आनेवाली फिल्म "सैम बहादुर" की टीम में कोई नहीं है जिसने 1971 का भारत-पाक युद्ध देखा हो By Sharad Rai 15 Nov 2023 | एडिट 15 Nov 2023 07:30 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर 1 दिसंबर 2023 को पूरे भारत (और ओवरसीज) के थियेटरों में एक फिल्म लगने जा रही है "सैम बहादुर"। यह एक ऐसे बहादुर सैनिक के जीवन पर बनी फिल्म है जो 40 साल तक आर्मी यूनिफॉर्म में था और चार सालों में पांच लड़ाइयां लड़ा था। जिसने अपनी युद्ध प्लानिंग के बल पर पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और जिसके रण कौशल के दम पर ही आज़ाद 'बंगला देश' का जन्म हुआ ! जब बात भारत पाकिस्तान युद्ध मे पाक को शिकस्त देकर बंगलादेश बनानेवाले भारतीय सैनिकों की चलती है, बरबस एक नाम होठों पर आ जाता है- फिल्ड मार्शल जनरल माणेकशॉ ! उस फिल्ड मार्शल की जीवनी पर एक फिल्म अभिनेत्री राखी और मशहूर गीतकार निर्देशक गुलजार की पुत्री मेघना गुलजार ने बनाया है 'सैम बहादुर"। यह वही सैम बहादुर हैं जो भारत के एकमात्र फिल्ड मार्शल रहे हैं, कोई और अबतक वैसा आया नहीं, जिसे यह पदक (पदवी) दिया जा सके। उस भारतीय सेना प्रमुख जनरल माणेकशॉ की जीवनी पर मेघना गुलजार एक फ़िल्म निर्देशित की हैं "सैम बहादुर"। रोनी स्क्रूवाला फिल्म के निर्माता हैं। जनरल माणेकशॉ की वीरता, उनकी युद्ध प्लानिंग और '71 के वार मे फाइटर प्लेन और टैंकों की गड़गड़ाहट की सुनाई देती आवाज का अनुमान वही लोग लगा सकते हैं जिनके कान उनदिनों (3 दिसंबर से 16 दिसंबर 1971) दिन रात ट्रांजिस्टरों पर समाचार सुनने के लिए चिपके होते थे। हैरानी की बात है कि उस सैनिक सैम ( फिल्ड मार्शल जनरल सैम हॉर्मोसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ) की जीवनी पर "सैम बहादुर" नाम से जो फिल्म बनाई जा रही है उस टीम में कोई बंदा उस समय की व्याकुलता को महसूस करा सकने वाला इस टीम में नही है। फिल्म की लेखिका भवानी अय्यर तब पैदा ही हुई थी (उनकी जन्म तिथि है 1970)। यानी- वह एक साल की थी।फिल्म के हीरो विक्की कौशल जो (फिल्ड मार्शल शॉ को पर्दे पर पोट्रेट करने जा रहे हैं) युद्ध से 17 साल बाद (1988) पैदा हुए थे। सैम बहादुर की पत्नी(सिलू) की भूमिका करने वाली अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा युद्ध से 21 साल बाद (1992) दुनिया मे आयी हैं।फिल्म में पूर्व प्रधान मंत्री स्व. इंदिरा गांधी को पर्दे पर जीने वाली तारिका फातिमा सना शेख 1992 में पैदा हुई हैं यानी लड़ाई होने से 21 साल बाद और वह श्रीमती गांधी की मौत (1984) का हादसा भी अपनी आंखों से नहीं देखी हैं। और तो और, टीम की कप्तान (डायरेक्टर) मेघना गुलजार भी बंगलादेश पैदा करने वाले भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय सिर्फ 2 साल(सन 1973 की पैदाइस ) की थी। फिल्ड मार्शल जनरल माणेकशॉ (सैनिकों के लिए सैम बहादुर) की जीवनी पर जिस फिल्म का निर्माण हुआ है, वे बहुत अतीत की धरोहर नही हैं।अभी कुछ साल पहले (जून 2008) ही उनकी मौत हुई है। ऐसे में कुछ लीडिंग चेहरे उस काल विशेष से जुड़े हुए होते (फिल्म इंडस्ट्री से या सेना से रिटायर्ड) तो बात अधिक प्रभावशाली लगती। बेशक मेघना गुलज़ार ने ऐसी एक फिल्म 'राज़ी' देकर वाहवाही लिया है। वह एक अच्छी फिल्म मेकर हैं। फिल्म काल्पनिकता का सहारा लेकर किसी भी कलाकार को तैयार कराकर कभी भी बनाई जा सकती है लेकिन जब काल्पनिकता को हकीकत में बयां करने वाले लोग दुनिया में मौजूद हों तो फिल्ड मार्शल पर फिल्म बनाते समय उनका साथ लिया जाना चाहिए था। फिल्म इंडस्ट्री के कुछ पुराने चेहरे जिन्होंने युद्ध देखा-सुना था, वे भी इसमें होते तो शायद अनुभूति और भी होती। #india pakistan war movies bollywood #indo pakistan war 1971 movies #sam bahadur biopic film #sam bahadur film news #Vicky Kaushal movies #sam bahadur trailer हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article