बाल कलाकार के तौर पर सीरियल ‘‘नीर भरे तेरे नैना देवी’’ में लक्ष्मी का किरदार निभाकर षोहरत बटोरने वाली रीम समीर शेख बाद में ‘मी आजी और साहेब’, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’, ‘ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा 2’, ‘खेलती है जिंदगी आंख मिचोली’, ‘दीया और बाती हम’, ‘चक्रवती अशोक सम्राट’ जैसे कई सीरियलों, ‘वारिस’ और गुल मकाई’ जैसी कुछ फिल्मों एवम्कई म्यूजिक वीडियो में नजर आ चुकी हैं. इन दिनों वह सीरियल ‘‘तेरे इष्क में घायल’’ को लेकर चर्चा में हैं. जो कि 13 फरवरी से ‘कलर्स’ टीवी चैनल पर हर सोमवार से बुधवार रात नौ बजे प्रसारित होगा. इस एक घ्ंाटे की अवधि वाले सीरियल में उनके साथ करण कंुद्रा और गष्मीर महाजनी भी हैं. प्रस्तुत है रीम समीर षेख से हुई बातचीत के अंष...
आपने बाल कलाकार के तौर पर कैरियर की षुरूआत की थी. वहां से अब तक की अपनी यात्रा को आप किस
तरह से देखती हैं?
मेरी अब तक की यात्रा खूबसूरत ही रही हैं. मैने इस बीच बहुत कुछ सीखा है. हमने कुछ लोगों को खोया है. तो
वहीं कुछ लोग आज भी हमारे साथ हैं. तो जिंदगी अपने आप में काफी खूबसूरत यात्रा है. मैं अपने आपको
भाग्यषाली और गौरवान्वित महसूस करती हॅूं कि मुझे लगातार अच्छा काम करने का अवसर मिलता जा रहा है.
मुझे एक के बाद दूसरा सीरियल मिलता रहा. मैने ‘वारिस’, ‘गुल मकाई’ व ‘ट्यूस्डे एंड फ्रायडे’ फिल्मों में चुनौतीपूर्ण
किरदार निभाए.
आपके कैरियर के टर्निग प्वाइंट्स कौन से रहे?
मुझे बतौर कलाकार काम करते हुए तेरह वर्ष हो रहे हैं. इतने लंबे कैरियर मंे कई टर्निंग प्वाइंट्स व कई यादगार
पल रहे. कुछ इमोषनल पल रहे हैं. मैने हर तरह के इमोषंस का सामना किया है. मेरे कैरियर का टर्निंग प्वाइंट तो
वह है जब मुझे पहले सीरियन के लिए अवाॅर्ड मिला था. यह मेरे लिए इंडस्टी में काफी खूबसूरत पल रहा है. बीच
बीच में मैने भी रिजेक्षन का मुकाबला किया है. जब रिजेक्षन मिलते थे,तब तकलीफ होती थी. हम जब एक
सीरियल में अभिनय करते हैं, तो कुछ नए दोस्त बनाते हैं. सीरियल बंद होते ही हम उन दोस्तों से भी बिछुड़ जाते
हैं. सीरियल की षूटिग के वक्त हम इतना लंबा वक्त एक सथ बिताते हैं कि परिवार सा बन जाता है. फिर
सीरियल का प्रसारण बंद होते ही इस परिवार से अलग होना इमोषनली तकलीफ देता है. अभिनय करते हुए एक
सीरियल में हम जितने इमोषन देते हैं,उससे कहीं अधिक इमोषन हम अपनी निजी जिंदगी में भी फेस करते हैं.
तेरह फरवरी से ‘कलर्स’ टीवी पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘तेरे इष्क में घायल’ मंे क्या खास बात आयी, जिसके
चलते आप इस सीरियल के संग जुड़ी?
तेरह फरवरी से ‘कलर्स’ टीवी पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘तेरे इष्क में घायल’ मंे क्या खास बात आयी, जिसके
चलते आप इस सीरियल के संग जुड़ी?
पहली बात तो यह फाइनाइट षो है. यानी कि इसकी कहानी व अंत सब कुछ तय हैं. इसके तयषुदा एपीसोड हैं.
हर एपीसोड एक घ्ंाटे का होगा. जब हमें पता होता है कि इसमें छह माह तक ही यह इमोषन देना है,तो हम
इमोषनली स्टेबल रहते हैं. इसके अलावा हमारे पास जिंदगी मंे इसके बाद कुछ नया करने के मौके होते हैं. दूसरी
बात इसकी पटकथा काफी संुदर है. इसमें कुछ भी रबर की तरह खींचा नही जाता. इसकी कहानी बहुत अलग है.
