औरत जब ठान लेती है तो वो आसमान को भी जमी पर उतरने को मजबूर कर सकती है. स्त्री केवल सुन्दर काया, तराशी हुई संगमरमर की मूरत और भोग की वस्तु नहीं बल्कि एक सशक्त तन और उससे भी सशक्त मन की मालकिन है जिसे इस दुनिया में कोई भी, किसी भी बात को लेकर ना अपमानित कर सकता है ना मजाक उड़ा सकता है. यही महत्वपूर्ण स्त्रियोचित शक्ति और सम्मान को एक खूबसूरत, मनोरंजक कहानी में, स्लाइस ऑफ लाइफ के साथ पिरो कर, फ्रेंडशिप एंड ड्रीम्स में ढेर सारी मस्ती वाले तड़के के साथ दर्शकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है फिल्म ‘डबल ग्स्’ में. इस फिल्म में बॉलीवुड की दो दबंग प्लस साइज स्टार्स, सोनाक्षी सिन्हा और हुमा कुरेशी ने वही भूमिका निभाई है जो बचपन से अब तक वे जी रही थी. एक वो वक्त था जब उनके शरीर के आकार, और वजन भारी होने से उन्हें लोगों के तीखे तानों, और मजाक के दंश झेलने पड़ते थे, तब वे कच्ची उम्र के थे, नादान थे, अपने शरीर को लेकर खुद असहज थे, शर्माते थे, और लोगों के तानों का दर्द नश्तर सा चुभता था. लेकिन फिर इन दो जहीन लड़कियों ने वो कर दिखाया जो एक मिसाल बन गया. उन्होंने अपने शरीर, वजन, रूप, रंग को वो प्यार और सम्मान दिलाया कि दुनिया की बोलती बंद हो गई.
दोनों ने ये साबित कर दिया कि औरत जब बोलती है तो अच्छे अच्छों की बोलती बंद हो जाती है. इसी बात पर अक्सर चार दोस्त, सोनाक्षी, हुमा, जहीर इकबाल, महत राघवेंद्र हँसते, बतियाते रहते थे और फिर इसी हँसी हँसी में एक दिन प्लस साइज को लेकर उनके दिल दिमाग में एक मौलिक प्लॉट उभरा और फिर जो हुआ वो एक पर्दे पर जलवा बिखेरने के लिए रेडी है. दोनों प्लस साइज की सुंदरियों ने इस कॉमेडी, मस्ती से भरपूर फिल्म के द्वारा उन सबको जोरदार ढंग से माइनस किया जो प्लस प्लस, शेम शेम करते रहते हैं. इस फिल्म को लेकर बात करते हुए हुमा कुरेशी ने कहा, मेरा विश्वास है कि सामाजिक बदलाव और विकास आ सकता है मस्ती से भरी कमर्शियल, एंटरटेनिंग फिल्मों से. हुमा ने बताया कि ‘डबल ग्स्’ फिल्म, उनके करियर के 10 साल के सफर के दौरान, जो भी उनके साथ बरताव हुआ उसका आईना था. हुमा को अक्सर ये सुनना पड़ता था कि वो कन्वेंशनल हिन्दी फिल्मों की नायिका के सांचे में फिट नहीं बैठती है. जब हुमा से पूछा गया कि उनके करियर की जर्नी और सोनाक्षी के करियर की जर्नी में क्या समानताएं और विविधताएं है तो हुमा ने कहा, सोनाक्षी और मेरे करियर जीवन में बहुत अलग-अलग यात्राएं हैं लेकिन हम दोनों को कई बार कहा गया है कि हम एक पारंपरिक हिंदी फिल्म की नायिका के सांचे में फिट नहीं होते हैं, हम जानना चाहते हैं कि वह साँचा क्या है? क्योंकि उस साँचे ने तो हमें हमारे सपनो को साकार करने से नहीं रोक पाया? हुमा ने मांसल सौंदर्य को ही सबकुछ मानने वाले गँवारों की सोच पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा, पब्लिक फिगर होने के बावजूद हमें हमारे रूप रंग पर इतना कुछ तंज झेलना पड़ता है.
वे बोली, अगर फिल्म में प्लस साइज का कोई किरदार है तो वे फिल्म में मजाक के केंद्र पर रखे जाते हैं. इस फिल्म में हम नहीं चाहते कि लोग हम पर हंसें बल्कि हम चाहते हैं कि दर्शक हमारे साथ हँसे. पूरी जिंदगी बिग साइज की लड़की कहे जाने के बाद आखिर मैं इसी विषय पर फिल्म कर रही थी. चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन मैं हमेशा ये मानती रही कि मैं बिग साइज लड़की नहीं बल्कि मैं एक खूबसूरत लड़की हूं. यह उन सभी के लिए है, जिन्हें बताया गया है कि वे मिस फिट हैं. साकिब ने कहा, कि उसने भी किसी जमाने में, जाने अनजाने बॉडी शेमिंग की थी, और लोगों को मोटापे को लेकर चिढ़ाया था. उसे समय के साथ अपनी गलती का एहसास हुआ है, और एक तरह से उसने अपनी गलती का हर्जाना भरने के लिए यह फिल्म बनाने में हाथ डाला. यह विषय एक निर्माता के रूप में स्टार्ट करने के लिए परफेक्ट लगा.वे बोले, मैं बॉडी शेमिंग का दोषी हूं. जब मैं बड़ा हो रहा था, हमारी कंडीशनिंग ऐसी थी कि हम, लोगों को मोटा, पतला, काला, कहकर बहुत लापरवाही से नाम रखकर पुकारते थे. एक तरह से इस फिल्म से मैं अपने पापों का प्रायश्चित कर रहा हूं. खैर , मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही प्रासंगिक फिल्म है और मैंने इस तरह से अपने जीवन में बहुत कुछ होते देखा है. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इन अद्भुत लोगों के साथ काम करने का मौका मिला. उन्होंने जो कुछ भी किया है, उन सभी ने फिल्म को आगे बढ़ाया है.
