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मुझे हर दीवाली से प्यार है, लेकिन ये दिवाली मेरे लिए खास है- दीपिका पादुकोण

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By Mayapuri Desk
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मुझे हर दीवाली से प्यार है, लेकिन ये दिवाली मेरे लिए खास है- दीपिका पादुकोण

दीपिका पदुकोण:-- दीपावली के पावन उजालों में दुल्हन बनने की तैयारी के साथ झिलमिला रही दीपिका की आंखों में अपने आने वाले सुनहरे  भविष्य के गुलाबी गुलाबी नर्म धूप खिली है। उनके चेहरे की चमक में दुल्हन की गरिमा है, हया है और है इस दीपावली को यादगार दीपावली बना देने की भावनाएं। दीपावली उत्सव पर वे कहतीं हैं,' मेरे लिए दीपावली का मतलब है सेलिब्रेशन, ब्राइटनेस, फैमिली, फेस्टिव फरवर,  फ्रेंड्स, हैप्पीनेस पॉजिटिविटी और अब तक जो कुछ मिला उसके लिए शुक्रिया की भवना। हां यह दिवाली मेरे लिए खास है, बहुत खास। वैसे देखा जाए तो अब तक कि मेरी सारी दिपावलियां स्पेशल रही। बचपन की दिवाली से लेकर अब तक की दिवाली,  मुझे हर दीवाली से प्यार है। बचपन से लेकर किशोर अवस्था तक हमने बैंगलोर में अपने घर पर दीवाली मनाई, अपने मम्मी, पापा, बहन, एक्सटेंडेड फैमिली और बिल्डिंग की सहेलियों के साथ। बचपन में दीपावली के तीनों दिन, फैमिली का हर सदस्य अपना पूरा वक्त फैमिली को समर्पित करते थे। पूरा परिवार पूजा पर साथ बैठते थे। मैं तो मम्मी को किचन में हेल्प भी करती थी, आज भी यही कोशिश रहती है। घर की सजावट में भी मैं मेरी बहन अनिशा के साथ मम्मी को मदद करती थी। द्वार में रंगोली बनाना, बंदनवार तैयार करना और घर को फूलों से सजाने की जिम्मेदारी मेरी थी। पूजा हो जाने के बाद हम सब बच्चे नीचे आकर पटाखे फोड़ते थे। हमारे साथ हमेशा परिवार का कोई ना कोई बड़ा व्यक्ति होता था जो हमारी सेफ्टी पर नजर रखते थे और जब कोई बड़ा पटाखा जैसे बम जलाना होता तो वे खुद उसे जलाते थे। हम बच्चों के हिस्से में फुलझड़ियां ही होती थी। रात होते-होते गिफ्ट्स और मिठाइयों की थालियों का आदान-प्रदान शुरू हो जाता था और हम इसे खूब इंजॉय करते थे। फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद हमारे लाइफस्टाइल में बहुत बदलाव आया। त्यौहार मनाने के तरीके में भी बदलाव आया। कई बार दिवाली के वक्त भी शूटिंग  करती थी। लेकिन फिर मैंने कुछ चेंजेस की। पूरा साल शूटिंग में व्यस्त रहती लेकिन दीपावली के तीन दिन मैं अपने को फ्री कर के मम्मी पापा और बहन के पास उत्सव मनाने जाने लगी। मुंबई में मैं अकेली रहती थी इसलिए त्यौहार के मौसम में या तो मैं बैंगलोर पहुंच जाती या मेरे पैरंट्स और बहन यहां आ जाते। दिवाली पर हमारे यहां बचपन से ही ट्रेडिशनल मंगलोरियन स्वीट्स मम्मी बनाती थी आज भी बनाती है। वर्ष 2007 की दिवाली मेरे लिए यादगार है क्योंकि उस वर्ष दिवाली पर मेरी पहली फिल्म 'ओम शांति ओम' रिलीज हुई थी।  मैं जानती हूं कि आने वाले दिनों में मेरी जिंदगी के स्टाइल में कई खूबसूरत बदलाव आएंगे लेकिन दिवाली सेलिब्रेशन के मामले में कोई बदलाव नहीं होगा।

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