Advertisment

‘‘आई एम नाॅट ब्लाइंडः दिव्यांगजनों का उत्साह वर्धन करती फिल्म..’’

author-image
By Shanti Swaroop Tripathi
New Update
‘‘आई एम नाॅट ब्लाइंडः दिव्यांगजनों का उत्साह वर्धन करती फिल्म..’’

स्टारः 3.5

स्टार

निर्माताः

मदारी आर्ट्स

लेखक

निर्देशकः

गोविंद

मिश्रा

कलाकारः

आनंद

कुमार

गुप्ता

,

शिखा

इतकान

,

अमित

घोष

,

विनय

अम्बष्ठ

,

कृष्णा

नंद

तिवारी

,

गोपा

सान्याल

,

उपासना

वैष्णव

अन्य।

अवधिः

एक घंटा

41

मिनट

ओटीटी

प्लेटफार्मः

एम

एक्स

प्लेयर

 ‘‘

ओटीटी

’’

प्लेटफार्म

की

वजह

से

अब

कुछ

उत्कृष्ट विषयों

पर

बनी

फिल्में

भी

दर्शकों

तक

पहुॅचने

लगी

हैं।

ऐसी

ही

एक

फिल्म

है

-‘‘

आई

एम

नाॅट

ब्लाइंड।

‘‘

मदारी आर्ट्स

’’

निर्मित

तथा

गोविंद

मिश्रा

निर्देशित

फिल्म

‘‘

आई

एम

नाॅट

ब्लाइंड

’’

छह

सितंबर

से

ओटीटी

प्लेटफार्म

‘‘

एम

एक्स

प्लेयर

’’

पर स्ट्रीम

हो

रही

है।

‘‘

हमारी

दिव्यांगता

को

नही

हमारी

क्षमता

को

देखिए

’’

का

संदेश

देने

वाली

यह

प्रेरणा

दायक

फिल्म

है।

जिसकी

कहानी आंखों

से दिव्यांग

एक

इंसान

के

सफल

आई

एस

अफसर

बनने

की

है।

कहानीः

सत्य

कथा

पर

आधारित

फिल्म

‘‘

आई

एम

नाॅट

ब्लाइंड

’’

की

कहानी

शुरू

होती

है

छत्तीसगढ़

के

एक

गाॅंव

से

,

जहां

एक

विधवा

अपने

दो

बेटों

विमल

कुमार

(

आनंद

गुप्ता

)

और

पंकज

के

साथ

रहती

है।

उसने

अपने बेटो

को

अपनी

तरफ

से

अच्छी

शिक्षा

दिलाने

की

कोशिश

की।

विमल

कुमार

जन्म

से

ही

अंधे

हैं

,

जिसकी

वजह

से

12

वीं

कक्षा

के

बाद

उनकी

शिक्षा

बंद

हो

गयी

,

जबकि

वह

पढ़

लिखकर

आई

एस

अफसर

बनने

का

सपना

देख

रहे

हैं।

उधर

पंकज

अय्याश

है

और

उसे

अपना

बड़ा

भाई

विमल

फूटी आँख

नहीं

सुहाता।एक

दिन

जब

पंकज

बीमार

मौसा

को

देखने

दूसरे

गांव

के

अस्पताल

पंकज

की

मां

जाती

है

,

जबकि

उस

वक्त

विमल

कुमार

एक

मंदिर

में

भजन

में

शामिल

होने

गया

होता

है

,

तो

पंकज

उसे

मंदिर

से

वापस

लेने

जाने

की

बजाय

घर

में

ताला

डालकर

पूरी

रात

अपने

दोस्त

के

साथ

अय्याशी

करने

चला

जाता

है।

विमल

कुमार

परेशान

होकर

सड़क

किनारे

रात

गुजारते

हैं।

सुबह

वहां

से

गुजर

रही

शीतल

फाउंडेशन

की

शीतल

(

शिखा

इतकान

)

