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क्या कला जीवन का प्रतिबिम्ब है या जीवन कला का प्रतिबिम्ब है? सोनी सब के शो ‘दिल दियां गल्लां’ की अमृता के लिये तो जीवन यकीनन कला का प्रतिबिम्ब लगता है. गलत समझी गईं परिस्थितियों, आहत भावनाओं और अपने-अपने मतों के चलते टूटे हुए एक परिवार की कहानी दिखाने वाले ‘दिल दियां गल्लां,जैसे शो में काम करने से कावेरी प्रियम को अपने रिश्तों का महत्व और यह समझने में मदद मिली है कि बातचीत कितना मायने रखती है.
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कावेरी प्रियम ने बताया कि ‘दिल दियां गल्लां’ में अमृता का किरदार निभाने के बाद उनके जीवन में रिश्तों ने उन पर कैसा असर डाला.
“अमृता का किरदार निभाते हुए मुझे कुछ वक्त हो गया है और मुझे कहना ही होगा कि इस शो ने जिन्दगी की पेचीदगियों और बातचीत के अभाव में लोगों का एक-दूसरे से दूर होना जिस तरह दिखाया है, वह तारीफ के काबिल है. मैं सोचती हूँ कि ‘दिल दियां गल्लां’ में काम करने से मुझे अपने पैरेंट्स की भावनाओं और जज्बातों का ज्यादा खयाल रहने लगा है. अब मैं अपने लोगों को खास होने का एहसास देती हूँ और उन्हें प्यार और वक्त भी देती हूँ, जो उन्हें चाहिये. परिवार से दूर एक अलग शहर में रहना आसान नहीं होता है.समय के साथ आप सीखते हैं; हालांकि खालीपन फिर भी बना रहता है, जिसे आपके पैरेंट्स ही भर सकते हैं.अच्छी बात यह है कि मेरा परिवार और पैरेंट्स बहुत प्यार करने वाले हैं, जिन्होंने मेरे सफर के हर हिस्से में हमेशा मेरा साथ दिया है और इसलिये मैं बहुत आभारी हूँ.
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उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि अपनी निजी और कामकाजी जिन्दगी के बीच संतुलन के लिये बातचीत सबसे बढ़िया तरीका है. अगर आप अपने करीबी लोगों से बातचीत जारी रखते हैं, तो गलतफहमियों की कोई जगह नहीं रहेगी. व्यस्त शेड्यूल के कारण मैं अक्सर अपने पैरेंट्स से बात नहीं कर पाती हूँ, लेकिन ब्रेक के दौरान उनसे बात करने की कोशिश करती हूँ, ताकि उन्हें भी मेरे दिन की जानकारी रहे. और मुझे लगता है कि ‘दिल दियां गल्लां’ में एक नया परिवार और अमृता जैसा किरदार मिलना मेरी अच्छी किस्मत है, क्योंकि यह थोड़े ही वक्त में मेरे लिये काफी महत्वपूर्ण हो गया है.
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देखते रहिये ‘दिल दियां गल्लां‘ हर सोमवार से शनिवार शाम 7:30 बजे सिर्फ सोनी सब पर.
Jayati Doshi
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