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पुणे के श्रीकांत केट ने लगातार दो बार परिवार सहित ऑक्सफेम ट्रेलवाकर चुनौती में भाग लेकर प्रवासी मज़दूरों के प्रति ऐक्यभाव दिखाया

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By Mayapuri Desk
पुणे  के श्रीकांत केट ने लगातार दो बार परिवार सहित ऑक्सफेम ट्रेलवाकर चुनौती में भाग लेकर प्रवासी मज़दूरों  के प्रति ऐक्यभाव दिखाया
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श्रीकांत केट एक तकनीकी इंजीनियर हैं और लॉकडाउन के वक़्त  उन्होंने अपनी पत्नी के साथ  ऑक्सफेम 'वर्चुअल' ट्रेलवाकर चुनौती के पहले अंक में भाग लिया. और अब वह सपरिवार चुनौती के दूसरे भाग का हिस्सा बने हैं . वे कहते हैं, 'मेरी पत्नी शिल्पा और मैंने इस बार पंद्रह अगस्त मनाया ऑक्सफेम की  १००  किलोमीटर चुनौती को पूरा कर के. ऐसा करके मुझे बेहद ख़ुशी हुई क्योंकि मैं हमेशा किसी अच्छे कार्य के लिए इस चुनौती को पूरा करना चाहता था. यह एक मौका था समाज के लिए कुछ करने का और मैं ऑक्सफेम का आभारी  हूँ  की उन्होंने मुझे प्रवासी मज़दूरों की मदद करने का अवसर दिया. चुनौती 'वर्चुअल' थी पर फिर भी इसे पूरा कर के मानसिक और शारीरिक स्फूर्ति का अनुभव हुआ.  मुझे ख़ुशी है की मैं और मेरी पत्नी इस कार्य को पूरा कर पाए हालाँकि हमारी एक नन्ही बेटी है, शौर्या और हमारी कई व्यक्तिगत और व्यावसायिक  ज़िम्मेदारियाँ भी हैं। '

पुणे  के श्रीकांत केट ने लगातार दो बार परिवार सहित ऑक्सफेम ट्रेलवाकर चुनौती में भाग लेकर प्रवासी मज़दूरों  के प्रति ऐक्यभाव दिखाया

श्रीकांत चाहते हैं की उनके साथ और भी कई लोग ऑक्सफेम के उन प्रयासों का हिस्सा बनेंगे जो लोगों तक मदद पहुँचाने का काम करते हैं.  उनका कहना है, 'इस बार ऑक्सफेम ने प्रवासी मज़दूरों के तरफ मदद का हाथ बढ़ाया और हर साल वे ऐसा ही एक अभियान चलाते हैं किसी एक ख़ास मुद्दे को लेकर. ये संस्था बहुत उदार और पारदर्शी है और हम सभी को इसका  हाथ बंटाना  चाहिए, किसी  के काम आना चाहिए और साथ ही अपने स्वास्थ्य को भी बेहतर  बनाना चाहिए. '
ट्रेलवाकर का  यह अंक नवम्बर २९ को समाप्त होगा. इस अभियान से जुटाई  गयी राशि न सिर्फ  कोविड -१९ सम्बंधित राहत  कार्य के काम आएगी बल्कि   ऑक्सफैम के   #RightsOverProfits अभियान को भी सशक्त करेगी.  यह अभियान  सरकार के सामने  कुछ खास मांगे रख रहा है. जैसे की सरकार निजी स्वास्थ्य  सेवाओं को विनयमित करे ताकि सभी मरीज़ों को सही और सस्ता इलाज मिले।  साथ ही मांग की जा रही है  की  जन  स्वास्थ्य सेवाओं को हर एक भारतीय के लिए बेहतर और सुलभ बनाया जाये.

ऑक्सफेम इंडिया एक जन  आंदोलन है जो जातीय, सामाजिक और आर्थिक पक्षपात  से  परे,  एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहाँ आदिवासी, मुस्लिम, दलित , महिलाएं एवं बच्चियां स्वाभिमान और सुरक्षा से  अपनी बात कह सकें और एक निरपेक्ष समाज में पूरे अधिकारों सहित जी सकें।
ऑक्सफेम इंडिया असमानता  का समापन करने में निरंतर प्रयासरत है और कोशिश करता है की हाशिये पे रहने वाले भारतीयों   को अच्छी नौकरियां , मुफ्त शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य  सेवाएं मिलें. ऑक्सफेम इंडिया की मांग हैं की सरकार   संविधान में निहित वैयक्तिक और समाजिक समानता का सम्मान करे।   साथ ही ऑक्सफेम हर उस  नागरिक की मदद करने का प्रयास करता है जो निर्धन है और किसी भी प्रकार की आपदा से ग्रस्त है.

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