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अपने हिस्से का प्यार, अपने तरीके से करती हैं Imtiaz Ali की फिल्मों की नायिकाएं
इम्तियाज़ अली(Imtiaz Ali)....इस सदी का ऐसा निर्देशक जिसने ना केवल प्यार की परिभाषा को बदला है बल्कि फिल्मों में नायिकाओं के चरित्र को भी और मजबूती से उकेरा है। इम्तियाज़ अली को खासतौर से रोमांटिक फिल्मों(Romantic Films) का निर्देशक कहा जाए तो कुछ गलत ना होगा। लेकिन इनका प्यार फूलों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने, विलेन के बीच में आने से हीरो हीरोइन की बिछड़न और फिर हैप्पी एंडिंग तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इन्होने प्यार को दायरे में ना बांधकर उन्मुक्त गगन दिया उड़ने के लिए, फैलने के लिए। इसलिए इनकी फिल्मों के ज़रिए मोहब्बत को देखने का नज़रिया आज बदल चुका है।
इनकी फिल्में प्यार तो बयां करती ही हैं लेकिन इनकी फिल्मों में नायक के साथ-साथ नायिकाओं को भी पूरी आज़ादी मिलती है। अपने हिस्से का प्यार, अपने तरीके से करने की आज़ादी...इसलिए तो इम्तियाज़ अली(Imtiaz Ali) की फिल्मों को दूसरी रोमांटिक फिल्मों से ज्यादा तवज्जो मिलती है। आज हम उनकी उन्ही कुछ खास फिल्मों के बारे में आपको बताएंगे जिनमें प्यार का एक अलग रूप तो दिखा ही साथ ही नायिकाओं ने अपने कैरेक्टर से प्रेम के लिए तय हो चुकी हद और दायरों को पार कर जिंदगी का एक अलग नज़रिया पेश किया।
1. जब वी मेट(Jab We Met)
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जब वी मेट की गीत तो आपको याद ही होगी।
“मैं अपनी फेवरेट हूं।“ “अब तो मेरा हाथ छोड़ दो, इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं।“ “बचपन से ही ना मुझे शादी करने का बहुत क्रेज़ है, बाय गॉड।“
ऐसे ना कितने डायलॉग है जिसने गीत को हमारी यादों में आज भी ज़िंदा रखा है। जब वी मेट की गीत, एक ऐसी लड़की जिसे समाज के दायरों से कोई लेना-देना नहीं था। सामाजिक ताने बाने में फिट ना बैठने वाली गीत को अपनी जिंदगी, अपनी शर्तो पर जीनी थी ताकि आगे जाकर उसे कोई शिकायत ना रहे और अपने लिए गए हर फैसले का दोष खुद को दे सके किसी और को नहीं। साल 2005 में आई इस फिल्म ने उस वक्त प्यार को लेकर लड़कियों की सोच को बदल दिया था।
करीना कपूर इस फिल्म में लीड एक्ट्रेस के तौर पर नज़र आई थी और गीत का किरदार उन्होने ही निभाया था। करीना ने जिस तरह गीत के रोल को जिया वो यादगार बन गया। गीत ने इस फिल्म के ज़रिए सिखाया कि प्यार गंभीर रहकर ही नहीं बल्कि मस्तमौला बनकर भी किया जा सकता है वो भी केवल अपनी शर्तों पर।
2. लव आज कल(Love Aaj Kal)
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साल 2009 में आई लव आजकल। दीपिका पादुकोण(Deepika Padukone) और सैफ अली खान(Saif Ali Khan) स्टारर। इम्तियाज़ अली (Imtiaz Ali) की इस फिल्म ने भी एक दूसरे तरीके का प्यार दुनिया को दिखाया। ऐसा प्यार जिसमें साथ जीने-मरने का कोई वादा नहीं है, मांग में सिंदूर की गर्ज नहीं, सात फेरों के कोई वचन नहीं है। बस प्यार है, प्यार है और केवल प्यार है। बिना शर्त, बिना कायदे का प्यार। सामाजिक दायरों को चुनौती देने वाला प्यार जिसकी उपेक्षा हमारे समाज में खूब होती है। फिल्म रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा थी, लेकिन गंभीरता के साथ की गई रोमांटिक कॉमेडी और हालात के अनुसार बयां किए गए जज्बात ने जो छाप छोड़ी कि इम्तियाज़ की ये फिल्म यादगार बन गई।
