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विनम्र
इंसान
व
कलाकार
के
अंदर
कला
प्रस्फुरित
और
पल्लावित
होती
है।
मगर
अभिमान
आते
ही
कला
का
हा्स
होने
लगता
है।
पर
अभिमानी
को
यह
बात
समझ
में
नहीं
आती।
कला
त्याग
के
साथ
धैर्य
की
मांग
करती
है।
मगर
बॉलीवुड
में
जरा
सी
सफलता
मिलते
ही
इंसान
खुद
को
दूसरों
से
महान
समझने
लगता
है।
कलाकार
भूल
जाता
है
कि
अच्छी
कहानी
,
अच्छी
पटकथा
,
अच्छे
निर्देशन
के
साथ
-
साथ
सह
कलाकारों
के
बीच
बेहतरीन
एक्शन
(
क्रिया
)
और
रिएक्शन
(
प्रतिक्रिया
)
से
ही
कोई
भी
फिल्म
,
सीरियल
या
वेब
सीरीज
बेहतरीन
बनती
है
,
पर
इसमें
से
एक
भी
पक्ष
कमजोर
हो
,
तो
उसका
स्तर
गिर
जाता
है।
इस
कसौटी
पर
31
अगस्त
से
‘
स्टार
भारत
’
पर
हर
सोमवार
से
शुक्रवार
रात
8
बजे
से
9
बजे
तक
प्रसारित
हो
रहे
कॉमेडी
शो
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
खरा
नहीं
उतरता
है।
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
के
4-5
एपिसोड
देखने
के
बाद
अहसास
होता
है
कि
न
सिर्फ
इसका
लेखन
स्तरहीन
व
फूहड़
है
,
बल्कि
निर्देशन
,
अभिनय
सब
कुछ
कमजोर
है।
कॉमेडी
शो
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
मुंबई
के
डॉन
भिंडी
भाई
(
सुनील
ग्रोवर
)
पर
है।
डॉन
भिंडी
भाई
अपना
मकान
किराए
पर
देते
हैं
और
किराएदारों
से
किराए
के
एवज
में
उनसे
मनोरंजन
पाना
चाहते
हैं।
परिणामता
हर
एपिसोड
में
डॉन
भिंडी
भाई
अपनी
कुर्सी
पर
बैठे
हुए
किसी
न
किसी
क्लासिक
फिल्म
पर
बनी
मजाकिया
फिल्म
देखते
हैं।
अब
तक
‘
दिलवाले
दुल्हनिया
ले
जायेंगे
’, ‘
टाइटेनिक
’, ‘
देवदास
’
जैसी
फिल्मों
का
स्पूफ
बनाकर
पेश
किया
गया
है।
जिन्हें
देखकर
इन
क्लासिक
सफल
व
यादगार
फिल्मों
के
निर्माता
-
निर्देशक
जहां
भी
है
,
खून
के
आंसू
रो
रहे
होंगे।
कला
व
अभिव्यक्ति
की
स्वतंत्रता
के
नाम
पर
किसी
भी
कालजयी
कृति
का
इस
तरह
बंटाधार
अपमानित
करने
का
हक
किसी
को
नहीं
दिया
जाना
चाहिए।
मजेदार
बात
यह
है
कि
सुनील
ग्रोवर
हर
एपिसोड
में
भिंडी
भाई
के
अलावा
भी
कई
किरदार
में
होते
हैं।
एक
एपिसोड
में
तो
वह
हीरो
,
कॉमेडियन
व
विलेन
का
किरदार
भी
निभाते
हुए
नजर
आते
हैं।
यानी
कि
हर
एपिसोड
में
ज्यादातर
दृश्य
में
सुनील
ग्रोवर
ही
हावी
रहते
हैं।
यही
वजह
है
कि
इसका
प्रसारण
शुरू
होने
के
3
दिन
पहले
ही
अभिनेत्री
शिल्पा
शिंदे
ने
निर्माताओं
पर
कई
तरह
के
आरोप
लगाते
हुए
इस
शो
को
अलविदा
कह
दिया।
जहां
तक
बात
सुनील
ग्रोवर
की
है
,
तो
वह
