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डैडी, वही 1989 की फिल्म, जो महेश भट्ट के निर्देशन में बनी थी। फिल्म की कहानी ने पिता-बेटी के अनमोल रिश्ते में एक समझ विकसित की थी। भले ही ये फिल्म 30 साल पुरानी थी, लेकिन इसके दर्शक आज भी पीढ़ी भी है। तभी तो महेश भट्ट और उनकी बेटी पूजा भट्ट के 'डैडी' के नाट्य रूपांतरण को देखने के लिए मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर का हॉल खचाखच भरा था। भले ही किरदार बदले, स्थान बदला, निर्देशक बदला था लेकिन एक बात थी जो नहीं बदली थी वो थी कहानी की रूह। बाप-बेटी के रिश्ते की एक भावनात्मक दास्तां बयां करती डैडी दर्शकों को इस कदर झकझोर देती है कि आखिरी सीन तक हर दर्शक की आंखों में नमी बैठी होती है।
यूं अच्छे डैडी बने महेश भट्ट
श्रीराम सेंटर में ही महेश भट्ट ने अपनी जिंदगी के भी राज खोले, जब वो बताते हैं कि कैसे उन्होंने 30 साल से शराब को हाथ नहीं लगाया है। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी दूसरी बेटी शाहीन की एक हरकत ने उन्हें शराब से दूर कर दिया। महेश भट्ट बताते हैं, एक रात मैंने अपनी बेटी को गोद लिया। मैंने खूब शराब पी हुई थी। उसने मुझसे मुंह फेर लिया। वही वक्त था, जब मैंने फैसला किया कि अब शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा। अपनी बेटी से मिली जिल्लत नहीं झेली गई।
कुछ ऐसा ही अनुभव पूजा भट्ट ने भी साझा किए। शादी टूटने के बाद वो बेहद शराब पीने लगी थीं। एक दिन उन्होंने अपने पिता को मैसेज किया। उस पर उनके पिता का जो जवाब आया वो कुछ यूं था कि खुद से प्यार करो, वो बहुत जरूरी है। भट्ट कहते हैं कि उसके बाद फोन पर बात हुई, जिसमें खमोशी थी, दरअसल, खामोशी जो कुछ कह जाती है, वो अल्फाज बयां नहीं कर सकते। पूजा भट्ट ने उस रोज शराब छोड़ दी। हाल ही दिल्ली में आयोजित हुए नौवें जागरण फिल्म फेस्टिवल में पूजा भट्ट ने बातचीत के दौरान भी बताया कि शराब छोड़ने की अपनी दास्तां को उन्होंने किताब में बयां किया है। ये किताब जल्द ही प्रकाशित होगी।