‘‘मोटूू पटलू’’ने इस सोच को धराशाही कर दिया। शायद इसकी एक वजह यह भी रही होगी कि लोग बचपन से ‘‘लोटपोट’’पत्रिका और‘‘मोटू पटलू’’ किरदारों को पढ़ते रहे हैं, इसलिए वह तुरंत इससे जुड़ गए।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

    उसके बाद ‘‘मायापुरी’’और ‘‘लोटपोट’’ के लिए ही अमन बजाज ने एनीमेशन सीरीज ‘‘शेख चिल्ली’’बनाया,जो कि डिस्कवरी चैनल पर प्रसारित हो रहा है।

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    स्व.ए पी बजाज की ही तरह उनके पोते अमन बजाज की सोच भी हमेशा कुछ नया और समय से पहले करने की रही है।मसलन-यश्ष चोपड़ा ने फिल्म‘‘लम्हे’ आज के समय से 20-25 साल पहले बनायी थी, जबकि ‘लम्हे’की कहानी तो वर्तमान जमाने की है। जो इंसान समय से पहले भविष्य के बदलावों पर नजर रखकर कुछ नया करता है,उसे सफलता मिलती ही है। ऐसे इंसान ही एक नई लकीर खींचने में कामयाब होते हैं।

    इतना ही नहीं ‘‘मोटू पटलू’’ ने कुछ लोगों की नींद हराम की। तब बाॅलीवुड के एक चर्चित निर्माता ने अमन बजाज के साथ बातचीत की और एक नई तरह की सीरीज पर काम करने पर सहमित बनी थी। मगर कुछ वजहों से उस निर्माता को अपने कदम पीछे लेने पड़े। इस संदर्भ में अमन बजाज कहते हैं-‘‘जब हम किसी क्षेत्र में काम करते हैं,तो कई लोगों से मुलाकाते होती रहती हैं। पर हर कोई हर काम कर ले,यह जरुरी नही।हमने कई फिल्मकारो को सलाह दी थी कि किस तरह उनकी चर्चित फिल्मों के लोकप्रिय किरदारों को लेकर एनीमेशन पात्र बनाकर कई एनीमेशन सीरीज की फ्रेंचाइजी विकसित की जा सकती हैं।कुछ लोगों ने हमारे साथ काम नहीं किया,पर हमारे‘मोटू पटलू’ से प्रभावित होकर नकल कर सीरीज बना रहे हैं।’’

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    लाॅक डाउन के दौरान अमन बजाज हाथ पर हाथ रखकर बैठे नही रहे। इस बीच वह अपनी टीम के साथ लगातार काम करते रहे।चर्चा है कि लाॅक डाउन के ढाई माह के अंदर अमन बजाज ने कुछ एनीमेशन किरदार और काॅसेप्ट पर काम किया है। इस बारे में जब उनसे पूछा गया,तो उन्होने कहा -‘‘हम तो लगातार कुछ न कुछ नया करने के प्रयास में लगे रहते हैं। हमारी सोच यह है कि हम किसी को दोष देने या किसी को गाली देने या किसी को कोसने में समय बर्बाद करने की बजाय निरंतर शांत मन से कुछ नया करते रहना चाहते हैं। हमारे लिए तो ‘लाॅक डाउन’ खुशी का पैगाम लेकर आया। इस दौरान लोगो का आना जाना कम हुआ,तो हम ज्यादा गंभीरता और डेडीकेशन के साथ कुछ नया काम कर पाए।जी हाॅ!हमने इस दौरान कुछ काम किया है,जो जल्द लोगों के सामने आएगा।’’

    ऐसा नही है कि किसी अन्य फिल्मकार का ध्यान एनीमेशन की तरफ नहीं गया।कुछ लोग प्रयास कर चुके हैं। मसलन -रोहित शेट्टी ने अमन बजाज की कार्यशैली से प्रभावित होकर अपनी फिल्म ‘‘गोलमाल’’में एनीमेशन का हिस्सा जोड़ा था।जबकि फरहान अख्तर ने फिल्म ‘फुकरे’में एनीमेशन का हिस्सा जोड़ा था।‘यशराज फिल्म्स’के आदित्य चोपड़ा ने फिल्म‘हम तुम’और ‘तारा रम पम’ में कुछ एनीमेशन का प्रयोग किया था।धीरे धीरे सभी फिल्म वाले एनीमेशन की तरफ बढ़ रहे हैं,मगर सभी अभी भी सिर्फ प्रयोग ही कर रहे हैं,और अब जबकि ‘लाॅक डाउन’के वक्त इस पर तेजी से काम किया जाना चाहिए था,तब किसी का ध्यान इस तरफ नही गया।

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    अब केतन मेहता ने अरबाज खान के साथ मिलकर उनकी फिल्म ‘‘दबंग’के चुलबुल पांडे सहित सभी किरदारों को लेकर 52 एपिसोड की ‘दबंग’ सीरीज बनायी हैं। जबकि ‘दबंग’ सीरीज की दूसरी फिल्म पर भी एपीसोड बन रहे हैं,जो कि 2021 में बाजार में लाए जाएंगे। तो वहीं अब रिलायंस भी इस दिशा में कुछ काम कर रहा है।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

    बच्चों को एनीमेशन सिखाना आसान है। एक बार जब बच्चे एनीमेशन के किरदार से जुड़ जाते हैं,तो उनका उनसे ऐसा लगाव पैदा हो जाता है कि उनके दिमाग में स्वयं उन किरदारो को लेकर कहानी के नए नए आइडिया आने लगते हैं।यही वजह है कि ‘मोटू पटलू’के साथ नए नए कहानी आइडिया पर लगातार काम हो रहा है।

कोरोना काल की जरुरत है एनीमेशन फिल्म व एनीमेशन सीरीज के निर्माण क्षेत्र में सक्रिय होना

    एनिमेटेड किरदार ‘छोटा भीम ’पर कई चरण में फिल्में बन चुकी हैं।‘‘डायमंड काॅमिक्स’’ने ‘‘लोटपोट पत्रिका’’के किरदार चाचा चौधरी को खरीदकर उस पर एनीमेशन व कार्टून फिल्में बनाने में व्यस्त है। राज काॅमिक्स वाले भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। कुछ नए एनीमेशन सीरीज ‘कार्टून ’चैनल पर भी प्रसारित हो रहे हैं।

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    कुल मिलाकर इन दिनों कोरोना और लाॅक डाउन के चलते जो हालात हैं,उसके मद्देनजर जरुरी है कि जब तक हालात सामान्य नही हो जाते तब तक हर फिल्मकार एनीमेशन की तरफ बढ़े।इस तरह फिल्म इंडस्ट्री के हालात भी कुछ हद तक सुधारे जा सकते हैं। एनीमेशन इंडस्ट्री का फिल्म उद्योग के अंदर ‘कुटीर उद्योग’की तरह जाल बिछाना आसान है।

शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

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