खुद
को
महान
स्टैंडअप
कॉमेडियन
मानते
हैं।
उन्हें
कपिल
शर्मा
के
कॉमेडी
शो
से
सर्वाधिक
पहचान
मिली
,
पर
अचानक
उनका
अहम
जागृत
हुआ
और
उन्होंने
कपिल
शर्मा
के
शो
को
छोड़कर
विवादों
को
जन्म
दिया।
फिर
बदले
की
भावना
और
खुद
को
कपिल
शर्मा
से
बेहतरीन
कॉमेडियन
बताने
के
मकसद
से
‘
कपिल
शर्मा
’
के
ही
शो
की
तर्ज
पर
नकल
करते
हुए
‘
कानपुर
वाले
खुराना
’
नामक
कॉमेडी
शो
लेकर
आए
थे।
जिसका
प्रसारण
‘
स्टार
प्लस
’
पर
15
दिसंबर
2018
से
शुरू
हुआ
था।
अफसोस
यह
इतना
घटिया
शो
था
कि
दर्शकों
ने
इसे
सिरे
से
नकार
दिया
था
और
महज
16
एपिसोड
बाद
इसका
प्रसारण
बंद
हो
गया
था।
मगर
इस
असफलता
से
सुनील
ग्रोवर
के
साथ
-
साथ
’
स्टार
प्लस
’
ने
भी
कोई
सबक
नहीं
सीखा।
तभी
तो
एक
बार
फिर
सुनील
ग्रोवर
एक
अति
स्तरहीन
,
घटिया
,
सड़ा
हुआ
कॉमेडी
शो
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
लेकर
हाजिर
हुए
हैं
और
इसे
‘
स्टार
प्लस
’
के
ही
सिस्टर
सहयोगी
चैनल
‘
स्टार
भारत
’
पर
प्रदर्शित
किया
जा
रहा
है।
जिसे
देखते
हुए
दर्शक
अपनी
किस्मत
पर
रो
रहा
है।
जी
हां
!
यह
कटु
सत्य
है।
इस
शो
की
सबसे
बड़ी
कमजोरी
इसकी
लिखावट
है।
इसमें
फूहड़
,
द्विअर्थी
,
अश्लील
,
अभद्र
संवादों
की
भरमार
है।
जिसके
चलते
पूरा
परिवार
एक
साथ
बैठकर
इसे
नहीं
देख
सकता।
दो
सितंबर
को
प्रसारित
एपिसोड
की
बात
करें
,
तो
इसमें
एक
अति
घटिया
संवाद
है
-‘
वह
किसी
और
के
अंडे
सेंक
रही
है।
’
क्या
पूरा
परिवार
इस
तरह
के
संवाद
सुनना
पसंद
करेगा
?
इतना
ही
नहीं
,
फूहड़
व
अश्लील
नृत्य
के
साथ
औरत
को
लात
मारने
के
दृश्य
पिरोए
गए
हैं।
आश्चर्य
की
बात
है
कि
अभी
तक
औरतों
ने
इस
शो
के
खिलाफ
आवाज
क्यों
नहीं
उठायी
?
इसका
एकमात्र
जवाब
यही
है
कि
पहले
एपिसोड
के
बाद
महिलाओं
ने
इस
से
दूरी
बना
ली।
इतना
ही
नहीं
प्रधानमंत्री
की
‘
आत्मनिर्भर
’
बनने
के
संदेश
का
भी
मजाक
उड़ाया
गया
है।
आखिर
कला
के
नाम
पर
एक
रचनात्मक
इंसान
कितना
नीचे
गिर
सकता
है।
कबूतर
को
चना
की
बजाय
बर्गर
खिलाने
की
सोच
से
ही
लेखक
व
निर्देशक
के
दिमागी
दिवालियापन
का
अहसास
हो
जाता
है।
सुनील
ग्रोवर
शायद
यह
भी
भूल
गए
कि
शाहरुख
खान
की
तरह
गेटअप
कर
लेने
मात्र
से
कोई
पर्दे
पर
शाहरुख
खान
नहीं
बन
सकता।
शाहरुख
खान
की
नकल
करने
के
लिए
अभिनय
क्षमता
भी
जरूरी
है।
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मीस्तान
’
की
दुर्गति
का
अहसास
इसी
बात
से
लगाया
जा
सकता
है
कि
3
सितंबर
को
प्रसारित चौथे
एपिसोड
में
एक
भी
