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सारी दुनिया ने सुना, जाना और सराहना किया कि G20 समीट में हमारे देश का झंडा बड़े गर्व से लहराया है और कहा है " मैं भारत हूं !" प्रधान मंत्री के नेमप्लेट की तख्ती हो या राष्ट्रपति के भोज का मेनू हर जगह पुराने नाम india की जगह "भारत" लिखा हुआ था। यह हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है कि अंग्रेजों द्वारा दिए गए गुलामी के संबोधन india शब्द को देश की आज़ादी के अमृतमहोत्सव में बदले जाने की गूंज सुनाई पड़ी है। लोग कितना भी कहें कि india शब्द कहां कहां से हटाया जाएगा, कितना खर्च बढ़ेगा...? लेकिन गुलामी के आखिरी पट्टे को गले से उतारकर फेंकना तो पड़ेगा न ! कीमत चाहे जो हो।
53 साल पहले मनोज कुमार ने 'भारत' की हुंकार लगाया था अपनी फिल्म 'पूरब पश्चिम' में गीत के माध्यम से। प्रसंगबस याद आता है महेंद्र कपूर का गाया, इंदीवर का लिखा और कल्याणजी आनंदजी का संगीतबद्ध किया गीत-
" भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं...
जब जीरो दिया मेरे भारत ने/भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी
तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई
देता ना दशमलव भारत तो
यूं चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहां पहले आयी /पहले जनमी है जहां पे कला
अपना भारत वो भारत है जिसके पीछे संसार चला...
+++ काले गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाने आता है
है प्रीत जहां की रीत सदा मैं गीत वही दुहराता हूं-
भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं।"
G20 समीट... एक मल्टी स्टारर फिल्म की तरह दुनिया के श्रेष्ठतम राजनयिकों का एक सम्मेलन था। इस महा पंचायत के मुखिया थे भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी। मोदी जी ने अपने नाम 'नमो' की तरह भारतीय संस्कृति, पहनावा और व्यंजन का जो नमन दुनिया भर के सामने पेश कराया है उसे अभूतपूर्व ही कहा जाएगा। सम्मेलन स्थल "भारत मंडपम" की छटा और झांकी में भारत की संस्कृति उच्चारित हो रही थी। 5000 साल से जुड़े इतिहास की जानकारी मिलती थी और नए भारत का शौर्य दिख रहा था। वहां कोणार्क की मूर्ति, भारत का राष्ट्रीय चिन्ह , तक्षशिला विश्व विद्याल के प्राचीनतम भारतीय ज्ञान भंडार की धरोहर की कृति का प्रदर्शन था।भारतीय परिधान में अलग अलग संस्कृति में वेलकम-नृत्य गान और भोज में पूरे देश के भोजन का स्वाद पेश किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दी गयी भोज में कश्मीरी कहवा, हलवा, मुम्बई का पाव, श्री अन्न, केले के पत्ते पर भोजन की व्यवस्था में पूरे भारत की रसोई का जायका रखा गया था। मेहमान अविभूत थे और 123 एकर में फैले भारत मण्डपम की इस महा पंचायत में भारत 'विश्व गुरु' की हैसियत का प्रतीक बना हुआ था।
शायद फिल्मकार मनोज कुमार बहुत पहले इस बात को समझ गए थे, तभी तो सन 1970 में बनाई गई अपनी फिल्म में वह भारत नाम की हुंकार लगाए थे-
"सभ्यता जहां पहले आयी
पहले जनमी जहां पे कला
अपना भारत वो भारत है जिसके पीछे संसार चला और आगे बढ़ा...
+++ जिसे मान चुकी सारी दुनिया...
भारत का रहने वाला हूं
भारत की बात सुनाता हूं।"