सोनाक्षी सिन्हा ने कहा, कि इस फिल्म में काम करना उनके लिए एक पर्सनल और कैथरटिक अनुभव था. वे बोली, मुझे यह फिल्म करते हुए ऐसा लगा जैसे मैं अपने कॉलेज लाइफ को दोबारा जी रही हूँ, जब अक्सर मेरे वजनको लेकर बॉडी शेमिंग की जाती थी. फिल्मों में कदम रखने से पहले से ही हमें बहुत बॉडी शेमिंग का सामना करना पड़ा था क्योंकि हम लोग हट्टे कट्टे बिग चिल्ड्रेन थे. सोनाक्षी ने इस बात का जिक्र किया कि जब वो इस दौर से गुजर रहे थे तब उनके पास कोई ऐसा रोल मॉडल नहीं था जो उन्हें ढाढस बंधाता. सब बच्चों को इस तरह के मामलों में रिअशुएरेस की जरूरत होती है. इसलिए यह जरूरी था कि हम वो बन जाए जो हमें नहीं मिला और उन लोगों को, जो बॉडी शेमिंग के दौर से गुजर रहे हैं उन्हें समझाए कि बॉडी शेमिंग जैसे बकवास से बिल्कुल विचलित ना हो. यह बात सबको समझाना होगा कि आप कैसे दिख रहे हो, इसपर स्ट्रेस लेने की जरूरत नहीं, जरूरत यह है.
कि आप कैसा महसूस कर रहे हों. आपके अंदर जो हुनर है, वो आपको तराशने की जरूरत है, आपका वही हुनर, प्रतिभा और आपका सुन्दर नेचर आपको सबसे विशिष्ट और शानदार बना देगा. इस फिल्म, ‘डबल ग्स्’ में दो मोटी लडकियों की कहानी है, मेरठ से राजश्री त्रिवेदी (हुमा कुरेशी) और दिल्ली की सायरा खन्ना, ये दोनों किस तरह से अपने मोटापे के कारण लोगों के उपहास का कारण बनते हैं और फिर वे कैसे अपने आत्मविश्वास से ना सिर्फ लोगों का मुँह बंद करते हैं बल्कि खुशहाल जीवन जीने को लेकर कटिबद्ध है. जब प्रेस मीट के दौरान किसी ने पूछा कि हुमा और सोनाक्षी, लोगों से क्या समझाना चाहती है कि किस तरह से अपने को छरहरा रखना चाहिए? किस तरह अपनी सेहत को अच्छा रखना चाहिए, ये समझाने के बदले आप लोग मोटापे को बढावा क्यों दे रहे हो? तो इसपर सोनाक्षी और हुमा दोनों ने सख्ती से उस पत्रकार को कहा कि वे इस फिल्म में कोई प्रीचिंग नहीं कर रहे, कोई ज्ञान नहीं बाँट रहे हैं, बस दर्शकों को भरपूर एंटरटेन करते हुए सिर्फ ये बताना चाहते है कि आप लोग अपनी सेहत का ध्यान जरूर रखो, लेकिन आप किसी को यह हक मत दो कि वो आपकी शक्ल सूरत, रंग, ऊंचाई, मोटापा को लेकर आपका मजाक उड़ाए. आप अपने टैलेंट पर भरोसा रखो, आपमें क्या कमी है उसे ढूंढते के बदले आपमें क्या खूबी है इसपर काम करो और किसी की बुलिंग या धौंस सेें मत डरना, कोई आपके रंग रूप कि छेड़ खानी करे तो
उसे सबक सिखाने में कोई देर ना करे.
तो दर्शकों को तैयार हो जाना चाहिए, इस फिल्म में नारी का एक अलग रूप देखने के लिए. अब तक औरतों के पतली कमर, तिरछी नजर, गोरा रंग, सुराहीदार गर्दन और सर पर घूंघट ओढ़े, लाज शर्म से झुकी आँखों को सुन्दरता का पैमाना माना जाता रहा है. और इन पैमानों पर खरी ना उतरे तो वो स्त्री बदसूरत, मोटी, काली है जिसे ना किसी खूबसूरत मर्द से प्यार करने का हक है ना शादी. लेकिन इस फिल्म के जरिए ये दो कथित रूप से अन कनवेंशनल लड़कियों ने ये साबित कर दिया कि कोई आपके रंग रूप, हाइट, बॉडी, मोटापे को लेकर टिप्पणी करे तो आपको क्या जवाब देना चाहिए. ये फिल्म भरी पूरी महिलाओं के सौंदर्य को सेलिब्रेट करना सिखाती है. यह फिल्म विषम पुरुष कल्पनाओं का जश्न मनाती है और चर्चा करती है.. पुरुष अस्वस्थ हैं जो पूर्णता से ग्रस्त हैं. हुमा कुरेशी, जहीर इकबाल, महत राघवेंद्र अभिनीत, डबल एक्सएल टी-सीरीज, वाकाओ फिल्म्स और रिक्लाइनिंग सीट्स सिनेमा द्वारा प्रस्तुत किया गया है. यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज होने वाली है. ‘डबल ग्स्’ अके निर्माता हैं भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, विपुल डी शाह, अश्विन वार्डे, राजेश बहल, साकिब सलीम, हुमा, राघवेन्द्र और मुदस्सर अजीज. निर्देशन है