अभी तक तो मुस्लिम समुदाय के मौलवी ही इस्लाम के खिलाफ बोलने या चलने वालों को मारने के लिये फतवा देते हुये एक खास रकम का एलान करते आये हैं लेकिन अब इनमें हिन्दू कट्टरपंथी संगठन भी शामिल हो गये हैं। इन दिनों कुछ राज्यों में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ का इतिहास में दख्लअंदाजी के लिये विरोध किया जा रहा था लेकिन नायिका दीपिका पादुकोण के खिलाफ फतवा देने की पहल करने वाले मेरठ के क्षत्रीय युवा महासभा ने दीपिका की गर्दन काटकर लाने वाले के लिये पांच करोड़ की इनामी घोषणा की है। इससे पहले क्षत्रीय महासभा ने इलाहाबाद में सारनाथ एक्सप्रैस रोक कर फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन किया।
दूसरी तरफ करणी सेना के लोकेन्द्रनाथ ने कहा कि अगर हमें उकसाना जारी रखा गया तो हम दीपिका की नाक काट देगें। एक और हिंदू संगठन राजपूत शौर्य फाउंडेशन ने धमकी दी है कि उनका सगंठन पूरे देश में फिल्म रिलीज नहीं होने देगा। यूपी सरकार ने तो पहले ही केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर जता दिया कि प्रदेश में फिल्म रिलीज के बाद शांति भंग हो सकती है। केन्द्र सरकार का कहना है कि बेशक उनकी नजर फिल्म के खिलाफ प्रर्दशन कारियों पर है, लेकिन फिलहाल उनका दख्ल देने का कोई इरादा नहीं।
क्यों नही जाता इन धमकियों पर सरकार का ध्यान
एक तरफ कहा जाता है कि किसी की जान लेना या जान से मारने की धमकी देना एक जघन्य अपराध है तथा किसी को जान से मारने की सुपारी देना किसी के कत्ल में शामिल होने जैसा गंभीर अपराध माना जाता है। परन्तु इन दिनों विभिन्न संगठन किसी को भी जान से मारने का फतवा जारी कर उस पर बाकायदा इनाम की भी घोषणा करने लगे हैं। क्या सरकार का ध्यान इन कानून तोड़ने वाली धमकियों पर नहीं जाता।