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ज्ञानपीठ उपन्यास से पुरस्कृत भालचंद्र नेमाड़े के उपन्यास ‘कोसला’ पर बनने वाली मराठी फिल्म ‘कोसला- नाइंटी नाइंटी ऑफ हंड्रेड’ का भव्य मुहूर्त

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By Shanti Swaroop Tripathi
ज्ञानपीठ उपन्यास से पुरस्कृत भालचंद्र नेमाड़े के उपन्यास ‘कोसला’ पर बनने वाली मराठी फिल्म ‘कोसला- नाइंटी नाइंटी ऑफ हंड्रेड’ का भव्य मुहूर्त
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मराठी सहित्य जगत में भालचंद्र नेमाड़े एक बहुत बड़ा नाम है। भालचंद्र नेमाड़े द्वारा लिखित प्रसिद्ध उपन्यास ‘कोसला‘ ने साहित्य जगत में एक अलग युग का निर्माण किया था। लेखन के ढांचे को तोड़ते हुए भालचंद ने इसमें अपनी राय पेश की,इसीलिए यह उपन्यास दर्शकों का विशेष पसंदीदा बन गया। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका हिंदी सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। इसे अंतरराष्ट्ीय स्तर पर काफी पसंद किया गया। यह कहानी है पांडुरंग सांगविकर नामक एक युवक की। कोसला एक यात्रा है कि कैसे एक युवा व्यक्ति जो शिक्षा के लिए गांव से शहर आता है, फिर गांव वापस जाता है और वहां अनुभव करता है। इस युवक की जीवन यात्रा बताने वाला यह उपन्यास अब फिल्म के जरिए पर्दे पर नजर आने जा रहा है। हाल ही में मंुबई में एक भव्य समारोह में फिल्म ‘कोसला-नाइंटी नाइंटी ऑफ हंड्रेड...‘ की घोषणा की गई। इस समारोह में उपन्यास के लेखक भालचंद्र नेमाड़े भी मौजूद रहे। इस अवसर पर गायक जयदीप वैद्य और तबला वादक केतन पवार के निर्गुण शास्त्रीय संगीत ने कार्यक्रम में रंग जमा दिया। जबकि अच्युत पालव ने कैनवास पर सुंदर कलाकृति ‘कोसला‘ बनाई।

भालचंद्र नेमाड़े ने यह उपन्यास 1963 में 25 वर्ष की उम्र में लिखा था। इस उपन्यास का अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी, गुजराती, कन्नड़, असमिया, पंजाबी, उर्दू, बंगाली और उड़िया भाषाओं में अनुवाद किया गया था। इसलिए इस उपन्यास की पहचान सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई है। 2014 में डॉ. भालचंद्र नेमाड़े को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय साहित्य में सर्वोच्च माने जाने वाले 50वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया।

फिल्म के मुहूर्त के बाद फिल्म की चर्चा करते हुए लेखक भालचंद्र नेमाड़े ने कहा, ‘‘मुझे फिल्मों से उतना ही प्यार है जितना साहित्य से। मैं फिल्में देखने के अलावा कुछ नहीं कर सका। लेकिन एक दोस्त सयाजी शिंदे की बदौलत मेरे पैर फिल्मों तक पहुंच गए। अब तक कई लोगों ने मुझसे ‘कोसला‘ के अधिकार लेने के लिए मिले,लेकिन उनमें से कोई भी इस पर फिल्म नही बना सका। मुझे भी इसके बारे में ऐसा ही लगा कि एक साल में वह कहेंगे कि कुछ नहीं किया जा सकता और वह हार मान लेंगे। लेकिन उनकी दृढ़ता अपार थी।यह लोग  यहां तक पहुंचे। इन्होंने बहुत मेहनत की है और उससे मुझे हौसला मिला है।उन्होंने मुझे अगली कांदबरी लिखने का उत्साह दिया है।’’

जबकि अभिनेता सयाजी शिंदे ने कहा, ‘‘यह उपन्यास का प्रकाशन और मेरा मुंबई आना एक साथ ही हुआ था। उस समय मैंने स्वयं इस उपन्यास के अंशों का पाठ किया था। हम सोचते थे कि इसका इस्तेमाल बोलने और अभिनय के लिए कैसे किया जाएगा। उसके बाद काफी समय बीत गया। कई लोगों ने इस उपन्यास पर फिल्म बनाने के बारे में सोचा। इसी बीच एक दिन मेरे पास मेहुल सर का फोन आया। तब हमने नेमाड़े सर के साथ एक-दो मुलाकातें की। और आखिरकार नेमाड़े सर ‘कोसला‘ के लिए राजी हो गए। सर के सभी नियमों का पालन करते हुए अब यह फिल्म शुरू हो रही है। हम लोग उपन्यास के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर रहे हैं। ’’

फिल्म के बारे में निर्देशक आदित्य राठी कहते हैं, "लेखक व उपन्यासकार भालचंद्र नेमाड़े बहुत बड़ी शख्सियत हैं। हम उन पर फिल्म बना रहे हैं। वास्तव में यह उपन्यास भालचंद्र नेमाड़े के अपने निजी जीवन पर आधारित है। इसके लिए मैं मेहुल शाह को हमारी मदद करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। यह एक ऐसे युवक की भावनात्मक कहानी है जिसे गांव का निराशाजनक माहौल पसंद नहीं है, इससे घृणा होने के बावजूद वह गांव के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखता है। दरअसल, फिल्म के बारे में कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हममें से कई लोगों ने यह उपन्यास पढ़ा है। तो अब यह कहानी दर्शकों को जल्द ही पर्दे पर देखने को मिलेगी।"

फिल्म की दूसरी निर्देषक गायत्री पाटिल ने कहा - ‘‘भालचंद्र नेमाड़े सर जलगांव से हैं और मैं भी जलगांव की ही रहने वाली हॅूं। मुझे उपन्यास ‘कोसला‘ काफी पसंद है,क्योंकि यह उपन्यास नारियों के सम्मान की बात करता है। इसलिए मुझे यह कहानी बहुत खास लगी।’’ आदित्य राठी और गायत्री पाटिल निर्देशित फिल्म ‘‘कोसला...’’ में सयाजी शिंदे मुख्य भूमिका में नजर आने वाले हैं। अन्य कलाकारों का चयन जल्द ही किया जाएगा। फिल्म का निर्माण ‘निर्माण स्टूडियोज’  और मेहुल शाह कर रहे हैं।

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