यूँ तो भारत में OTT प्लेटफॉर्म की शुरूआत 2008 में रिलायंस ने की थी, मगर 2015 में ‘नेटफ्लिक्स’ के आने के बाद ओटीटी प्लेटफाॅर्म ने अपनी रंगत दिखानी शुरू की। ‘सेक्रेड गेम्स’, ‘इनसाइड एज’ को मिली अपार सफलता के साथ ही ओटीटी प्लेटफाॅर्म की तरफ लोगों का आकर्षण बढ़ा। मगर कोरोना महामारी के चलते गत वर्ष जब लाॅकडाउन लगा, तो घर में कैद हर इंसान के लिए मनोरंजन का एकमात्र साधन यह ओटीटी प्लेटफाॅर्म बन गए। देखते ही देखते सभी ओटीटी प्लेटफाॅर्म के ग्राहकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। अभी भी हालात समानय नहीं हुए है। दर्शक सिनेमाघरों जाकर फिल्म देखने से डर रहा है।
परिणामतः लोग ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर वेब सीरीज व फिल्में देखने को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालात यह बने हुए है कि लोग टीवी या सेटेलाइट चैनल के कार्यक्रम देखने की बजाय ओटीटी प्लेफाॅर्म को देख रहे हैं। इसी वजह से कुछ टीवी चैनलों ने अपने अपने ओटीटी प्लेटफाॅर्म शुरू कर दिए हैं और अपने सीरियल इन ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर भी दिखा रहे हैं। इतना ही नहीं धीरे-धीरे फिल्म के अलावा टीवी कलाकार भी ओटीटी प्लेटफाॅर्म की तरफ रुख करते हुए नजर आ रहे हैं। इसी वजह से इन दिनों यह चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि ओटीटी प्लेटफाॅर्म, टीवी इंडस्ट्री के लिए खतरा बन गए हैं। हमने इस मसले पर कुछ टीवी कलाकारों से बात की।
आइए, देखें इस संबंध में उनकी क्या राय है
‘‘हर प्लेटफार्म के अपने दर्शक है..’’ रोहित चैधरी
यह कटु सत्य है कि OTT ने मनोरंजन उद्योग में पूरी तरह से क्रांति ला दी है। सभी अभिनेताओं को ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर अपनी प्रतिभा को सहीं अंदाज में दिखाने के लिए अच्छे अवसर मिल रहे हैं। यह उद्योग के लिए एक बड़ा फायदा है। मैंने अभी तक एक भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम नहीं किया है। लेकिन मुझे ओटीटी प्लेटफाॅर्म की वेब सीरीज या फिल्म में काम करना अच्छा लगेगा। देखिए, यह तो मनोरंजन क्षेत्र का विस्तार है। मुझे नहीं लगता कि ओटीटी प्लेटफाॅर्म से किसी भी अन्य प्लेटफाॅर्मों के लिए खतरा है। हर माध्यम का अपना बाजार है, अपने दर्शक वर्ग है। हर प्लेटफॉर्म सह- अस्तित्व में रह सकता है।
‘‘OTT प्लेटफाॅर्मों के कारण टीवी दर्शकों की संख्या में थोड़ी गिरावट हो सकती है’’ विजयेंद्र कुमेरिया
इसमें कोई दो राय नहीं कि अपनी विविधतापूर्ण विषयवस्तु वाले कंटेंट के बल पर OTT मंच वास्तव में तेजी से बढ़ रहा है। इस पर हर माह बेहतरीन वेब सीरीज प्रसारित हो रही है। यह ऑन-डिमांड है और लोग अपने पसंदीदा वेब सीरीज या फिल्म का अपनी सुविधानुसार समय पर आनंद ले रहे हैं। यह हमारे लिए महान बात है कि अभिनेता के तोर पर अब हमारे पास अधिक अवसर हैं। यह कहने के बाद, मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि ओटीटी प्लेटफाॅर्मों के कारण टीवी दर्शकों की संख्या में थोड़ी गिरावट हो सकती है। लेकिन अंततः टीवी दर्शकों की संख्या हमेशा अच्छी रहेगी। चिंता की कोई बात नहीं है। क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अभी भी टेलीविजन स्क्रीन पर सीरियल देखना और उन्हें परोसे जाने वाले सामग्री का आनंद लेना पसंद करते हैं। अगर हम बड़े पर्दे की बात करें, तो मुझे कहना होगा कि लोग थिएटर में फिल्में देखना पसंद करते हैं और यह स्थिति कभी नहीं बदलेगी।
‘‘मैं इसे खतरा मानने की बजाय एक अवसर की तरह देखता हूँ’’ जान खान
