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‘शो मोस्ट गो ऑन’ वाली एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर तीखी आलोचना देनेवाले बामपंथी कलमकार कितना जानते हैं बॉलीवुड को?

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‘शो मोस्ट गो ऑन’ वाली एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर तीखी आलोचना देनेवाले बामपंथी कलमकार कितना जानते हैं बॉलीवुड को?

बड़े अफसोस के साथ लिखना पड़  रहा है कि देश के कुछ कलमकार हैं जो हमेशा खुशनुमा माहौल पर अपनी गंदी लेखनी की स्याही फेंककर माहौल को बदनुमा बनाने की कोशिश करने से बाज नहीं आते। पिछले दिनों सम्पन्न हुए कैटरीना कैफ - विक्की कौशल के विवाह को लेकर भी ऐसा हुआ है। पहले हम उनकी आलोचना को बता दें, जो सोशल मीडिया पर और कुछ एक अखबारों में दिखाई पड़ी है। एक अखबार ‘प्रजातंत्र’ ने बड़ी वाहवाही लेने के अंदाज में लिखा है- माफ कीजिएगा... हम कैटरीना की शादी का फोटो नहीं छाप रहे ! (मानो उनसे कहा गया था कि छापो ही) और ऐसी ही आलोचना सोशल मीडिया पर भी दिखी है। एक क्रिटिक- जानी मानी लेखिका शोभाडे ने भी इसी बात को कैटरीना के गाने ‘काला चश्मा..’ की लाइन को लपेटकर लिखा है। इन सबका कहना है कि उसी दिन जब कैटरीना-विक्की की शादी की शहनाई बज रही थी देश के प्रथम सेना प्रमुख CDS जनरल बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी इसलिए विवाह की रस्म को रोक दिया जाना चाहिए था। हालांकि बता दें कि यह विवाह बहुत सख्त पाबंदी में कई परतों के पर्दे में बंद करके सम्पन्न हुआ था।

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जो भी हो, बात विरोध की है इसलिए हम जानना चाहेंगे वामपंथी सोचवाले उन कलमकारों से कि क्या वे कभी बॉलीवुड के स्ट्रक्चर को जानने समझने की कोशिश किए हैं? जहां का नारा है- शो  मोस्ट गो ऑन!’ उस इंडस्ट्री में काम को कभी रोका नहीं जाता। राज कपूर मरते हैं तो ऋषि कपूर शूटिंग नहीं रोकते। इसलिए नहीं कि राजकपूर का नारा था- ‘शो मोस्ट गो ऑन’ , बल्कि इसलिए कि जहां  शूटिंग-शेड्यूल चल रहा होता है वहां से हजारों लोगों की रोटी जुड़ी होती है। एक शेड्यूल रोकने का मतलब लाखों की चपत ! कैमरा, लाइट इक्विपमेंट, स्टाफ, स्टार्स की डेट, डांसर्स, फाइटर्स, स्पॉटबॉय,जूनियर कलाकार- जिनकी रोज की रोटी जुड़ी होती है उसदिन के काम से। इसको रोकना किसी ‘ट्रेजेडी से बड़ी त्रासद’ बॉलीवुड के लोग मानते हैं। तभी तो भारत के कई बड़े फिल्मकार सत्यजीत रे, राज कपूर, वी. शांताराम और सुभाष घई ने हमेशा नारा दिया है शो मोस्ट गो ऑन’मशहूर उद्यमी और प्रकाशक मायापुरी-लोटपोट (मोटू पतलू) आदि पत्रिकाओं के जनक श्री ए.पी. बजाज ने भी यही संदेश अपने संपादक पुत्र- पी के बजाज व पौत्र- अमन बजाज को दिया था कि मैं मर भी जाऊं तब भी  प्रकाशन बंद नहीं होना चाहिए। और इस समूह ने उस परम्परा को कायम रखा है।

तात्पर्य यह है कि विवाह समारोह हों या विदेश में आयोजित स्टार्स शो ( जैसे- सलमान खान की उसी दिन विदेश में शो की पहले से निर्धारित तारीखें दी हुई थी, उनको भी अपनी मित्र कैटरीना की शादी छोड़कर जाना पड़ा) या फिर किसी भी तरह के इवेंट हों प्रोग्राम रोकने से तमाम तरह के कांट्रेक्ट टूटते हैं। जिसमे लाखों का नुकसान होता है, लोगों का श्रम जाया होता है। एक गरीब की लड़की की शादी के दिन कोई आपदा हो जाए वह शादी रोक दी जाए तो उसका दर्द वही समझ सकता है जिसकी बेटी है, आलोचना करनेवाले नही समझ पाएंगे। वैसे ही, बॉलीवुड के या किसी भी इवेंट के रोकने की परिस्थितियां केवल आयोजक या उससे जुड़ी हस्तियां ही समझ सकती हैं। कैटरीना- विक्की की शादी रोकने की बात करने वाले वामपंथी कलमकार पूरे ढांचे की बात को समझा करें फिर आलोचना करें,  हम बस यही कहना चाहते हैं।

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