/mayapuri/media/post_banners/3b203b3eae777b0c016fe82874ec573b787526e27c0835cb3213f6fc1432e51e.jpg)
इन दिनों हर फिल्मकार अपनी असफलता व अपनी गलती को छिपाने के लिए 'केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड' (सेंसर बोर्ड) का सहारा लेने के साथ ही 'केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड' (सेंसर बोर्ड) का सहारा लेकर अपनी फिल्म को विवादों में खड़ा कर फिल्म को सफल बनाने का प्रयास किया जाता है. ऐसा अतीत में कई बार हो चुका हे. फिर चाहे वह फिल्म 'उड़ता पंजाब' हो या संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' हो या ओम राउत की फिल्म 'आदिपुरूष ही क्यों न हो. अब इसी ढर्रे पर अभिनेता व निर्माता अक्षय कुमार भी चल रहे हैं.
अक्षय कुमार का कैरियर लगभग चात्म हो रहा है. पिछले दो तीन वर्ष के अंतराल में अक्षय कुमार की एक दो नहीं बल्कि लक्ष्मी, बेल बोटम, सूर्यवंशी, अतरंगी रे, बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षा बंधन, कठपुटली, राम सेतु, एन एक्षन हीरो, सेल्फी सहित ग्यारह फिल्मों को दर्शक सिरे से नकार चुके हैं. इनमें से कुछ फिल्मों के साथ अक्षय कुमार बतौर निर्माता भी जुड़े हुए थे. जिसके चलते उन्हे आर्थिक नुकसान भी सहना पड़ा. अब अक्षय कुमार की ग्यारह अगस्त को फिल्म "ओ माय गॉड 2" प्रदर्शित होने जा रही है. अक्षय कुमार इस फिल्म के निर्माता भी हैं. अक्षय कुमार के लिए उनकी इस फिल्म का बाक्स आफिस पर सफलता के झंडे गाड़ना आवश्यक है. इसलिए अब अक्षय कुमार ने भी सेंसर बोर्ड का सहारा लेकर अपनी फिल्म "ओ माय गॉड" को विवादों में लाकर सफलता दिलाने की राह पकड़ ली है.
मध्यप्रदेश सरकार भी दोषी
यदि हम मीडिया की खबरों को ही सच मान ले और यह मान ले कि सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी ने फिल्म 'ओ माय गॉड 2' को बैन कर दिया है. तो इसके लिए कहीं न कहीं उंगली मध्यप्रदेश सरकार पर भी उठेंगी. सभी जानते है कि 'ओ माय गॉड' को उज्जैन मध्यप्रदेश के भगवानशिव के मंदिर 'महाकाल मंदिर' में भी फिल्माया गया हे. महाकाल मंदिर तो निजी हाथों या किसी निजी ट्स्ट के हाथ में नही है. बल्कि सरकार द्वारा गठित प्रशासनिक समित इसका संचालन करती है. तो क्या इस समिति ने अपना काम सही ढंग से नही किया?
बहरहाल, सवाल कई हैं... पर हम मानकर चल रहे है कि अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म "ओ माय गॉड 2" में आस्था के साथ खिलवाड़ नही किया होगा. और फिल्म को गलत तरीके से विवादों में लाने का प्रयास भी वह नही कर रहे होंगे...
