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एकबार फिर सिनेमा ने "द केरला स्टोरी" के रूप में देश को दो फाड़ करने की ओर बढ़ा दिया है. जाहिर है राजनीति घुस गई है मनोरंजन की दुनिया में. पश्चिम बंगाल, तमिलनाड और दूसरे कई प्रदेशों ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दिया है या रोकने की तैयारी कर रहे हैं जबकि मध्य प्रदेश और कई दूसरे प्रदेश फ़िल्म को टैक्स फ्री देने की योजना पर काम कर रहे हैं.सीधा सा मतलब है एक बार फिर "द कश्मीर फाइल्स" की कहानी दुहरायी जा रही हैं.
तमिलनाडु सरकार ने फिल्म "द केरला स्टोरी" के प्रदर्शन पर पहले प्रतिबंध लगाया यह कहकर की इस फिल्म के कारण दो समुदाय में बवाल ना हो, इसलिए सावधानी बस ऐसा किया जा रहा है. अगले ही दिन खबर आती है बंगाल में भी फिल्म के प्रदर्शन को रोक दिया गया है. वजह वही... "केरला के लोगों का अपमान होता है इस फिल्म को दिखाए जाने से". जबकि बंगाल में फिल्म का व्यवसाय बिना किसी तरह की बाधा के कमाई करते बढ़ने की तरफ था. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 94 टाकिजों में फिल्म चल रही थी जिनमे से कुछ में तो हाउस फुल चल रहा था. इस कदम से नुकशान किसका हुआ? बॉलीवुड का ही न ! निर्माता विपुल अमृतलाल शाह कहते हैं अगर राज्य सरकार हमारी नही सुनती हैं तो हम लीगल कार्यवाही करेंगे. केंद्र सरकार फिल्म चलाए जाने के पक्ष में है. केंद्रीय आई बी मंत्री अनुराग ठाकुर कहते हैं "फिल्म पर रोक लगाकर वहां की सरकार बहनों और बेटियों के साथ अन्याय कर रही है. कुछ ऐसा ही बयान फिल्म के सपोर्ट में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का भी आया है.
कुल मिलाकर एक फिल्म को राजनीतिकारों ने हथियार बना लिया ह. एक पक्ष कहता है फिल्म सामाजिक सौहार्द्य बिगड़ रही है उसे बैन करना चाहिए जबकि दूसरा पक्ष कहता है अभिव्यक्ति की आज़ादी खतम होती है रोक लगाए जाने से. सच लोगों के सामने आए हमारे प्रधान मंत्री भी यही कहते हैं. "द कश्मीर फाइल्स" को जिस तरह उन्होंने सपोर्ट किया था कि वहां क्या हुआ, लोग जान सकें उसी तरह वह केरला का सच भी सामने लाए जाने की बात को स्वीकार करते हैं. और, शायद लोग भी यही चाहते हैं कि 32000 लव-जेहाद का केस हो ना हो, या आंकड़ा जो भी हो, सच तो मालूम पड़ना ही चाहिए. वही सच "द केरला स्टोरी" की स्टोरी है. अब इसी स्टोरी को बाहर जाने से घमासान होने का डर बताकर फिल्म को चलने देने से रोका जा रहा है.
यह भी एक सच है कि कंट्रोवर्सी होती है तो फिल्म को फायदा होता है. जो भी फिल्में विवाद में आई हैं खूब कमाई की हैं. "द कश्मीर फाइल्स" ने कमाई के रेकॉर्ड बनाए हैं. "द केरला स्टोरी" भी कमाई करेगी.लोगों में फिल्म देखने की उत्सुकता नेताओं के बयान और प्रतिबंध तथा सपोर्ट की खबरों ने बढ़ा दिया है.लेकिन, सवाल है यह किस कीमत पर हो रहा है? ऐसा होने से "द केरला स्टोरी" को "द कश्मीर फाइल्स" की तरह (देर से ही सही) कमाई तो हो जाएगी लेकिन राजनीतिकार जो विकृति का खेल खेल रहे हैं उसका दूरदर्शी परिणाम देश को भुगतना पड़ेगा. जो विकृति छाप बनकर मन में बैठ जाएगी उसका क्या? फिल्म देखा, हालात समझे, बात वहीं खतम हो जाती है. लेकिन, जो बात मन मे डाली जा रही है एक फिल्म के बहाने से... एक राजनैतिक खेल है, दर्शक यह बात शायद ही समझ पाए!