gioconda vessichelli अपने मिडास टच के साथ कमाल कर रही हैं

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By Sulena Majumdar Arora
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gioconda vessichelli अपने मिडास टच के साथ कमाल कर रही हैं

विश्व-प्रसिद्ध ऑपेरा क्वीन तथा बॉलीवुड की जानी मानी गायिका जिओकोंडा वेसिचेल्ली इन दिनों माओरी पैतृक संस्कृति के बारे में, इस्टर द्वीप के चिली में एक अद्भुत दिलचस्प इंटरकल्चरल प्रोजेक्ट में व्यस्त है. यह इटालियन ऑपेरा क्वीन जो सात अंतर्राष्ट्रीय ओपेरा पुरस्कार जीत चुकी है, अब बिना थके विभिन्न संस्कृतियों का फ्यूज़न करती जा रही है जिसमें काम आ रहा है उनका कौशल, प्रतिभा, मेहनत और उसके साथ ही सांता सेसिलिया यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूजिक इटली से प्राप्त की गई डिग्री. वे एक एथनोम्यूजिकोलॉजिस्ट तथा बॉलीवोओपेरा संगीत के पायनियर होने के नाते बहुत आसानी से संस्कृतियों को जोड़ने में सफल हो रही है.

माओरी शूटिंग  में जिओकोंडा वेस्सिचेली को इंटरकल्चर और फ्यूजन करते हुए देखना बहुत अच्छा लगा. बोलीवोओपेरा शैली की यह रानी जिओकोंडा वेस्सिचेली, वास्तविक माओरी पूर्वजों के साथ कोलाबोरेट करने के लिए, कल्चर फ्यूशन के इस महत्वपूर्ण परियोजना में शामिल हुई और इस वज़ह से चिली, ईस्टर द्वीप में ठहरी हुई है जहां वे उन  बेहद प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ संस्कृतियों का आदान प्रदान कर रहीं हैं जिन्होंने पूरे विश्व में कई प्रेस्टीजियस उत्सव जीते हैं (मिलान एक्सपो, पोलिनेशिया आदि).

फ्रेंच पोलिनेशिया के ऑनरेरी नागरिक होने के नाते जिओकोंडा वेस्सिचेली, शुरू से ही नोबेल पुरस्कार विजेता की फ़ाउंडेशन में मदद कर रहे प्रधान मंत्री मायर बोप ड्यूपॉन्ट के लिए, पापीते कैथेड्रल में एक संगीत कार्यक्रम करके माओरी संस्कृति के संपर्क में थी जो एचआईवी से लड़ने में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेल की मदद कर रही थी. उस अवसर पर जिओकोंडा वेस्सिचेली ने पापीते केथेड्रल में  गाना गाने के साथ, पियानो और आर्केस्ट्रा से एक मार्मिक ओपेरा संगीत कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया. इस इतालवी गायिका जिओकोंडा वेस्सिचेली के पास विभिन्न संस्कृतियों के संगीत तत्वों को बुद्धिमानी से संयोजित करने का उत्कृष्ट कौशल है और यही कारण है कि उन्होंने अपनी बॉलीवोओपेरा शैली का आविष्कार करते हुए, भारतीय संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति के बीच एक सांस्कृतिक पुल बनाने में सक्षम होने के लिए भारतीय महिला पुरस्कार जीता है, जिसने उन्हें कोलकाता की मदर टेरेसा के बाद यह पुरस्कार पाने वाली दूसरी विदेशी बना दिया है, जबकि यह पुरस्कार आम तौर पर भारतीय महिला नागरिकों को ही समर्पित किया जाता है.

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