3. रॉक स्टार (RockStar)
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इम्तियाज़ अली ने ढेरों रोमांटिक फिल्मों का निर्माण किया लेकिन खासियत ये रही कि हर प्रेम कहानी दूसरे से अलग थी, बिल्कुल जुदा थी। ऐसी ही एक कहानी थी हीर और जर्नादन की। फिल्म में हीर थी नरगिस फाखरी(Nargis Fakhri) और जर्नादन का रोल किया था रणबीर कपूर(Ranbir Kapoor) ने। फिल्म की ज़बरदस्त कहानी ने इम्तियाज़ अली(Imtiaz Ali) को फिल्मफेयर अवॉर्ड तक दिलवा दिया। हीर.. जो कॉलेज की बेहद सीरीयस और पढ़ाई में ध्यान लगाने वाली लड़की थी लेकिन अंदर से उसका रूप सिर्फ जर्नादन(रणबीर कपूर) को ही पता था जो कुछ ही समय में उसका सबसे खास दोस्त बन गया था। दोनों साथ में घूमने जाते, मस्ती करते, यहां तक कि प्यार में हर हद को पार करते। इस फिल्म में जितना स्ट्रॉन्ग किरदार रणबीर कपूर का था तो वहीं नरगित फाखरी का रोल भी बेहद मजबूत था।
4. हाइवे(Highway)
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एक लड़की जो किडनैप कर ली जाती है लेकिन वो खुश है, किडनैपर से ही प्यार हो जाता है, उसी के साथ घर बसाने का सपना देखती वो लड़की अपने घर कभी लौटना ही नहीं चाहती। ऐसा प्यार शायद ही किसी और फिल्म में कभी दिखा हो। हालांकि फिल्म का क्लाइमेक्स दुखदायी था। महावीर(रणदीप हुड्डा) और वीरा(आलिया भट्ट) दोनों की प्रेम कहानी का अंत ऐसा होगा किसी ने ना सोचा था। लिहाज़ा लोगों के दिलों पर इम्तियाज़ अली की इस प्रेम कहानी ने जो छाप छोड़ी वो भुलाए नहीं भूलती।
खास बात ये है कि इम्तियाज़ की ये फिल्म सिर्फ दो विपरीत व्यवहार और पृष्ठभूमि वाले लोगों के बीच पनपे प्यार पर ही नहीं है बल्कि समाज की एक अहम समस्या पर ज़ोर का कटाक्ष भी करती है। बचपन में घर परिवार व करीबी लोगों के ज़रिए होने वाले शोषण और उसके बाद समाज और तहज़ीब के डर से अंदर ही अंदर घुटने वाले इंसान की जिंदगी को भी वीरा के कैरेक्टर के ज़रिए इम्तियाज़ ने बखूबी उकेरा है।
5. तमाशा(Tamasha)
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रणबीर कपूर(Ranbir Kapoor) और दीपिका पादुकोण की ये फिल्म जब शुरू होती है तो काफी हद तक इम्तियाज़ अली(Imtiaz Ali) की लव आज कल की तरह की लगती है। एक लड़का(वेद) और एक लड़की(तारा) जो विदेश में छुट्टिया मनाने जाते हैं। और दोस्त बन जाते हैं। दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताते हैं, घूमते फिरते हैं और फिर दोनों में प्यार हो जाता है लेकिन प्यार की एक ही शर्त है कि वो अपनी पहचान एक दूसरे से छुपा कर रखते हैं। और यही एंगल इस फिल्म को लव आज कल से अलग बनाता है।
फिल्म के एंडिंग क्या रहती है ये वाकई जानने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं। फिल्म ने भले ही बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाल नहीं किया लेकिन फिल्म में अनूठा लव एंगल फिल्म की यूएसपी है।
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