मशहूर गीतकार और पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर ने संसद में बहस के दौरान कविताओं को तोड़-मरोड़कर या गलत रूप से पेश किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। जावेद अख्तर ने ट्विटर पर लिखा, 'मैं हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता से सभी पार्टियों के लोकसभा सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वो कविताओं पर थोड़ा तो रहम खाएं। 12 घंटे के सत्र में सुनाई गई हर एक कविता या तो तोड़-मरोड़कर गलत रूप में पेश की गई थी या फिर उसमें शब्दों के उच्चारण के साथ खिलवाड़ हुआ था।'
जावेद अख्तर बीते शुक्रवार के लोकसभा सत्र का जिक्र कर रहे थे, जिसमें मोदी सरकार के खिलाफ पेश पहले अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कुछ सांसदों ने अपनी पार्टी की उपलब्धियां गिनाने और विरोधियों पर निशाना साधने के लिए कविताओं व शेरो-शायरी का भी सहारा लिया था। उनके ट्वीट पर देखते ही देखते प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई। कवि समरत कुमार ने अख्तर की बात से इत्तफाक जताते हुए तंज कसा, 'लोकतंत्र नहीं, कविताएं खतरे में हैं।' साथ ही यह तक कह डाला कि आपको 'पोएट्री स्पीकर' बना दें क्या सरजी।