करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है. महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होकर शाम को चंद्रमा के उदय होने तक रखा जाता है. शाम को चांद देखने और अर्घ्य देने के बाद महिलाएं पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं.
ईशा कोप्पिकर नारंग करवा चौथ के बारे में अपनी योजनाओं और भावनाओं के बारे में बात करती हैं, "किसी भी अन्य भारतीय विवाहित महिला की तरह, करवा चौथ मेरे विचार में महत्व और सम्मान रखता है. यह विश्वास कि हम अपने पति के जीवन और स्वास्थ्य के लिए उपवास और प्रार्थना करते हैं. करवा चौथ आशा को प्रेरित करता है और हमारे घर में उत्सव का माहौल लाता है."
वह इस त्योहार के उन प्रथाओं के बारे में बताती है जो उसे सबसे ज्यादा पसंद है और साथ ही बताती है कि वो कैसे मनाती है यह त्योहार. अपने विचारों को शेयर करते हुए ईशा कहती है, “मुझे करवा चौथ के साथ आने वाली परंपराओं और प्रथाओं से प्यार है लेकिन इस साल से मैं करवा चौथ पर वर्क कर रही हूं, मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी जितना संभव हो उतने अनुष्ठान हम करें. आम तौर पर, मैं अपनी सभी सहेलियों के साथ उपवास करती हूँ. मैं इसे अपने ससुराल वालों के साथ भी मनाती हूं. मैं मेंहदी लगाती हूं. व्रत के बाद चाँद को छन्नी से देखने और एक दूसरे को पानी पिलाने, खाना खिलाने और इस तरह व्रत तोड़ने की प्रथा बहुत प्यारा होता है."