हम कुछ नया करने की कोषिष कर रहे हैं. इसमें दो भाई एक ही लड़की के प्यार में हैं. और दोनो उस लड़की को
पाना चाहते हैं.
‘‘तेरे इष्क में घायल’’ में आपका अपना किरदार किस तरह का है?
मैंने इसमें ईषा का किरदार निभाया है. वह बहुत स्पेषल लड़की है. वह अपने माता पिता को खो चुकी है. तो
उसकी जिंदगी में एक खालीपन है. फिर उसकी जिंदगी में अरमान आता है और उसे ख्ुाषियंा दे देता है. ईषा की
जिंदगी मंे खुषियां आ ही रही होती हैं,तभी उसकी जिंदगी में वीर भी आ जाता है. उसके बाद ढेर सारा ड्ामा और
ढेर सारा रहस्य पैदा होता बहुत ही अलग तरह का किरदार है. अब तक ऐसा किरदार नही निभाया है. इसमें रोमांस
की एकदम नई कहानी है.
आपको लगता है कि आप जिस उम्र में हैं, उस उम्र में रोमांटिक किरदार निभाना अच्छा है?
अच्छे या बुरे की बात नहीं है. एक कलाकार के तौर पर हम यह समझ रखते हंै कि हमें किसके साथ काम
करना है. फिर सब कुछ कहानी व पटकथा पसंद आने पर ही हम हामी भरते हैं. कलाकार के तौर पर जब हम दो
तीन बार पटकथा पढ़ते हंै, तो हम उस किरदार की जिंदगी जीने लग जाते हैं. ऐसे में मुष्किल का सवाल नही
उठता. मैने तो इससे पहले एक एडाॅप्टेड बच्चे की मंा का किरदार भी निभाया है. इमानदाारी की बात यह है कि
आपका अपना क्राफ्ट ही हमेषा बोलता है, फिर चाहे जिस उम्र का किरदार हो.
आपकी जिंदगी में कभी खालीपन आया?
मेरी राय में हर इंसान की जिंदगी में खालीपन कभी न कभी आता ही है. मैं भी इंसान ही हॅूं.
जब किसी सीरियल में लंबे समय तक एक ही किरदार को निभाती हैं, तो उस वक्त मोनोटोनस हो जाने का
अहसास नहीं होता?
मोनोटोनस या बोर होने की कोई बात ही नही होती. जब हम किसी किरदार को लंबे समय तक निभाते हैं,तो
मोनोटोनी आ जाती है,मगर आप जिनके साथ काम करते हैं,वह कलाकार अच्छे हों,तो ऐसा कुछ नही होता.
अभिनय मंे दो चीजें महत्वपूर्ण होती हैं.आपके निजी जीवन के अनुभव और कल्पना षक्ति. आप किसी किरदार
को निभाते वक्त किसका कितना उपयोग करती हैं?
देखिए, हर किरदार को निभाने में निजी जीवन के अनुभव व कल्पना षक्ति दोनों का उपयोग करते हैं. जीवन में
इतने सारे अनुभव,इतने सारे आब्जर्वेषन होते हैं, जिनका उपयोग तो होता ही है. उन अनुभवों व पटकथा के अनुसार
किरदार को ध्यान में रखकर कल्पना षक्ति का उपयोग करते हुए उस किरदार का सीनीरियो बनाना ही होता है.
किस सीरियल या किरदार में आपने अपनी जिंदगी के अनुभव को डाला था?
इस तरह से याद नही है. पर हम अक्सर अपनी जिंदगी के अनुभवों का उपयोग करते हैं. मैं अपने हर किरदार में
अपनी एक छाप छोड़ने की कोषिष अवष्य करती हॅूं. मैने निजी जीवन के अनुभव का उपयोग जरुर किया होगा,पर
इस वक्त याद नही आ रहा.
कलाकार के तौर पर फिल्म,टीवी व म्यूजिक वीडियो में से कहां ज्यादा इंज्वाॅय करती हैं?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्क्रिप्ट किसकी ज्यादा अच्छी है. उसके बाद टीम कैसी है,इस पर भी बहुत
कुछ निर्भर करता है.
आपके षौक क्या हैं?
लिखना. मैं लगभग हर दिन डायरी लिखती हॅंू, जो कि मेरे जिंदगी के अनुभवो का सार होता है. बीच में मैने
कत्थक डंास सीखने की कोषिष की थी. कत्थक एक ऐसा डंास फार्म है जो कि ढेर सारे भाव लाता है. कत्थक
डांस मुझे पसंद भी है. इसको सीखने के पीछे मेरा कोई मोटिव नही था. थोड़ा बहुत किताबें भी पढ़ती हॅूं. मैं बहुत
साधारण इंसान हूॅॅं,तो मेरे षौक भी साधारण हैं.