प्रतीक बब्बर बहुत जल्द अपनी आगामी फिल्म, इंडिया लॉकडाउन में बहुत ही रूटेड करैक्टर में नजर आने वाले है. निर्देशक मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित इंडिया लॉकडाउन एक रियल एवं हार्ड हिटिंग फिल्म है. इसमें चार कहानियों को साथ लेकर चल रहे है निर्देशक मधुर. श्वेता बसु एक सेक्स वर्कर के किरदार में नजर आएगी और प्रतीक बब्बर माइग्रेंट वर्कर का किरदार निभा रहे है. पान्डेमिक-कोविड 19, के दौरान सभी को किस तरह की यातनाये सहनी पड़ी इसी सबका जिक्र देखने को मिलेगा इस फिल्म में और हमे इससे बहुत कुछ सीख भी मिलती है. एक एयर होस्टेस की कहानी भी देखेंगे आप इस फिल्म में. यह फिल्म दिसंबर में रिलीज के लिए तैयार है. प्रतीक बब्बर एक बहुत ही जमीन से जुड़ा हुआ करैक्टर कर रहे है सो उन्होंने पहली बारी अपनी माँ स्मिता पाटिल की फिल्में देखी और उनसे बहुत कुछ सीखा भी.
आपने अपनी माँ की फिल्में देख कर इस चरित्र चित्रण में क्या कुछ डालने की प्रेरणा ली क्योंकि वो हमेश जमीन से जुड़े किरदार किया करती थी?
मधुर सर ने मुझे अपनी माँ की फिल्में दिखाई. आक्रोश, अंकुर इत्यादि. फिल्म में उनकी जो शख्शियत हुआ करती बेहद दिल को छू जाने वाली हुआ करती. मुझे उनकी एक्टिंग देख कर एक ऊर्जा मिली और खासकर इस चरित्र को रियल ढंग से करने की प्रेरणा मिली. उन्होंने इतने थोड़े से समय में अपने जीवनकाल में बहुत कुछ किया और पाया भी यह एक अद््भूत बात है. इसके अलावा मैंने कुछ माइग्रेंट वर्कर्स से भेंट भी की उनकी चाल ढाल को अपनाया. और जिस तरह के कपडे मैने पहने है उससे मेरा आधा काम पूर्ण हो गया. मैं इस किरदार में पूर्णतः घुस गया क्योंकि यह लोग अपने जीवन निर्वाह के लिए बेहद हार्ड वर्क करते है. और जिन यातनाओ से गुजरते है उससे भी पास से मैं जान पाया.
अपनी माँ की फिल्में देख कर खास क्या मैजिक देखा और लिया भी?
मुझे यह एहसास हो गया की मेरी माँ ने अपने हर किरदार को पूर्णतः सरेंडर किया. आप स्मिता पाटिल को नहीं अपितु उस करैक्टर को देख पाते है फिल्म में. यह मेरी सबसे बड़ी सीख रही है. बस उनसे मैंने थोड़ा बहुत सीखा. यह मेरी कोशिश रहेगी हमेशा की यदि उनकी तरह थोड़ा भी परफॉर्म कर पाऊं तो यह मेरा अहोभाग्य होगा. मैं कोशिश करना कभी नहीं छोडूंगा.
आपको अपनी माँ की सबसे पसंदीता फिल्म कौन सी लगती है?
मेरी माँ की सबसे पसंदीता फिल्म भूमिका है. इस फिल्म में उनकी परफॉरमेंस भी बेहद अच्छी लगी मुझे. फिल्म उस समय रिलीज हुई थी किन्तु आज भी रिलेवेंट है. उनकी सभी फिल्में समय से आगे हुआ करती. भवानी भवाई, चक्र, मिर्च मसाला और ढेरो फिल्में आज भी याद की जाती है. हर फिल्म में वो रोल मॉडल बन कर ऊभरी है. हर चरित्र याद करें तो एकदम दिल को छू लेता है उनका हर एक चरित्र. केवल 8 वर्ष के करियर में इतना कुछ कर लेना एक अचम्भा ही तो है. मेरी माँ एक मैजिक लेडी थी.
स्मिता पाटिल की बोलती से आंखे थी ,आपकी भी आँखे बोलती है क्या आप भी उनकी तरह आॅडियंस को कैप्चर कर पाते है ?
मै हमेशा अपने किरदार को हार्ड वर्क करके अपने किरदार को जस्टीफाई करने की कोशिश ही करता हूँ. मुझे इस बात का गर्व नहीं है लेकिन मैं अपने अआप को बहुत लक्की मानता हूँ की मेरी माँ ही मेरी रोल मॉडल है. जो भी बेंचमार्क उन्होंने क्रिएट किया है उसके करीब तो नहीं जा पाउँगा पर उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश जरूर करूँगा.
परफॉर्मेंस के परिवार से आप आते है आप अपने आर्ट और क्राफ्ट में किस तरह की ग्रोथ देखते है?
दरअसल,में दर्शक इस बात की सही मापदंड दे पाएंगे. पर मैं आज की तारीख में बहुत ग्रोथ देख पाता हूँ,बतौर अभिनेता और अपने व्यक्तित्व में भी. क्योंकि जब तक मैं अपने काम को लेकर एक भूख महसूस करता रहूंगा तब तक मेरे अंदर ग्रोथ चलती ही रहेगी. मेरे घर में सभी बेहद उम्दा परफाॅर्मा है मेरी माँ स्मिता पाटिल से लेकर मेरी माँ नादिरा बब्बर तक सभी बेहतरीन अभिनेत्रीयां है. नादिरा जी का एकजुट थिएटर इंस्टिट्यूट लगभग 40 वर्षों से अभिनेताओं को जन्म देता आया है. मुझे अपने घर से बहुत शिक्षा प्राप्त हुई है इसके लिए मै अपने आप को खुशकिस्मत मानता हूँ. मुझे अपने काम से प्यार है और जुनून भी है सो हमेशा उसे अच्छी तरह करने की कोशिश करता हूँ.