मैं इसे खतरा मानने की बजाय एक अवसर की तरह देखता हॅू। यह नया बदलाव बहुत कुछ अच्छा लेकर आया है।यह उद्योग को अच्छी तरह से सेवाएं दे रहा है। टीवी उद्योग इससे प्रभावित है, लेकिन दोनों मंच कई मायनों में अलग हैं और दोनों प्लेटफार्मों के दर्शक भी अलग- अलग हैं। जरुरत है कि टीवी पर भी कुछ बेहतरीन कार्यक्रम परोसे जाएं।
‘‘OTT के आगमन से मैं खुश हूँ..’’ सिद्धार्थ सिपानी
OTT प्लेटफॉर्म के आगमन व दर्शकों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने से मैं बहुत खुश हॅू। इसकी मूल वजह यह है कि अब मुझे लगता है कि इससे एक कलाकार को अपनी प्रतिभा को विभिन्न चैनलों व प्लेटफार्म पर खोजने का सुअवसर मिल रहा है। क्योंकि टीवी भी एक समय में संतृप्त हो जाता है। ओटीटी प्लेटफाॅर्मों के साथ, कुछ नया करने का मौका है, कुछ दिलचस्प, कुछ अनूठा, कुछ ऐसा जो पहले नहीं किया गया है। यह हमें विभिन्न शैलियों का पता लगाने का अवसर भी देता है जिन्हें पहले नहीं छुआ गया है। मुझे नहीं लगता कि यह छोटे पर्दे के लिए खतरा है, क्योंकि लोग हमेशा टीवी देखेंगे। जहां तक बड़े पर्दे का सवाल है, तो फिल्म के लिए यह एक मामूली खतरा है। पर कोरोना महामारी के खात्मे के बाद दर्शक सिनेमाधर जाकर फिल्म देखना पसंद करेगा।
‘‘कोई भी मंच दूसरे को ‘प्रतिस्थापित’ नहीं कर सकता।’’ अंकित सिवाच
जब से OTT मंच ने मनोरंजन उद्योग में एक मजबूत गढ़ प्राप्त किया है, यह हम सभी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। फिर चाहे वह रोजगार हो, रचनात्मकता हो, कहानी हो या प्रायोगिक क्षेत्र हो। यह कहने के बाद कि कोई भी मंच दूसरे को ‘प्रतिस्थापित‘ नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए सिनेमा कभी भी थिएटर की जगह नहीं ले सकता। टीवी कभी भी सिनेमा की जगह नहीं ले सकता। इसी तरह ओटीटी टीवी की जगह नहीं ले सकता। सभी प्लेटफार्मों के लिए अपना एक अलग दर्शक समूह है और उन सभी को पूरा करने की आवश्यकता है। मैंने ओटीटी प्लेटफाॅर्म ‘आइडिया’ की फराज अंसारी निर्देषित वेब सीरीज ‘दूल्हा वांटेड’ में काम किया है। यह मेरे लिए एक अलग अनुभव था। क्योंकि टेलीविजन में शूटिंग प्रक्रिया बिल्कुल अलग है। हमने ‘दूल्हा वांटेड’ बहुत अलग प्रक्रिया में काम किया। मुझे नहीं लगता कि किसी भी प्लेटफॉर्म को दूसरे प्लेटफाॅर्म से खतरा हो सकता है। जब तक कि प्लेटफॉर्म अपने दर्शकों को अच्छी तरह से नहीं जानता। मेरा टीवी सीरियल ‘इश्क में मरजावाँ 2’ भी ओटीटी प्लेटफाॅर्म ‘वूट’ पर अच्छा चल रहा है।
‘‘किसी को किसी से खतरा नहीं..’’ शरद मल्होत्रा
मेरी राय में OTT प्लेटफॉर्म के प्रादुर्भाव से मनोरंजन उद्योग के लिए बहुत अच्छा हुआ है। क्योंकि जितने अधिक प्लेटफॉर्म हैं, उतने ही माध्यम हैं। अभिनेताओं या तकनीशियनों के लिए रोजगार पाने के लिए अनुपात अधिक है, कैमरे के पीछे के लोग, कैमरे के सामने के लोग, यह एक बड़ा मंच है और यह टेलीविजन के लिए कोई खतरा नहीं है, यह कोई खतरा नहीं है फिल्म के लिए भी। क्योंकि सभी तीन प्लेटफाॅर्मों का दर्शक वर्ग अलग है। ओटीटी, टीवी व फिल्में, इन सभी का आपना अलग स्थान सदैव बना रहेगा। एक छोटा अनुपात है जो सभी तीन प्लेटफार्मों को देखता है, लेकिन जनता टीवी में हैं। एक खास वर्ग ही ओटीटी और फिल्में देखता है। यह शैली पर निर्भर करता है, और यह फिल्म के स्वाद पर निर्भर करता है। यह तारों पर निर्भर करता है। इसे दर्शकों का जनसमूह और वर्ग भी मिला है। इसलिए मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन पहल है और इसने मनोरंजन उद्योग से जुड़े सभी लोगों के लिए बहुत कुछ खोला है।