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काश! कोई सेंटाक्लॉज जुराबों में भर कर लेआते बॉलीवुड फिल्मों से नग्नता दूर करने की दवा

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By Sharad Rai
काश! कोई सेंटाक्लॉज जुराबों में भर कर लेआते बॉलीवुड फिल्मों से नग्नता दूर करने की दवा
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एक ओर दुनिया भर में मनाया जाने वाला पर्व क्रिसमस है, जिसके साथ ही शुरू हो जाता है नए साल का हंगामा. दूसरी तरफ बॉलीवुड में फिल्म पठान के नंगे गाने 'बेशरम रंग' पर भिड़ंत शुरू है! पिछले साल  कोरोना की नई प्रजाति के आ जाने के खतरे से पूरी दुनिया स्तब्ध थी, इस साल भगवा रंग को 'बेशर्म रंग' कहते हुए नंगी हो जाने वाली दीपिका पादुकोण के जिस्म शैशव की नुमाइश को देखकर पूरा भारत स्तब्ध है! क्या हो रहा है ये सब? इस भयाक्रांत सोच के पीछे सेंटाक्लॉज की रंग विरंगी चमकती छाया मन को आकर्षित करती है कुछ सवालों के साथ- "काश बाबा सेंटा इस नग्नता की सफाई करने के लिए अपनी जुराबों में भरकर कुछ कोरोना जैसी वैक्सीन लाते जो इन भ्रमित मानसिकता के फिल्मकारों को लगाकर उनका दिमाग शुद्ध किया जा सकता!"

परंपरा है- सेंटा क्लॉज का रूप लेकर 25 दिसम्बर को दुनिया भर में बहुत से सेलिब्रिटी लोगों के बीच शांति का मसीहा बनकर दिखाई देते हैं. यही एक पर्व है जो पूरी दुनिया मे मनाया जाता है.इसदिन सभी ईसाई चर्च जाते हैं.क्रिसमस- ट्री, क्रिसमस-कार्ड, झालर, पेस्ट्री, केक और बच्चों के लिए उपहार… इस माहौल को और आकर्षक बना देता है. बाबा सेंटा क्लॉज का आगमन! रात के समय एक दाढ़ीवाला बाबा आता है लाल चोंगे पहनकर और अपनी जुराबों से उपहार निकाल कर बच्चों को बांटता है. बदलते समय के साथ अब ये सेंटाबाबा माल्स, मल्टीप्लेक्स थियेटरों और शहर के पिकनिक स्पॉटों पर दिखाई देते हैं.

सेंटा क्लॉज की दाढ़ी के पीछे  कई बार फ़िल्म स्टारों के चेहरे भी दिखाई देते रहे हैं. अमिताभ बच्चन,बोमन ईरानी, प्रीति जिंटा, आमिर खान, अनुपम खेर, सनी लियोनी, शाहरुख खान और उनके छोटे पुत्र अवराम को भी बॉलीवुड नगरी में सेंटाक्लाज बनते देखा गया है. कभी शम्मी कपूर, प्रेमनाथ, ऋषि कपूर सेंटा क्लॉज का गेटअप लेकर बच्चों में जाया करते थे. यह एक खुशी का माहौल होता है जिसे सिर्फ ईसाई ही नहीं हिन्दू, मुस्लिम, सिख सभी वर्गों के लोग एन्जॉय करते हैं.

हॉलीवुड स्टार रिचर्ड एटनबरो, टीमएलेन, कुर्त रसेल, बिल्ली बॉबथ्रोनटन, जॉन गॉडमैन, लेजली नेल्सन आदि सेंटा क्लॉज का गेटअप लेकर बच्चों में गिफ्ट बांटने जाते रहे हैं. बॉलीवुड में वहीं की नकल आई है. उनके गीत- 'ज़िंगलबेल ज़िंगलबेल…' को न जाने कितनी बार कॉपी करके हमारी फिल्मों में गाने बने हैं.

यह खुशनुमा त्योहार अपने पीछे  नए साल का जोश लेकर आता रहा है. कोरोना के त्रासद दौर से गुजरने के बाद इस साल इस पर्व को मनाने का उत्साह  सभी मे खूब है. ऐसे में, नए साल के उत्साह को बेरंग करके  देश भर के शहरों में बॉलीवुड के बहाने माहौल को तनाव पूर्ण बनाने  का रवैया कितना घातक है, सोचकर हैरत होती है. सोशल मीडिया पर फिल्म "पठान" को लेकर छिड़े प्रतिक्रिया और प्रति-प्रतिक्रिया को पढ़कर, उनके वीडियोज देखकर, नेताओं की भाषणबाज़ी तथा शाहरुख खान -दीपिका पादुकोण के पुतले जलाने की वारदातें क्या उस भारत को शोभा देती हैं जो विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है?

हम तो यही दुआ करेंगे की इस क्रिसमस के मौके पर काश! कोई सेंटाबाबा अपनी जुराबों से अश्लीलता की सोच मिटाने वाली दवाईयां बांटता दिखाई पड़ जाए.

हैप्पी क्रिसमस!

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