विज्ञापन
नहीं
था।
‘
स्टार
भारत
’
ने
अपने
चैनल
के
सीरियल
‘
अकबर
का
बल
बीरबल
’
के
ही
विज्ञापन
बार
-
बार
दिखाकर
दर्शकों
को
बोर
करने
का
काम
किया।
पूरा
एपिसोड
देखकर
एहसास
हो
रहा
था
कि
हॉलीवुड
फिल्म
‘
टाइटेनिक
’
पर
स्पूफ
करने
का
बीड़ा
उठा
तो
लिया
पर
कुछ
भी
नहीं
कर
पाए
और
आधे
घंटे
के
एपिसोड
को
‘
अकबर
का
बल
बीरबल
’
के
विज्ञापनों
से
भरकर
1
घंटे
का
बनाया
गया।
इस
एपिसोड
में
तो
हद
तब
हो
गई
जब
हिंदी
व
अंग्रेजी
के
साथ
-
साथ
भोजपुरी
भाषा
के
संवाद
भर
दिए
गए।
सुनील
ग्रोवर
कई
दृश्यो
में
कपिल
शर्मा
की
नकल
करते
हुए
नजर
आते
हैं।
यह
ना
स्टैंडअप
कॉमेडी
वाला
शो
है
और
न
ही
सिच्युएशनल
कॉमेडी
वाला
शो
है।
4
सितंबर
को
प्रसारित
पांचवें
एपिसोड
में
दर्शक
ने
‘
देवदास
’
देखकर
अपना
सिर
पीट
लिया।
इसमें
‘
डोला
रे
डोला
’
डांस
देखकर
दर्शकों
ने
कहना
शुरू
कर
दिया
कि
इसे
क्यों
शुरू
किया
गया
?
कमजोर
लिखावट
और
फूहड़
संवादों
के
चलते
किसी
भी
कलाकार
का
अभिनय
प्रभावित
नहीं
करता
और
ना
ही
उन्हें
देखकर
हंसी
ही
आती
है।
वैसे
लोगों
को
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
और
सुनील
ग्रोवर
की
आलोचना
नहीं
करनी
चाहिए
स्वयं
सुनील
ग्रोवर
कह
चुके
हैं
कि
उन्हें
आलोचनाओं
से
फर्क
नहीं
पड़ता।
जिस
दिन
सुनील
ग्रोवर
ने
ऐलान
किया
था
कि
वह
इस
शो
की
कमाई
चैरिटी
में
देंगे
,
तब
से
जो
लोग
खुशी
मना
रहे
थे
,
अब
उनके
चेहरे
पर
मायूसी
छा
गयी
है।
क्योंकि
उन्हें
लगने
लगा
है
कि
इतने
फूहड़
व
सड़े
सीरियल
को
लोग
नहीं
देखेंगे
,
तो
फिर
सुनील
ग्रोवर
को
कमाई
कहां
से
होगी।
‘
स्आर
प्लस
’
पर
प्रसारित
हो
रहे
कॉमेडी
शो
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
की
लेखक
दृश्य
निर्माता
ध्रुव
और
थिएटर
नीतू
निमोद
व
प्रीती
सिम्यूज
है।
जबकि
इसे
अभिनय
से
संवारने
वाले
कलाकार
हैं
-
सुनील
ग्रोवर
,
संकेत
भोसले
,
सुगंधा
मिश्रा
,
सिद्धार्थ
सागर
,
उपासना
सिंह
,
शिल्पा
शिंदे
नविंदर
सूरी
,
पारितोष
त्रिपाठी
व
अन्य।
किसी
की
नकल
करने
में
बुराई
नहीं
है
,
मगर
नकल
के
लिए
अकल
और
अच्छी
सोच
चाहिए।
पर
‘
गैंग्ग
ऑफ
फिल्मिस्तान
’
में
इन
दोनों
चीजों
का
घोर
अभाव
नजर
आ
रहा
है।
यह
हालत
तब
है
,
जब
इत्मिनान
के
साथ
फुर्सत
में
बनाए
जा
चुके
एपिसोड
प्रसारित
हो
रहे
हैं।
पर
यह
डेली
सोप
है
,
इसलिए
आगे
चलकर
हर
एपिसोड
का
लेखन
व
फिल्मांकन
भी
जल्दबाजी
में
होगा
,
इस
वक्त
यह
कितना
बुरा
और
सड़ा
हुआ
होगा
,
इसकी
कल्पना
करके
दर्शक
कांप
उठता
है।