वास्तव में मीडिया में खबरे गर्म हैं कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म 'ओ माय गॉड 2' को सेंसर प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया. तो कुछ मीडिया छाप रहा है कि सेंसर बोर्ड की परीक्षण समित /एक्जामिन कमेटी ने अक्षय कुमार की फिल्म "ओ माय गॉड 2" को सेंसर प्रमाणपत्र देने से इंकार करते हुए 'रीवाइजिंग कमेटी' में भेज दिया है. इस तरह की खबरों की भाषा पूरी तरह से पी आर की 'प्रेस नोट' जैसी नजर आ रही है. सेंसर बोर्ड की कार्यशैली से परिचित बॉलीवुड का कए तबका इससे सहमत नजर नही आता. वह सवाल उठा रहा है कि क्या अचानक सेंसर बोर्ड के नियम व कार्यशैली बदल गयी है? क्या सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी को किसी भी फिल्म को रीवाइजिंग कमेटी में भेजने का अधिकार मिल गया है? यदि ऐसा नही है,तो इस तरह की गलत खबरों के छपने पर सेंसर बोर्ड मौन क्यों है? हकीकत यह है कि अब तक सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी का काम फिल्म देखकर अपना निर्णय देना रहा है. उस निर्णय से जब सेंसर बोर्ड लिखित रूप से निर्माता को अवगत कराता है, तब उस निर्णय से असहमत होने पर निर्माता अपनी तरफ से रीवाइजिंग कमेटी में अपील करता है. इस हिसाब से यदि सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी ने 'ओ माय गॉड' को सेंसर प्रमाणपत्र ही देने से इंकार कर दिया है और उसके बाद फिल्म के निर्माता अपनी फिल्म को लेकर रीवाइजिंग कमेटी के सामने पहुंचे हैं,तो फिर यह बात भी सामने आनी चाहिए कि सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी ने फिल्म 'ओ माय गॉड' को प्रमाणित न करने की क्या वजहें दी है? निर्माता 'एक्जामिन कमेटी' की किस बात से असहमत है.... मगर इसकी कहीं कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है... इससे यह सारा प्रकरण फिल्म निर्माता का 'पब्लिसिटी स्टंट' ही नजर आता है. इतना ही नही कुछ खबरे यह भी आ रही है कि सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी ने 'ओ माय गॉड 2' को 'ए' प्रमाणपत्र दिया है. अब हो सकता हे कि फिल्म के निर्माता 'यू' प्रमाण पत्र चाहते हों, इसलिए वह रीवाइजिंग कमेटी में जाना चाहते हों... जो भी हो, सच सामने आना चाहिए था कि सेंसर बोर्ड की एक्जामिन कमेटी ने किन दृश्यों को आपत्ति जनक मानकर 'ए' प्रमाणपत्र दिया. कुल मिलाकर मीडिया मे आयी इस खबर में काफी झोल नजर आ रहा है. पर सवाल यह है कि क्या इस तरह के पब्लिसिटी स्टंट के सहारे अक्षय कुमार की नैय्या पार लग जाएगी?
बॉलीवुड का एक तबका मानता है कि फिल्म "आदिपुरूष" को लेकर जिस तरह से सेंसर बोर्ड पर सवाल उठे हैं, जिस तरह से सेंसर बोर्ड को अदालत ने फटकार लगायी है, उस पर परदा डालने के लिए यह निर्माता व सेंसर बोर्ड का मिला जुला प्रयास है.
शिव के माध्यम से सेक्स एज्युकेशन
जबकि एक तबका मानता है कि फिल्म "ओ माय गॉड" के खिलाफ शोशल मीडिया सहित कई प्लेटफार्म पर जो विरोध हो रहा है, उस विरोध से दर्शक व देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए सेंसर बोर्ड से जुड़ी खबरें छपवाने की कवायद की गयी है? वास्तव में 'ओ माय गॉड 2' के संदर्भ में कहा जा रहा है कि फिल्म में भगवान शिव के बहाने सेक्स एज्यूकेशन और होमोसेक्सुआलिटी पर बात की गयी है. यह बात 'आईएमडीबी' पर भी मौजूद है. यह बात 12 जुलाई तक विक्की पीडिया पर भी मौजूद था,पर 13 जुलाई को विक्की पीडिया से यह बात हटा दी गयी. शोशल मीडिया पर इसी का विरोध हो रहा है. लोग मान रहे हैं कि भगवान शिव के नाम पर सेक्स एज्युकेशन और होमोसेक्सुआलिटी की बात करना आस्था के साथ खिलवाड़ करना है. लोग इसे गंदा खिलवाड़ मानकर चल रहे हैं. इस विरोध के बाद ही फिल्म 'ओ माय गॉड 2' को बैन करने या रीवाइजिंग कमेटी में भेजने का गलत प्रचार किया जा रहा है.