की

नजर

पड़ती

है

,

तो

वह

पूरी

कहानी

जानकर

विमल

को

लेकर

अपने

फांउडेशन

में

जाती

है।जहां

वह

उसकी

पढ़ाई

आगे

शुरू

करवाती

है।इस

बीच

शीतल

को

विमल

कुमार

से

प्यार

हो

जाता

है।

मगर

शीतल

के

पिता

को

यह

बात

पसंद

नहीं

आती।

वह

एक

डाॅन

को

दो

लाख

रूपए

देकर

विमल

कुमार

को

रास्ते

से

हटाने

के

लिए

कहते

हैं।

डाॅन

के

कहने

पर

विमल

कुमार

आई

एस

का

इंटरव्यू

नहीं

देना

चाहता

,

मगर

एक

दूसरा

इंसान

उसे

समझाता

है

और

वह

इंटरव्यू

देता

है।जब

शीतल

को

सच

पता

चलता

है

,

तो

वह

अपने

पिता

से

सवाल

करती

है

-‘‘

अगर

आपकी

मर्जी

के

युवक

से

मैं

शादी

कर

लूं

,

और

शादी

के

बाद

उसकी

आंखें

चली

जाएं

,

तो

क्या

आप

उसे

छोड़ने

के

लिए कहेंगे

?’

तब

शीतल

के

पिता

अपनी

सोच

पर

शर्मिंदा

होते

हैं

और

शीतल

की

शादी

विमल

कुमार

से

करा

देते

हैं।

विमल

कुमार

आई

एस

अफसर

के

रूप

में

अपने

काम

को

अंजाम

देना

शुरू

करते

हैं।

‘‘आई एम नाॅट ब्लाइंडः दिव्यांगजनों का उत्साह वर्धन करती फिल्म..’’

लेखन

निर्देशनः

लेखक

निर्देशक

गोविंद

मिश्रा

ने

एक

बेहतरीन

प्रेरणा

दायक

सत्यकथा

पर

यथार्थ

परक

फिल्म

बनायी

है।

यह

फिल्म

शारीरिक

अपंगता

के

शिकार

लोगों

के

जीवन

में

आने

वाली

कई तकलीफों

पर

रोशनी

डालने

के

साथ

ही

इस

बात

पर

भी

रोशनी

डालती

है

कि

यदि

इंसान

जिद

ठान

ले

,

तो

भी

दोनों आँखों

से

दिखाई

देने

के

बावजूद

वह

अपनी

मंजिल

पा

सकता

है।

इस

फिल्म

का

नायक

विमल

कुमार

जिस

तरह

इस

कथन

को

गलत

साबित

करने

की

जिद

करते

हैं

कि

एक

अंधा

इंसान

कुछ

नही

कर

सकता

’,

वह

काफी

उत्साहवर्धक

और

प्रेरणा

दायक

है।

पटकथा

लेखन

की

कुछ

कमजोरियों

के

बावजूद

छत्तीसगढ़

की

खूबसूरत

लोकेशन

पर

फिल्मायी

गयी

फिल्म आँखों

को

भी

सकून

देती

है।

विमल

कुमार

और

शीतल

की

प्रेम

कहानी

का

ठीक

से

चित्रण

नही

हो

पाया

है।

कुछ

कमियों

के

बावजूद

यह

फिल्म

सिर्फ

प्रेरणा

दायक

है

,

बल्कि

हर

दिव्यांग

के

हौसले

को

भी

बढ़ाती

है।

इसमें

केंद्र

सरकार

की दिव्यांगजनों

के

लिए

शुरू

की

गयी

सुगम्य

योजना

का

भी

जिक्र

है।

अभिनयः

आँखों

से दिव्यांग

विमल

कुमार

के

किरदार

में

आनंद

कुमार

गुप्ता

ने

उत्कृष्ट

अभिनय

किया

है।

आनंद

गुप्ता

ने

अंधे

होने

के

चलते

लोगों

से

मिलने

वाले

उपेक्षापूर्ण

रवैए

और

अपनी

शिक्षा

को

जारी

रख

पाने

की

विवशता

को

अपने

अभिनय

से

जीवंतता

प्रदान

की

है।

शीतल

के

किरदार

में

शिखा

इतकान

भी

प्रभावित

करती

है

अन्य

कलाकारों

ने

ठीक

ठाक

अभिनय

किया

है।

शान्ति स्वरुप त्रिपाठी

Advertisment
Latest Stories