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मैं सिर्फ पैसे कमाने के लिए अभिनेता बना था ना कि अपनी कोई  हसरत पूरी करने के लिए - सदाबहार अभिनेता जितेंद्र 

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By Mayapuri Desk
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मैं सिर्फ पैसे कमाने के लिए अभिनेता बना था ना कि अपनी कोई  हसरत पूरी करने के लिए - सदाबहार अभिनेता जितेंद्र 

चैतन्या पादुकोण

77 साल के सदाबहार और फुर्तीले अभिनेता जितेंद्र (रवि कपूर) को अपने नाती और पोते के साथ  घर पर समय बिताना बहुत पसंद हैं।  टीवी के कॉमेडियन और होस्ट कपिल शर्मा के शो पर जितेंद्र ने कहा, 'तुषार का बेटा मुझे ज्यादा प्यार करता है(यानी मैं) अपने पिता से भी ज्यादा। जब उसने ये कहा तो ये मेरे लिए सबसे खुशी का पल था।'  जितेंद्र से जब उनके सुबह उठने के समय पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं रोज 12:00 बजे उठता हूं क्योंकि मैं जल्दी उठ कर भी करूंगा क्या? ना मुझे कोई शूटिंग पर जाना होता है ना कुछ एक्टिंग करनी होती है।

जब जितेंद्र से पूछा गया कि 70 और 80 के दशक की  इंडस्ट्री और आज की फिल्म  इंडस्ट्री में वो क्या अंतर पाते हैं। तो उन्होंने हंसते हुए कहा, 'हमारे समय में किसी भी स्टूडियो में ए.सी नहीं हुआ करती थी। बड़े बड़े पंखे होते थे। आजकल हर सेट पर ऐ.सी होती है.  हमारे समय में कितना भी मेकअप कर दे सब पसीने में बह जाता था पर अभी के एक्टर्स जैसे तैयार होकर आते शाम तक बिल्कुल वैसे ही रहते हैं। 'फर्ज' फिल्म के अभिनेता पंजाबी होने के बावजूद मराठी बहुत बढ़िया बोलते हैं। इसका कारण यह है कि उनका बचपन मध्य मुंबई के गिरगांव के चॉल में बिताया जहां सभी परिवार मराठी बोलते थे।  जब जितेंद्र की फिटनेस का राज पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वो कारवां (1971) फिल्म की शूटिंग के समय थोड़े ओवरवेट थे पर जब उन्होंने गुलजार साहब की परिचय (1972) की शूटिंग की तो उन्होंने अपना वजन कम कर लिया। जितेंद्र का मानना है कि पहले के जमाने में वजन पर इतना कोई ध्यान नहीं देता था। जिम भी नहीं जाते थे, क्योंकि वो अभिनेता थे बॉडी बिल्डर्स नहीं।

जितेंद्र ने आगे कहा, 'हमारे समय में अगर सुबह हम किसी अभिनेता के पर्सनल रूम में चले जाएं तो हर जगह चटनी, सोडा की बॉटल गिरे मिलते थे। आज के समय में रूम में जाओ तो डंबल्स दिखेंगे। जितेंद्र ने बताया कि वो मराठी बहुत अच्छी बोलते थे इसी की वजह से उनके मेंटर और आईकॉनिक फिल्म मेकर वी शांताराम ने उन्हें 'नवरंग' 1959 में जूनियर आर्टिस्ट का किरदार दिया और फिर 5 साल बाद उन्हें 'गीत गाया पत्थरों ने' 1964 में मुख्य किरदार निभाने का मौका दिया। जितेंद्र ने हंसते हुए कहा कि, 'बाकी लोग फिल्मों में अपनी हसरत पूरी करने, अपना टैलेंट आजमाने आते हैं पर मैं सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने के लिए एक्टर बना था'।

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