विश्व रंगमंच दिवस पर, दिग्गज अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने अपनी समृद्ध और रचनात्मक सफर को किया याद_ वर्सेटाइल एक्टर हिमानी शिवपुरी ने जिंदगी में कई अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन इन सबके बीच जो एक चीज स्थिर रही है, वह है रंगमंच के प्रति उनका प्रेम. ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की स्नातकोत्तर छात्रा होने के बावजूद, वह रंगमंच के आकर्षण में आ गईं और आखिरकार उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में प्रवेश लिया. 1982 में एनएसडी से ग्रेजुएशन करने के बाद, उनका करियर शुरू हुआ और आज तक उन्होंने टेलीविजन, सिनेमा, थिएटर और ओटीटी प्लेटफार्म जैसे अलग-अलग फॉर्मेट्स में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं.
ज़ी थिएटर के टेलीप्ले, 'हमीदाबाई की कोठी' और 'रिश्तों का लाइव टेलीकास्ट' में अहम किरदार निभाने वाली हिमानी कहती हैं, "थिएटर आपको किरदार को आत्मसात करने (समझने) और खूब रिहर्सल के जरिए आपके स्किल को शार्प करना सिखाता है. यह अनुशासन और अभ्यास आपको विभिन्न फॉर्मेट्स में बेहतर परफॉर्म करने में सक्षम बनाता है. टेलीप्ले भी बहुत ही असामान्य तरीके से थिएटर की व्याख्या करते हैं. 'हमीदाबाई की कोठी' और 'रिश्तों का लाइव टेलीकास्ट' में काम करना बहुत रोचक रहा है.
'रिश्तों का लाइव टेलीकास्ट' में अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए हिमानी कहती हैं, " इसमें मैं एक मजबूत मां की भूमिका निभा रही हूं और वे सभी महिलाएं जिन्हें कभी हल्के में लिया गया है, इस किरदार से जुड़ा हुआ महसूस करेंगी. यह प्ले परिवार के सदस्यों के बीच असली संवाद जैसे अहम विषय के बारे में बात करता है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब लोग एक-दूसरे के बजाय अपने गैजेट्स के साथ समय बिताना पसंद करते हैं. वास्तविक मानवीय संबंध अमूल्य हैं और रिश्तों को जब प्यार से सींचा जाता है, तभी वे फल-फूल सकते हैं.
'हमीदाबाई की कोठी' के बारे में, वह कहती हैं, "यह किसी भी एक्टर के लिए एक ड्रीम रोल है, सिर्फ इसलिए नहीं कि यह एक बहुत शानदार किरदार है, बल्कि इसलिए भी कि यह हमें एहसास कराती है कि कुछ बेहतरीन जीवित कलाकारों को किस तरह की उपेक्षा का सामना करना पड़ा है और वे गुमनामी में खो गए हैं."
हिमानी जब पीछे मुड़कर अपने सफर को देखती हैं तो वे कई अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव को याद करती हैं और कहती हैं, "नब्बे के दशक की शुरुआत में जब मैंने दूरदर्शन के धारावाहिक 'फिर वही तलाश' में काम करने का फैसला किया तो मुझे एनएसडी के थिएटर को करना छोड़ना पड़ा और तब से, मैंने टेलीविजन, फिल्म और ओटीटी में अभिनय किया है. फिर भी, थिएटर मेरा पहला प्यार बना हुआ है और शोबिज से जुड़ा कोई भी नाम, शोहरत और पैसा एक थिएटर एक्टर के रूप में आपको मिलने वाली संतुष्टि की जगह नहीं ले सकता. थिएटर से जुड़े रहने के लिए मेरे पास हमेशा समय होगा."