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इस साल गणपति कारखानों मे मांग रही 'गदर 2' के सनी देओल, 'जेलर' के रजनीकांत और 'जवान' शाहरुख खान के गणपति रूप की

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By Sharad Rai
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इस साल गणपति कारखानों मे मांग रही 'गदर 2' के सनी देओल, 'जेलर' के रजनीकांत और 'जवान' शाहरुख खान के गणपति रूप की

बाज़ार डिमांड और सप्लाई से चलता है और सितारे जहां जुड़ जाएं डिमांड बढ़ा देते हैं यह एक जाना हुआ सच है. गणपति का पर्व आरम्भ है.पूरे देश मे करोड़ों की गणपति मूर्तियां बिकती हैं. महीनों से कारखानों में काम होता है, सांचे बनते हैं. महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई या कहें बॉलीवुड नगरी में गणपति उत्सव सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. सुदूर से लोग वहां सितारों के घरों की गणपति-दर्शन- विसर्जन देखने आते हैं. सड़क के फुटपाथ दोनो तरफ से गणपति बिक्री के स्टालों से और गणपति पंडालों से भरे होते हैं. दस दिनों तक यहां खरीद दारों और दर्शनार्थियों की लंबी कतारें होती हैं. मुम्बई में चारकोप एरिया से लिंक रोड तक के गणपति बिक्री सेंटरों पर हमने बात किया तो एक कारीगर कम सेलर ने बताया कि वे कई महीनों से तैयारी में लग जाते हैं. इंदौर, नागपुर और दूसरे शहरों से मूर्तियों के सांचे बनकर आजाते हैं.

एक मूर्तिकार कारीगर ने हमें बताया कि इस साल की गणपति डिजाइन में फिल्मी सितारों में सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' की तस्वीर वाली गणपति का साँचा आया है.फिल्म 'जेलर' के रजनीकांत के लुक और फिल्म 'जवान' के शाहरुख खान की तस्वीर में गणपति  की मांग मा'ओं के साथ आए बच्चे ज्यादा किया करते हैं. यह इनदिनों बॉलीवुड फिल्मों के बढ़ते क्रेज की वजह से है. उसने बताया कि गए साल बॉलीवुड सितारों का बायकॉट चल रहा था और दक्षिण के फिल्मी सितारों की चरवाहा थी तब वे उनकी गणपति तस्वीरें बनाए थे. बीते साल अलुअर्जुन की फिल्म 'पुष्पा' का लुक और फिल्म RRR के दोनो स्टारों (राम चरन तेजा और जूनियर एनटीआर छाप गणपति के सांचे आए थे.इस साल  मांग में सिर्फ बॉलीवुड सितारे हैं क्योंकि उनकी फिल्में चल रही हैं.

इस साल सरकार ने ईको फ्रेंडली मूर्तियां मिट्टी की  बनाने के लिए मुम्बई में फ्री जगह और मिट्टी दिया है. कई टीवी और फिल्म के कलाकार //अपने घरों में गणपति बनाने के लिए कारीगरों के साथ खुद को लगाए हैं.यह बप्पा के प्रति उनकी श्रद्धा ही है. कलाकारों के छाप के गणपति का चलन इधर कुछ सालों से हुआ है. इससे पहले 'लालबाग के राजा' और सिद्धि विनायक  की प्रतिरूप मूर्तियां ही मुम्बई बाजार में हुआ करती थी.शायद बाज़ारवाद का यह नया रूप हैं. जो भी हो, सितारों की नगरी में मंगल मूर्ति मोरया का हर रूप स्वीकार होता है.

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