बॉलीवुड ही नही, बल्कि भारत के मशहूर लेखक- गीतकार , शायर, कवि, स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर को लंदन की एक यूनिवर्सिटी SOAS ने डॉक्टरेट ( डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) की मानद उपाधि से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उपाधि अलंकरण समारोह सितंबर में होगा. इस आशय का एक पत्र जावेद अख्तर के पास आचुका है. जावेद साहब इस सम्मान की खबर पर खुश ही नहीं वेहद खुश हैं और वह सम्मान लेने जाएंगे भी, उन्होंने अपनी प्रसन्नता व्यक्त किया है. भारत सरकार के सम्मान पद्मश्री और दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से अलंकृत हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के इस विद्वान लेखक को सम्मानित किए जाने पर सभी को प्रसन्नता है. उन्हें बधाइयां दी जा रही हैं.
हालांकि आज के इस दौर में बॉलीवुड में बटने वाले अवार्डस, सम्मान, ट्रॉफीयां और सफलता की पार्टियां सब बेमानी हो गयी समझी जाने लगी हैं. अब यहां के लोगों में बटने वाले गैर सरकारी सम्मानों की स्तरीयता भी स्तर खो बैठी है.दादा साहब फाल्के के नाम से कई अवार्ड कम्पनियां अवार्ड देने का बिजनेस चला रही हैं. फाल्के अवार्ड, अम्बेडकर अवार्ड, गिनीज बुक अवार्ड और उसी तरह सितारों को डॉक्टरेट की उपाधि दिए जाने के मानद अवार्डों की खबरें भी आती रहती है.कई विदेशी यूनिवर्सिटियां मानद डॉक्टरेट की उपाधि हिंदी फिल्मों के कई सितारों को दे चुकी हैं. ऐसी खबरें सुनकर ही दिमाग मे कई तरह के सवाल घुमड़ने लगते हैं कि क्या अब एजुकेशन और परिश्रम से सम्मान पाने का कोई अर्थ ही नहीं रह गया है? कुछ सितारों का सम्मान सुनकर गर्व महसूस होता है तो कईयों के नाम के आगे (डॉ.) डॉक्टर लिखा हो सोचकर हैरानी होती है.अमिताभ बच्चन के लिए अभिनय का 'डॉक्टर' शब्द इस्तेमाल किया जाए तो जायज है. लेकिन, कोई भी स्टार विदेशी यूनिवर्सिटियों से सम्मानित किया जाए, कैसे संभव है.तब जब विदेशी यूनिवर्सिटियों के पास नाम की एक हिंदी फेकल्टी हो. इनमे से कई यनिवर्सिटियाँ गर्व महसूस कराती हैं तो कईयों का हम नाम भी नही जानते. अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन जैसे सितारों को डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली हुई है.
हलांकि ये सितारे अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' लिख कर खुद को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर कहलवाना पसंद नहीं करते. जहां तक जावेद अख्तर के लिए सम्मान दिए जाने की बात आती है तो हम यही कहेंगे कि उनका सम्मान करके कोई भी यूनिवर्सिटी स्वयं सम्मानित होगी
जावेद अख्तर का नाम बॉलीवुड के बहाने साहित्य से गहराई से जुड़ा हुआ है.सलीम-जावेद जोड़ी के रूप में हिंदी सिनेमा को पर्दे पर जावेद साहब ने लेखकों को सम्मान दिया है. उनकी लिखी तमाम फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है.उसी तरह उनके लिखे गए यादगार गीतों का लंबा सिलसिला है.वह 15 बार फिल्म फेयर अवार्ड पानेवाली शख्शियत हैं.8 बार स्क्रिप्ट के लिए और 7 बार अपने लिखे गीतों के लिए. भारत सरकार के श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री और पद्म भूषण से उनको नवाजा जा चुका है.उनके लिखे पर रिसर्च किया जा रहा होगा बहुत सम्भाव्य है. इनदिनों वह एक नए अंदाज की स्क्रीन राइटिंग (कॉमिक बुक आर्ची पर पटकथा) लिखे हैं जिसमे शाहरुख खान की बेटी सुहाना, श्री देवी की दूसरी बेटी खुशी और अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा को पर्दे पर शुरुवात दी जा रही है. यह फिल्म उनकी ही बेटी जोया अख्तर बना रही हैं. जावेद अख्तर का व्यक्तित्व ऐसा है कि कुछ समय पहले ही वह फ़ैज की स्मृति में शामिल होने पाकिस्तान गए तो वहां पाकिस्तानी बुद्ध जीवियों को खरी खरी सुना कर आगए.
ऐसे 78 वर्षीय जावेद अख्तर को अगर कोई यूनिवर्सिटी डॉक्टरेट (ऑनरेरी) की उपाधि से नवाजती है तो वह बॉलीवुड के दूसरे सितारों को दी जाने वाली मानद उपाधि से तुलना करने जैसी बात नहीं है. वह दूसरों से अलग हैं.सच तो यह है कि वे ऐसे लेखक-गीतकार, पट कथाकार , शायर और एक्टिविस्ट हैं जिनपर रिसर्च किया जाना चाहिए. 'डॉक्टरेट' जावेद अख्तर को दिए जाने की चीज नहीं, उनपर डॉक्टरेट किया जाना चाहिए.