Advertisment

कान्स फ़िल्म फेस्टिवल एक फैशन इवेंट है या फिर फिल्मों का त्योहार?

author-image
By Sharad Rai
New Update
कान्स फ़िल्म फेस्टिवल एक फैशन इवेंट है या फिर फिल्मों का त्योहार?

इस साल 16 मई से 27 मई तक चलने वाले कान्स फ़िल्म फेस्टिवल (cannes films festival 2023) ने लोगों के दिमाग मे सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह फिल्मों का मेला है या फिर फैशन के प्रदर्शन की जगह? बेशक 'कान्स फिल्म समारोह' में इस साल भारत का बोलबाला रहा है और वहां हर तरफ भारत की शमिल हुई तारिकाओं की ही चर्चा थी पर जो बहस  कान्स की मूल सोच को लेकर चल पड़ी है, वो है तो चौकाने जैसी बात ही ! कान्स के 76 वें संस्करण में फिल्म की चर्चा ही नही हुई है, चर्चा सिर्फ यह रही है कि इंडियन या विदेश की किस एक्ट्रेस ने कितना बदन  दिखाऊँ कपड़ा पहना है या लोगों का ध्यान खींचा है?

Advertisment

बताने की जरूरत नही की  'सबस्त्र नग्ना परिधान' प्रदर्शन के इस मंच पर जिसे हम 'रेड कार्पेट' पर चलना  कहते हैं, भारतीय सिनेमाई सुंदरियां ही हावी रही हैं. सोशल मीडिया उनकी तस्वीरों से भरा पड़ा है कि पर्दे की सुंदरियां वहां क्या क्या पहन कर मजे बांट रही हैं. ऐश्वर्या राय बच्चन और सनी लियोनी के कपड़ों का अंतर तो देखा जा रहा है लेकिन कोई यह क्यों नही सोच रहा है कि बॉलीवुड की डेढ़ दर्जन हीरोइनें क्या वहां सिर्फ देह दर्शन कराने गयी थी?

विवेक अग्नि होत्री, नंदिता दासऔर ऋचा चड्ढा  ने विरोध दर्ज कराया है कि वहां फिल्मो के बाजार- व्यापार की बात होने की बजाय हीरोइन के हुस्न और लुक की चर्चा हो रही थी. ऋचा चड्ढा अपने पति अली फजल के साथ वहां पहुंची थी. ऋचा की एक फिल्म कान्स में शामिल हुई है-' "गर्ल्स विल बी गर्ल्स". ऋचा कहती हैं- " ये लोग (रेड कार्पेट की कॉन्स्टेंट) यहां फिल्म्स को लेकर या फिल्म के लिए नहीं आए हैं." और विवेक अग्नि होत्री (मेकर  "द कश्मीर फाइल्स") तो सवाल ही उठा देते हैं- " कान्स फ़िल्म फेस्टिवल एक फैशन इवेंट है या फिल्मों का त्योहार?" वह फिल्म समारोह को फैशन इवेंट में तब्दील होने पर दुख जताते हैं. इसी तरह कान्स फेस्टिवल की जुरी सदस्य (2005) रह चुकी नंदिता दास पहले ही कह चुकी हैं-" यह फिल्मों का त्योहार है कपड़ों का नही."

और, सचमुच देखा जाए तो इस फेस्टिवल में ऑफिसियल एंट्री भारत की सिर्फ दो फिल्मों को ही मिली है- 'केनेडी' और 'आगरा' को.  अगर अपनी फिल्म 'केनेडी' के प्रदर्शन से पहले फिल्मकार अनुराग कश्यप अपनी फिल्म की हिरोइन सनी लियोनी का गाऊन पकड़ कर पीछे  चलते हुए हीरो राहुल भट्ट के साथ रेडकार्पेट पर देखे जाएं तो बात समझ मे आती है मगर हरियाणवी डांसर सपना चौधरी वहां क्या कर रही थी? ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा  पूर्व  विश्व सुंदरी का तमगा रखती हैं इसलिए हरसाल आमंत्रित होती हैं. ऐश्वर्या राय बच्चन पूर्व जुरी सदस्य(2003) भी रह चुकी हैं.कान्स में इस साल भारतीय हीरोइनों का जलवा दिखाई दिया है- ईशा गुप्ता, उर्वशी रौतेला, सारा अली खान, अनुष्का शर्मा, मानुषी छिल्लर, सपना चौधरी, श्रुति हासन जैसी तारिकाओं का जलवा फैशन परेड में हिस्सा लेने जैसा ही था. सबकी सब जितने खूबसूरत परिधान में थी, तारीफ ही करनी होगी, बस उनके वहां होने की वजह बताना मुश्किल है.

वैसे, जानकारी के लिए बता दें कि कान्स फेस्टिवल में आमंत्रित सिर्फ फिल्म फेटर्निटी के लोग ही होते हैं लेकिन भीड़ वहां बाहरी लोगों की ज्यादा होती है. फेस्टीवल के दौरान वहां बिछे रेडकार्पेट को दिन में 3 बार बदला जाता है लेकिन उस पर चलने की कोई भी सोच सकता है. सिर्फ आपके पास एक  प्रीमियर टिकट, एक फैंसी गाऊन और डिजाइनर गहने पहने हुए होना चाहिए. अब, टिकट का रेट भी जान लीजिए 5 से 20 लाख रुपए तक होता है. 12 दिन के पर्व में तीन दिन का पास भी बनता है. यही वजह है बॉलीवुड की कई हीरोइने सिर्फ  तीन दिन कान्स  फेस्टिवल में  रहकर आजाती हैं और फोटोज में उनके तीनो दिनों के अलग अलग डिजाइनदार  गाऊन चर्चा में बने रहते हैं.

वेनिस फिल्म फेस्टिवल को पछाड़ने की सोच के साथ(1938 में) शुरू किया गया कान्स फिल्म फेस्टिवल आज दुनिया का श्रेष्ठ फिल्म फेस्टिवल माना जाता है. लेकिन, पिछले कुछ सालों से फिल्मों का यह त्योहार फिल्म की बजाय फैशन का त्योहार बनता जा रहा है जहां जूलिया फॉक्स जैसी सेलेब्रिटी 'ग्लास लाइक टॉप' पहन कर इस साल के सेलिब्रेशन का हिस्सा बनती हैं. हमारी हीरोइनें तो कम ही शो- से बाजी करती हैं. मगर जलवा इस साल उनका ही रहा है. बहरहाल कान्स फेस्टिवल के विखराव पर बहस जारी है...!

Advertisment
Latest Stories