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पिता की चिट्ठी पढ़कर भावुक हुई लारा दत्ता

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By Mayapuri Desk
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पिता की चिट्ठी पढ़कर भावुक हुई लारा दत्ता

पिता/डैड/पापा.. यह शब्द हो सकता है छोटा हो, लेकिन उसका प्रभाव काफी प्रबल और लंबा रहता है। और जब आप उनका नाम तेज स्वर में पुकारते हैं तो आपको समझ में आता है कि वह आपके लिये कितना मायने रखते हैं। अपने पिता के साथ सभी बच्चों की ऐसी ही चाहत का जश्न ‘हाई फीवर’ के मंच पर मनाया जा रहा है। फादर्स डे के इस खास एपिसोड के साथ वह इसे सबसे खास और भावुक पल बनाने वाले हैं।

मैं चाहता हूं कि तुम जैसी बेटी हर एक को मिले, पर तुम मुझे मिलो, हर जनम में।’’

प्यार के इस सबसे पवित्र रूप का जश्न मनाने के लिये ‘हाई फीवर...डांस का नया तेवर’ ने लारा दत्ता के लिये एक खास सरप्राइज सोच रखा था। उनके लिये यह सरप्राइज एक बेहद ही भावुक चिट्ठी के रूप में था, जिससे उनकी आंखें नम हो गईं। इस चिट्ठी में लारा के बचपन से जुड़ी यादों को उनके पिता के शब्दों में सामने लाया गया। उन्होंने छोटी लारा के बारे में एक बहुत ही मासूम-सी याद का जिक्र किया था, जब वह इंडियन आर्मी के हेलीकॉप्टर पर बैठी थीं। उसके साथ उन्होंने कुछ लाइनें भी लिखी हैं, जिसने सबके दिलों को छू लिया। उन्होंने अपने पिता की चिट्ठी पढ़ी, ‘‘जब तुमने मिस यूनिवर्स का ताज पहना तो ना केवल मेरा, बल्कि पूरे देश का सिर ऊंचा कर दिया। यह देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गये जब सारा देश तुम्हें सलाम कर रहा था। लारा, तुम सिर्फ चेहरे से नहीं, दिल से भी खूबसूरत हो। मैं चाहता हूं कि तुम जैसी बेटी हर एक को मिले, पर तुम मुझे मिलो, हर जनम में।’’ publive-image

ईशा गुप्ता जब वह चिट्ठी पढ़ रही थीं तो लारा की आंखों से आंसू छलक रहे थे। निश्चित रूप से वहां बैठे कुछ दर्शकों के गले भी रुंध गये होंगे, इसके बाद उन सबने तारीफ में जोरदार तालियां बजाईं। सारे पिताओं के लिये प्यार और संदेश देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अपने पिता के साथ मेरा बहुत ही खास रिश्ता है। कई बार ऐसा लगता है कि मैं अपने पापा का ‘बेटा‘ हूं। मेरे पिता भारतीय वायुसेना में थे और वह इंदिरा गांधी के पायलट थे। उन्हें तीन बार हार्ट अटैक आया और दो में मैं मौजूद थी। इसलिये, वह सही मायने में एक फाइटर हैं और यही बात उन्होंने मुझे भी सिखाई है। कभी भी हार मत मानो और अपने रास्ते में आने वाली मुश्किलों का सामना करो।’’ आगे वह कहती हैं, ‘‘पिता का हमारे जीवन में एक खास स्थान होता है, हम जो कुछ हैं उनकी वजह से हैं और उनके अनगिनत त्याग की वजह से हैं। अपने पिता और उन सारे पिताओं को मैं सलाम करती हूं, जो अपने परिवारो का सबसे मजबूत स्तंभ होते हैं।’’

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