राज बब्बर एक ऐसी शख्शियत हैं जहां होते हैं, वे अपना अलग वजूद बनाते हैं. जब वे फिल्मों में आए अपनी तरह के एक अकेले नायक बनकर आए और हैं. जब वे राजनीति में आये, उनके तेवर औरों से अलग थलग हैं. राज बब्बर के इसी बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालती एक किताब प्रकाशित होने जा रही है "र=राज : राज बब्बर- दिल मे उतरता फसाना". पुस्तक के संपादक हैं जानेमाने प्रतिष्ठित पत्रकार हरीश पाठक.
हरीश पाठक राज बब्बर को नजदीक से जानने वालों में हैं. एक पत्रकार के तौर पर और उनके शुभाकांक्षी के तौर पर. लेकिन, इस पुस्तक में उन्होंने दूसरों की नजर से राज बब्बर को दिखाने का प्रयास किया है. हरीश पाठक 'धर्मयुग' से जुड़े पत्रकारों की जमात से हैं. बतौर संपादक वह कई बड़े समाचार पत्रों का संपादन कर चुके हैं. जब उन्होंने राज बब्बर पर कुछ लिखने का मन बनाया तो "र=राज"में उन्होंने बहुतों को जोड़ दिया और खुद यहां संपादन की जिम्मेदारी सम्भाल लिए.
प्रलेक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित राज बब्बर से जुड़े संस्मरणों की इस किताब में जिन कुछ प्रमुख लोगों के अनुभव शेयर किए गए हैं उनमें 'मायापुरी' से जुड़े पत्रकार (शरद राय) भी हैं. इस पुस्तक में राज बब्बर से जुड़े अपने अनुभव साझा करने वाले नाम हैं- अरविंद कुमार, शाहरुख खान, चित्रा मुदगल, चंचल, सुरेंद्र पाल, राजेन्द्र गुप्ता, राजा बुंदेला, हसन कमाल, अतुल तिवारी, चित्रार्थ, उदयन शर्मा, संतोष भारतीय, प्रह्लाद अग्रवाल, ओम कटारे, त्रिलोक दीप, विनोद खत्री, प्रदीप सरदाना, शरद राय , विवेक शुक्ला, सुमंत मिश्र, इंद्रमोहन पन्नू आदि.
"राज बब्बर : दिल में उतरता फसाना" प्रलेक द्वारा प्रकाशित 1000 वीं किताब है और राजबब्बर पर पहली किताब. यह किताब अमेजोन और फ्लिपकार्ड पर भी उपलब्ध है. संपादक हरीश पाठक के शब्दों में- "यह एक ऐसी किताब है जिससे गुजरकर आप अभिनेता, राज नेता राज बब्बर को कई कोणों से जान सकेंगे." राजबब्बर के फैन/प्रशंसकों के लिए यह एक बेहतरीन संकलन है.