कमलोग जानते हैं गणपति महोत्सव को जन जन तक पहुचाने की शुरूआत हुई है बाॅलीवुड के स्टूडियोज से ! By Mayapuri 04 Sep 2022 | एडिट 04 Sep 2022 12:30 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर ‘निर्विघ्नम कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा!’ निश्चय ही हमारे देश मे हर कार्य की शुरूआत इस मंत्र से होती है. आदि देव गणेश के पूजा से ही हर कार्य के किए जाने की सदियों पुरानी परंपरा है. मगर ‘गणपति उत्सव’ मनाने की परंपरा जो आज पूरे देश मे फैल चुकी है, बहुत पुरानी नहीं है. सब जानते हैं स्वर्गीय बाल गंगाधर तिलक ने गणपति का आयोजन पहली बार पुणे (महाराष्ट्र) में किया था. तब सोच थी कि परतंत्र भारतवासी एक जगह पूजा के बहाने इकट्ठा होकर अपने आका अंग्रेजों को बता सकें कि हम भी कम नहीं हैं. मतलब था आजादी के आंदोलन के समय अपनी संख्या बल का प्रदर्शन करना. बाल गंगाधर तिलक की इस सोच का स्वागत सबसे पहले फिल्मकारों ने किया. व्ही. शांताराम, राज कपूर,नाडियाडवाला, एस.मुखर्जी जैसे फिल्मकारों ने आपस मे मशवरा करके अपने अपने स्टूडियोज में गणपति का पंडाल सजाया और पूरी यूनिट को पूजा करने के लिए हरदिन आमंत्रित किया. स्टूडियोज के गेट खोल दिये जाते थे, उस दौरान वहां पब्लिक भी आने लगी. फिर, यह देखकर समाज सेवियों द्वारा गणपति पूजा का आयोजन घर घर तक साकार रूप लेता गया. यह फिल्म वाले ही थे जो संस्कृति के श्लोकों और भजनों को अपनी फिल्म का दृश्य बनाकर पेश किए और वो भजने पॉपुलर होती गयी. फिर वो गीत हर पूजा के कार्यक्रम और देवालयों में बजाए जाने लगे. फिल्म टक्कर में संजीव कुमार और जितेंद्र पर फिल्माया गया गीत मूर्ति गणेश की पॉपुलर हुआ. फिल्म दर्द का रिश्ता में सुनील दत्त ने कैंसर पीड़ित बच्ची के लिए गणेश याचना का मर्मान्तक रूप पिक्चराइज किया था. फिल्म अग्निपथ (अमिताभ अभिनित) का गीत गणपति अपने गांव चले या अग्निपथ( हृतिक रोशन अभिनित) का गीत देवा श्री गणेशा के गीत सीधे दिमाग पर बैठते हैं. ये गीत और दूसरे गणपति को लेकर फिल्माए गए गीत जैसे- देवा ही देवा गणपति देवा, और तुम्हारे भक्त जनों में हमसे बढकर कौन, तेरा ही जलवा, गा गा गा... गणपति बप्पा मोरिया, श्री गणेशाय धिमहि आदि गीत फिल्मी गीत ना होकर भजन बन चुके हैं. यही गीत गणपति फेस्टिलज के दौरान सर्वाधिक बजते हैं. ये गीत नहीं बजें ऐसा होता ही नही है. सच यह है कि गणपति पूजा में सारे देश मे बजने वाले गीत और भजन अधिकांश फिल्मों से ही होते हैं. शायद यही वजह है गणपति फिल्म वालों का सर्वाधिक पसंद पर्व है. जिसमे पूजा के साथ नाच गाना और डांस भी है. इसमें भीड़ भी है और अभिव्यक्ति का स्कोप भी. आर के स्टूडियो की गणपति एक मिसाल होती थी. जिसे देखने के लिए लोग चेम्बूर से चैपाटी तक खचाखच भरे रहते थे. दूसरे शब्दों में कहें तो यह पर्व फिल्म वालों द्वारा ही फैलाया और पुष्पित किया गया है.तभी तो गणपति विसर्जन पर कहा जाता है- ‘गणपति बप्पा मोरिया, बुरचा बुरची लोकरया.’ #Ganpati festival हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article