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क्या सच में पेड रिव्यू देते हैं क्रिटिक्स ?

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By Pankaj Namdev
क्या सच में पेड रिव्यू देते हैं क्रिटिक्स ?
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बॉलीवुड में कई फिल्में ऐसी होती है जो दर्शकों तक नही पहुंचती हैं और कई फिल्में ऐसी होती हैं जिसे क्रिटिक दर्शकों तक नही पहुंचने देते हैं। जी हां क्रिटिक या फिर फिल्म अलोचक फिल्म क्रिटिक का काम होता है किसी फिल्म का रिव्यू (समीक्षा) यानि किसी फिल्म के बारे में बताना की फिल्म कैसी है देखी जा सकती है या नही किसकी एक्टिंग, कहानी अच्छी है या म्यूजिक किस प्रकार का है वगैरह-वगैरह मतलब फुल टू फिल्म के बारे में बताना जैसे आप उस रिव्यू को पढ़े तो आप उसे इमेजिन करने लग जाएं और अगर आप किसी क्रिटिक का रिव्यू पढ़कर उसे इमेजिन ना कर पा रहे हैं तो वो क्रिटिक की गलती है आपकी नही। हम यहां आपको सिर्फ ये बताने की कोशिश कर रहे हैं की एक फिल्म के हिट होने में क्रिटिक, फिल्म का ट्रेलर, फिल्म का प्रमोशन और फिल्म की माउथ पब्लिसिटी जी हां माउथ पब्लिसिटी वही जैसे आपका दोस्त फिल्म देखकर आया और उसने आपको बताया की फिल्म अच्छी नही या अच्छी है या वन टाइम वॉच है। जिसके बेहाफ पर हम तय करते है की फिल्म देखने जाए या नही।

दरअसल हाल ही में सलमान खान की फिल्म 'दबंग 3' रिलीज हुई है जिसे बॉक्स ऑफिस पर उस प्रकाऱ की सक्सेस नही मिल रही है जिस तरह की सक्सेस सलमान की पिछली आई कुछ फिल्मों को मिली थी। सबको पता है सलमान की फिल्में सिर्फ इंटरटेनमेंट की लिए होती है। और सलमान के फैंस भाई की फिल्मों के लिए बैचेन रहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कई फिल्म क्रिटिक ने सलमान की 'दबंग 3' की धज्जियां उड़ाई है। वही ट्विटर पर भी फिल्म देखने के बाद कई लोगों के निगेटिव रिएक्शन आए हैं। लेकिन फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श ने अपने रिव्यू में फिल्म को इंटरटेनिंग बताया है साथ ही उन्होंने उस फिल्म को 3.5 रेटिंग दी है।

वही पिछले साल क्रिसमस पर शाहरुख खान की फिल्म 'जीरो' आई थी जिसे तरण आदर्श ने (FIASCO) कहा था यानि रंग में भंग असफल फिल्म वही रेटिंग की बात करें तो उन्होंने 'जीरो' को 1.5 रेटिंग दी थी।

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वही कई क्रिटिक ने फिल्म को अच्छा कहा था नेशनल अवॉर्ड विनिंग क्रिटिक भारद्वाज रंगन ने अपने रिव्यू में फिल्म के बारे में कहा था की फिल्म जीरो लोगों के दिल को छू जाएगी लोग इसकी स्टोरी को तहेदिल से अपना सकेंगे। वही उन्होंने 'जीरो' को 3.5 रेटिंग दी थी।

क्रिटिक राजा सेन ने भी 'जीरो' को 3.5 रेटिंग दी थी। रचित गुप्ता ने 3 रेटिंग दी थी। वही कई लोगों को फिल्म पसंद भी आई थी। इतना ही नही तरण आदर्श के 'जीरो' को 1.5 रेटिंग देने की वजह से ट्विटर पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था। इतना ही नही ट्विटर पर #PaidCriticTaranAdarsh

ट्रेंड भी किया था।

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हम सिर्फ यहां बताने की कोशिश कर रहे हैं की एक नेशनल अवॉर्ड विनिंग क्रिटिक फिल्म को 3.5 स्टार देता है और वही तरण आदर्श फिल्म को 1.5 रेटिंग देता है। आखिर ये क्यों क्या सच में पेड ((Paid) रिव्यू होता है। अगर होता है तो क्या तरण आदर्श पेड (Paid) रिव्यू करते हैं। क्योंकि दबंग 3 सिर्फ सलमान फैंस के लिए बनी है।

खैर जो भी हो मेरी पर्सनल राय है एक फिल्म को बनने के पीछे लगभग 250 लोगों का हाथ होता है करोड़ो रुपये का बजट होता है। इसलिए किसी भी फिल्म को देखने से पहले अपनी निगेटिव राय ना बनाए फिल्म को खुद देखें समझे परखे हो सकता है आपको फिल्म पसंद आए या ना पसंद आए लेकिन आपको इसका अफसोस तो नही होगा की हमने एक अच्छी फिल्म मिस कर दी है या हमें ये फिल्म मिस करनी चाहिेए थी।

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