स्मिता पाटिल
अपने समय की फिल्मों में बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हुआ था। हालाँकि 1986 में उनके जीवन का दुखद अंत हुआ था, लेकिन उन्होंने हिंदी, मराठी और मलयालम में एक दशक से ज्यादा के करियर में 80 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। पुणे फ़िल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की पूर्व छात्रा, उन्होंने 1975 में श्याम बेनेगल की चरणदास चोर के साथ फिल्मों में एंट्री की और जल्दी ही समानांतर सिनेमा जिसमें मंथन, भूमिका और ऐसी ही कई फ़िल्में शामिल हैं ।
अपने दौर में एक के बाद एक बेहतरीन फिल्में देने वाली स्मिता पाटिल ने अभिनेता राज बब्बर से शादी की थी। 13 दिसंबर, 1986 को, प्रेग्नेंसी में आ रही दिक्कतों की वजह से 31 साल की बेहद कम उम्र में ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके बेटे प्रतीक बब्बर ने 2008 में बॉलीवुड में एंट्री की। स्मिता पाटिल की पुण्यतिथि पर हम आपको बता रहे हैं उनकी ऐसी 5 फिल्में, जो आप सभी को जरूर देखनी चाहिए...
मंथन (1976)
श्याम बेनेगल के निर्देशन में वर्गीस कुरियन के दूध सहकारी आंदोलन से प्रेरित इस फिल्म में होकर स्मिता पाटिल, गिरीश कर्नाड, नसीरुद्दीन शाह और अमरीश पुरी ने अभिनय किया। भारत की श्वेत क्रांति की पृष्ठभूमि के बीच, यह भारत की पहली ऐसी फिल्म थी जिसे बनाने के लिए लोगों से चंदा इकट्ठा किया गया था। इस फिल्म को हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए 1977 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और विजय तेंदुलकर के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। यह फिल्म 1976 के लिए ऑस्कर में भारत की ऑफिशियल एंट्री भी थी।
आक्रोश (1980)
गोविंद निहलानी द्वारा निर्देशित फिल्म आक्रोश में स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी और अमरीश पुरी ने अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म को मुख्य भूमिकाओं में और हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए 1980 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने के लिए गई थी। समकालीन समाज के भ्रष्टाचार पर एक तीखा व्यंग्य और फिल्म कथित तौर पर एक स्थानीय समाचार पत्र में बताई गई सच्ची घटना पर आधारित थी।
चक्र (1980)
इस फिल्म में स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह और कुलभूषण खरबंदा ने मुख्य भूमिकाओं निभाई थी । ये फिल्म में दिखाया गया कि कैसे अम्मा (पाटिल) और उनके बेटे को उनके गाँव से भाग जाने के बाद बॉम्बे की झुग्गी-बस्तियों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।। वे उसके पति द्वारा साहूकार को मारने के बाद भाग जाती हैं जिसने उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की।
आखिर क्योँ ? (1985)
फिल्म में राजेश खन्ना, टीना मुनीम, स्मिता पाटिल और राकेश रोशन ने अभिनय किया। यह फिल्म एक सराहनीय कार्य था जिसने एक महिला के जीवन को विस्तृत किया, जो अपने वैवाहिक जीवन के झूठ से टूट गई, वह वास्तविक दुनिया में अपने लिए एक नाम अंकित करने के लिए अपने पति और बेटी को पीछे छोड़ देती है। फिल्म में स्मिता पाटिल ने नायक की भूमिका निभाई।
नज़राना (1987)
रवि टंडन की फिल्म, जिसमें स्मिता पाटिल, राजेश खन्ना और श्रीदेवी ने अभिनय किया, यह फिल्म स्मिता पाटिल के निधन के एक महीने बाद रिलीज़ हुई थी और उनकी याद में समर्पित की गई। रिश्तों और मामलों पर बनी इस फिल्म में स्मिता पाटिल ने राजेश खन्ना के साथ एक गृहिणी का किरदार निभाया था, जिसकी ज़िंदगी उस समय बेहद खराब हो जाती है जब एक जानी-मानी मॉडल ने उसके पति के बारे में अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया। श्रीदेवी, उनकी कामवाली की भूमिका निभाती हैं, उनका भी फिल्म में महत्वपूर्ण रोल है।
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