देश की कला संस्कृति को लेकर होने वाले सबसे बड़े आयोजनों में से एक जश्न - ए - अदब (काव्य और साहित्योत्सव ) 1 मार्च 2019 से शुरू हो रहा है. उर्दू शायर और जश्न - ए - अदब (काव्य और साहित्योत्सव )के संस्थापक कुंवर रंजीत चौहान साब ने इस उत्सव के माध्यम से साझी विरासत , सास्कृतिक मूल्यों, गंगा जमुनी तहजीब, और परंपराओं को युवा पीढ़ी से रूबरू कराने का एक ईमानदार प्रयास किया है . जिससे आज हमारी युवा पीढी कही न कही दूर जा रही है. इस बार और भी बड़ा, और भी भव्य जश्न ए अदब का महाकुंभ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जामिया हमदर्द में 1,2 और 3 मार्च को आयोजित हो रहा है. साहित्यप्रेमी यह जान लें कि जश्न ए अदब का यह महाकुंभ साल में दो बार होता है।
इस बार 25 से 30 के करीब सत्रों में बंटा है, इस कार्यक्रम में देश विदेश से जिसमें 100 से भी अधिक विद्वान, कवि, लेखक, संगीतकार, अभिनेता, प्रकाशक, कलाकार, व्यंग्यकार और समीक्षक हिस्सा ले रहे हैं.अभी हाल ही में पिछले साल दिल्ली के इंडिया गेट स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 23, 24 और 25 नवंबर को आयोजित जश्न ए अदब के उद्घाटन में पद्म भूषण पंडित छुन्नू लाल शर्मा एवं पद्म भूषण उमा शर्मा उपस्थित रहें थे सिने अभिनेता कुमुद मिश्रा राजपाल यादव, संजय मिश्रा, यशपाल शर्मा, पंकज त्रिपाठी, अजय ब्रह्मात्मज, लेखक-गीतकार इरशाद कामिल सहित कई जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया था अबकी बार ये पहले से ज्यादा बड़ा और ज्यादा भव्य होने जा रहा है।
इस बार जावेद अख्तर ,पंकज त्रिपाठी नादिरा बब्बर, मुजफ्फर अली, आरजे नावेद राजू श्रीवास्तव के अलावा और बहुत सी हस्तियां शिरकत करेंगी तीन दिनों के इस जलसे में हर दिन साहित्य और कलाप्रेमी देख और सुन सकेंगे शब्द, कला, कविता, संगीत, नाटक, और संस्कृति से जुड़ी उन हस्तियों को, जिन्हें उन्होंने अब तक केवल पढ़ा है, या परदे पर देखा है. खास बात यह कि आने वाले हर साल के साथ साहित्य का यह जलसा अपने पिछले आयोजनों की तुलना में ज्यादा बड़ा और ज्यादा भव्य होता जा रहा है. जश्न ए अदब दूसरे साहित्यिक आयोजनों से अलग अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है।
महाकुंभ के रूप में स्थापित हो चुका 'जश्न ए अदब इसमें हिंदी, उर्दू साहित्य और कला से जुड़ी बड़ी हस्तियां तो जुट ही रही हैं, अब दूसरी भारतीय भाषाओं और विधाओं के दिग्गज भी उत्सुकता दिखा रहे हैं. इसीलिए इस बार हमने इस आयोजन का फलक थोड़ा और बड़ा कर दिया गया है, ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा गया है, सेशन बढ़ाए गए हैं ताकि श्रोता, साहित्य और कला प्रेमी इस उत्सव का अधिक से अधिक आनंद उठा सकें।
हालांकि हमने कार्यक्रम के फॉर्मेट में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है और हर बार की तरह इस साल भी कला, सिनेमा, संगीत, थिएटर, और संस्कृति से जुड़े दिग्गजों से टेलीविजन के बड़े एंकर उनकी किताबों, प्रस्तुतियों, काम, समसामयिक विषयों पर खुले मंच पर चर्चा करेंगे. इस दौरान नाट्य, संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी रखी गई हैं. गायन, वादन, कहानी पाठ के अलावा यहां मुशायरा और कवि सम्मेलन भी होगा।
आने वाले दर्शक और मेहमानो के लिए फ़ूड कोर्ट की व्यवस्था की गई है जिसमें वो लजीज़ व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं.साथ ही पुस्तक प्रदर्शनी में बेहतरीन किताबें मौजूद रहेंगी. ज़रूर आएगा. इंतज़ार रहेगा आपका...