सलमान खान को सजा मिलने पर क्यों जश्न मना रहा है बिश्नोई समाज ? By Sangya Singh 04 Apr 2018 | एडिट 04 Apr 2018 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर बॉलीवुड एक्टर सलमान खान पर 20 साल से चले रहे काले हिरण शिकार मामले में आखिरकार आज फैसला आ ही गया। इस मामले में जोधपुर कोर्ट ने सलमान खान को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुना दी। इसके साथ ही तब्बू, सैफ, नीलम और सोनाली बेंद्रे को बरी कर दिया है। आपको बता दें, 1998 के इस मामले में सलमान खान समेत इन बॉलीवुड कलाकारों पर काले हिरण के शिकार का आरोप लगा था। बताया जा रहा है कि इस मामले को इतना तूल देने और आगे बढ़ाने के पीछे वजह है बिश्नोई समाज। बिश्नोई समाज ही इतने सालों से सलमान खान को सजा दिलवाने की कोशिश कर रहा है। आखिर क्यों बिश्नोई समाज इस मामले को तूल दे रहा है और क्यों आज सलमान खान को सजा मिलने के बाद बिश्नोई समाज के लोग जश्न मना रहे हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या है वजह... जानवरों के लिए अपनी जान देेने के लिए भी तैयार रहते हैं - बिश्नोई समाज जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से आता है और इसे प्रकृति के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज में जानवर को भगवान के समान माना जाता है और इसके लिए वो अपनी जान देने के लिए भी तैयार रहते हैं। - ये समाज प्रकृति के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले लोगों को शहीद का दर्जा भी देता है। बता दें कि इस समाज के कई ऐसे लोग भी हुए हैं, जिन्होंने जानवरों के लिए अभी जान भी गंवाई है, उसमें गंगा राम विश्नोई जैसे कई और लोगों के नाम भी शामिल है। - दरअसल बिश्नोई बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है और ये समाज 29 नियमों का पालन करता है। इन नियमों में एक नियम शाकाहारी रहना और हरे पेड़ नहीं काटना भी शामिल है। साथ ही ये लोग जम्भोजी को पूजते हैं। - बिश्नोई समाज के लोग लगभग 550 साल से प्रकृति की पूजा करते आ रहे हैं। काला हिरण विलुप्त होती प्रजाति है जिसकी सुरक्षा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत की जाती है। वन्यजीवों की रक्षा के लिए जान पर खेल गया - आपको बता दें, करीब एक दशक पहले एक बिश्नोई युवक निहालचंद वन्यजीवों की रक्षा की कोशिश में शिकारियों से लड़ते हुए अपनी जान पर खेल गया था। बाद में इस घटना पर ‘विलिंग टू सैक्रीफाइस’ फिल्म भी बनाई गई। - वहीं चिपको आंदोलन में भी विश्नोई समाज का अहम योगदान रहा है। इस आंदोलन में बिश्नोई समाज का भी बहुत बड़ा हाथ था। बिश्नोई समाज आमतौर पर पर्यावरण की पूजा करने वाला समुदाय माना जाता है। ये बिश्नोई समाज ही था जिसने पेड़ों को बचाने के लिए अपने जान की आहुती दी थी। - जोधपुर के राजा द्वारा पेड़ों के काटने के फैसले के बाद एक बड़े पैमाने पर बिश्नोई समाज की महिलाएं पेड़ो से चिपक गई थीं और उन्हें काटने नहीं दिया। इसी के तहत पेड़ों को बचाने के 363 बिश्नोई समाज के लोगों ने अपनी जान भी दे दी थी। #Salman Khan #Black Buck Poaching Case #Bishnoi community हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article