बॉलीवुड के किंग यानि शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) को फैंस उन्हें प्यार से SRK भी बुलाते है. जो अपनी एक्टिंग से फैंस के दिलों पर राज करते आ रहे है. शाहरुख खान हर तरह के किरदार में खुद को बखूबी ढ़ाल लेते है वैसे तो शाहरुख खान को ज्यादतर रोमांटिक फिल्मों के लिए जाना जाता जैसे ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘कुछ-कुछ होता है’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘मोहब्बतें’, और भी बहुत सी फिल्में है लेकिन उन्होंने नेगेटिव रोल में भी अपनी एक्टिंग के हुनर को दिखाया है. जैसे ‘बाज़ीगर’, ‘डर’, ‘डॉन’.
भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में शाहरुख खान के फैंस उनकी एक्टिंग के दिवाने है. लेकिन सच तो ये है कि वह बचपन में एक्टर नहीं बानना चाहते थे वो स्पोर्ट्स में जाना चाहते थे देश के लिए मेडल लाना चाहते थें.
शाहरुख खान नें 'एनडीटीवी-इंड़िया' के प्रोग्राम 'आप की अदालत' में इस बात का खुलासा करते हुए कहा कि ‘‘मैं एक स्पोर्ट्स मैन बनाना चाहता था मेरा बहुत दिल था कि मैं अपने देश को किसी तरह से रिप्रेजेंट करु हॉकी के अंदर क्रिकेट या फुटबॉल में. मेरा बहुत शौख था कि मैं इंड़ियन टीम के लिए खेलूं. मैं हॉकी में अच्छा था मेरा बहुत मन था कि मैं इंड़ियन हॉकी टीम में प्लेयर बनूं फिर मुझे बहुत तेज चोट लगी और मेरी पीठ में तकलीफ हो गयीं तो मुझसे झुक कर हॉकी खेली नहीं जाती थी. जिसकी वजह से मुझे स्पोर्ट्स छोड़ना पड़ा फिर मेरे पास शाम को कुछ भी करने को नहीं था तो मां-पापा ने कहा कि 'लेडी श्री राम कॉलेज' में प्ले चल रहा हैं उसमें 80 लड़कियां और 10 लड़कों का रोल वहां जाकर देखों तो मैं वहां पर इसलिए नहीं गया क्योंकि वहां लड़कियां थी फिर और कुछ करने को नहीं था और अपने स्पोर्ट्स करियर खत्म होने से काफी दुखी था तो ‘बैरी जॉन थिएटर’ में जाकर मैंने शुरुआत की और करते-करते टेलीविजन पर ‘फौजी’में रोल मिल गया आगे चलकर फिल्में मिल गयीं लेकिन मैने कभी सोचा नहीं था कि मैं फिल्मों में एक्टर बनूगा’'.
फिर वह अपने मुंबई में जाने की कहानी सांझा करते हुए कहते हैं-‘’मैं जब मुंबई भी गया तो मेरे थिएटर के दोस्तों ने पूछा कितने दिन के लिए तो मैंने उनसे कहां कि बस एक साल के लिए जा रहा हूं उसके बाद निकाल देंगे मुझे मेरे मम्मी-डेडी की डेथ हो गयी है जाकर आ जाउंगा वहां से अब 25 साल हो गये तो पूछते है कब आ रहा है यार. वापस ही नहीं आया अब भी लोग मेरा वेट कर रहे हैं कि मैं कब वापस आऊंगा’’।