कागज़: जब वो अपने घर पहुँचा तो उसकी तेहरवीं हो चुकी थी By Mayapuri Desk 13 Dec 2020 | एडिट 13 Dec 2020 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर कैसा लगे ये जानकार कि सांस लेते ख़ाते-पीते आप सरकारी 'कागज़' के अनुसार में मृत घोषित हो चुके हैं. सरकार की तरफ से जारी किसी भी योजना का आपको कोई लाभ नहीं मिल सकता है. आपके अपने भी आपसे मुँह मोड़कर जा रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है आने वाली फिल्म 'कागज़' की जिसे सतीश कौशिक ने निर्देशित किया है और सलमान खान इसके निर्माता हैं. - width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' पंकज त्रिपाठी निभायेंगे मुख्य भूमिका फिल्म कागज़ के लिए मुख्य किरदार सोचते वक़्त सतीश कौशिक के दिमाग में और किसी का नहीं बस एक ही कलाकार का नाम था - पंकज त्रिपाठी। सतीश कौशिक ने बताया कि पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग के वो ख़ुद बहुत बड़े प्रशंसक हैं और जब बात एक ऐसे क़िरदार को निभाने की थी जो गाँव से है, जिसका संघर्षकाल तकरीबन दो दशक से चल रहा है; तब उन्हें पंकज त्रिपाठी के अलावा और कोई नाम नहीं सूझा। पंकज त्रिपाठी ने बताया कि वो ख़ुद बहुत उत्साहित थे इस रोल को निभाने के लिए। इस फिल्म में उनका मुख्य किरदार है. पंकज जी की भाषा में लिखूं तो इस बार 'आलू सोलो' आ रहा है. (एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनके किरदार आलू की तरह होते हैं, किसी के भी साथ फिट हो जाते हैं) 'जब मैं घर गया तो पता चला मेरी तेहरवीं हो चुकी है' संतोष मूरत सिंह इस कहानी के मुद्दे पर जब मैंने ज़मीनी स्तर पर कुछ जानने की कोशिश की तो संतोष मूरत सिंह जी से बात हुई. संतोष जी पिछले 17 साल से सरकारी कागज़ (डेथ सर्टिफिकेट) में मृत घोषित हैं. उन्होंने मुझे बताया कि वो नाना पाटेकर के साथ सं 2000 में मुंबई गए थे. वहां से जब 2004 में लौटे तो पता चला उनके परिवार वालों ने उन्हें रेल दुर्घटना में मृत समझकर तेहरवीं भी कर दी है. उस दिन से लेकर आजतक वो ख़ुद को ज़िंदा साबित करने की कोशिश में हैं. उन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती है. उनके ग्लोबल न्यूज़ से भी इंटरव्यू लिए जा चुके हैं पर उनकी आर्थिक सहायता के लिए फिलहाल कोई आगे नहीं आया है. वो कभी चाय बेचते नज़र आते हैं तो कभी अनशन करते, कभी वो किसी जगह मजदूरी का काम पकड़ लेते हैं. उनकी धर्मपत्नी भी उनके साथ नहीं रहतीं। संतोष जी की बस इतनी इच्छा है, बस इतनी दरख़्वास्त है प्रशासन से कि उनके मरने से पहले कम से कम एक दिन के लिए ही सही, उन्हें ज़िंदा घोषित किया जाए. बात लौटकर फिल्म की करूँ तो अभी तक इसकी रिलीज़ डेट तय नहीं हुई है, हालांकि उम्मीद है ये 'कागज़' जनवरी महीने में देखने को मिले। पर सवाल ये उठता है कि कई डॉक्यूमेंट्री बनने के बाद, सैंकड़ों इंटरव्यू होने के बाद, ख़ुद स्वर्गीय सुषमा स्वराज और माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी से आश्वासन मिलने के बाद भी संतोष कुमार जी और उनके जैसे हज़ारों लोगों को अबतक अपने जीवित होने का प्रमाण नहीं मिला है; उनका इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद कुछ भला हो सकेगा? #pankaj tripathi #Salman Khan #Satish Kaushik हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article